चौटाला परिवार का सियासी सफर: पारिवारिक झगड़े से खतरे में इनेलो-जेजेपी का अस्तित्व?
x

चौटाला परिवार का सियासी सफर: पारिवारिक झगड़े से खतरे में इनेलो-जेजेपी का अस्तित्व?

हरियाणा के सबसे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवारों में से एक चौटाला दिसंबर 2018 में परिवारिक झगड़े के कारण बिखर गई.


Haryana Chautala Family: हरियाणा के सबसे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवारों में से एक चौटाला दिसंबर 2018 में परिवारिक झगड़े के कारण बिखर गई. इसकी वजह से परिवार की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) टूट गई और एक अलग संगठन जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन हुआ. आईएनएलडी का नेतृत्व 89 वर्षीय ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अभय चौटाला कर रहे हैं. वहीं, जेजेपी का नेतृत्व ओम प्रकाश के बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला कर रहे हैं.

आईएनएलडी की स्थापना पूर्व उपप्रधानमंत्री और जाट नेता देवी लाल ने की थी, जो उत्तर भारत के सबसे बड़े किसान नेताओं में से एक थे. हरियाणा में भाजपा के उदय और कांग्रेस के पुनरुत्थान के बीच इनेलो और जेजेपी दोनों ने उनकी राजनीतिक विरासत को बरकरार रखने के लिए संघर्ष किया है. इनेलो के संरक्षक और देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश, जो सात बार विधायक रह चुके हैं और पांच बार हरियाणा के सीएम रह चुके हैं. वहीं, अभय चार बार विधायक रह चुके हैं. जबकि अजय तीन बार विधायक रह चुके हैं (एक बार हरियाणा में, दो बार राजस्थान में) और लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पूर्व सदस्य हैं.

इनेलो के विभाजन के बाद से ही इसकी चुनावी किस्मत गिरती रही है. यहां तक ​​कि पार्टी और जेजेपी दोनों ने देवीलाल की विरासत पर अपने-अपने दावों को लेकर भी लड़ाई जारी रखी है. अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनावों में इनेलो और जेजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. इनेलो केवल एक सीट एलेनाबाद जीत सकी, जिसे अभय ने जीता और राज्य की 90 में से 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद उसे 2.44% वोट मिले. हालांकि, जेजेपी ने 87 सीटों पर चुनाव लड़कर 10 सीटें जीतीं और 14.80% वोट शेयर हासिल किया.

साल 2019 के चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा और मौजूदा भाजपा ने 40 सीटें जीतीं, जो साधारण बहुमत से छह कम थीं. जबकि, कांग्रेस ने 31 सीटें जीतीं, जेजेपी नेता दुष्यंत “किंगमेकर” के रूप में उभरे. भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को जेजेपी के समर्थन के बदले, दुष्यंत को मनोहर लाल खट्टर मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया. हालांकि, इस साल मार्च में लोकसभा चुनावों से पहले एक आश्चर्य के तौर पर भाजपा ने जेजेपी के साथ अपने संबंध तोड़ लिए और खट्टर की जगह पार्टी नेता नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया.

सत्ता से बाहर होने के बाद से जेजेपी लगातार नीचे की ओर जा रही है. तीन विधायकों को छोड़कर - जिनमें खुद दुष्यंत (उचाना कलां सीट), उनकी मां नैना चौटाला (भादरा) और अमरजीत ढांडा (जुलाना) शामिल हैं. बाकी सभी ने पार्टी छोड़ दी है. इनमें पांच विधायक राम कुमार गौतम (नारनौंद), अनूप धानक (उकलाना), देवेंद्र बबली (टोहाना), राम करण काला (शाहबाद) और ईश्वर सिंह (गुहला) शामिल हैं, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर पार्टी छोड़ दी है. साथ ही जेजेपी ने दो विधायकों जोगी राम सिहाग (बरवाला) और राम निवास सुरजाखेड़ा (नरवाना) को उनकी कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस जारी किया है. उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना है.

इस बीच जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी छोड़ दी है और कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. दुष्यंत इन विधायकों के पार्टी छोड़ने से अप्रभावित हैं. वे कहते हैं कि जेजेपी चौधरी देवीलाल की नर्सरी है. लोग यहां आते हैं, प्रशिक्षण लेते हैं, पद प्राप्त करते हैं और फिर संघर्ष के समय चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि छोड़ने वाले सात विधायकों में से छह ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही पार्टी से दूरी बना ली थी. उनका इस्तीफा देना महज औपचारिकता थी. विधानसभा चुनाव में अभी 42 दिन बाकी हैं और जेजेपी फिर से किंगमेकर बनकर उभरेगी.

पिछली बार जब चौटाला परिवार ने इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और हरियाणा चुनाव में प्रभाव डाला था, वह 2009 में था, जब पार्टी को 25.79% वोट शेयर के साथ 31 सीटें मिली थीं. तब ओम प्रकाश विपक्ष के नेता थे. जबकि 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से फिर से सरकार बनाई थी. तब भाजपा सिर्फ 4 सीटें जीत सकी थी. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा केंद्र में सत्ता में आई तो पार्टी ने हरियाणा में भी इतिहास रच दिया और 47 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ अपनी पहली सरकार बनाई. 2014 के विधानसभा चुनावों में भी चौटाला परिवार ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था और इनेलो ने 24.1% वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को केवल 15 सीटें मिलीं. जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल गए ओम प्रकाश की अनुपस्थिति में अभय को विपक्ष का नेता बनाया गया.

उपमुख्यमंत्री के रूप में दुष्यंत के लगभग साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरा जेजेपी को उम्मीद थी कि वह राज्य में अपना समर्थन आधार बढ़ाने में सक्षम होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर चले किसान आंदोलन के दौरान उन्हें हरियाणा के लोगों के एक वर्ग और अपनी ही पार्टी के नेताओं और विधायकों के गुस्से का सामना करना पड़ा. जेजेपी ने नवंबर 2023 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में भी 19 उम्मीदवार उतारे, जिनमें से सभी की जमानत जब्त हो गई.

साल 2024 के लोकसभा चुनावों में जेजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ा. जबकि आईएनएलडी ने उनमें से सात सीटों पर चुनाव लड़ा. दोनों ही पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली. भाजपा और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटें जीतीं. राज्य में न तो जेजेपी और न ही आईएनएलडी किसी विधानसभा क्षेत्र में आगे रही. जाट बहुल हिसार सीट पर कांग्रेस के जय प्रकाश, जो कभी देवीलाल के समर्थक थे, ने चौटाला परिवार के तीन सदस्यों देवीलाल के बेटे रंजीत सिंह (भाजपा) और ओम प्रकाश की बहुएं सुनैना चौटाला (आईएनएलडी) और नैना चौटाला (जेजेपी) को हराया.

Read More
Next Story