Bypoll: पहली बार निर्दलीय विधायक विहीन हुआ हिमाचल, वहीं सदन में एक साथ दिखेंगे पति-पत्नी
हिमाचल प्रदेश में शनिवार को विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब राज्य में कोई भी निर्दलीय विधायक नहीं है.
Himachal Assembly By-Election: हिमाचल प्रदेश में द्विदलीय व्यवस्था की जड़ें गहरी होती जा रही हैं और कांग्रेस तथा बीजेपी बारी-बारी से सत्ता में आती हैं. इस वजह से प्रदेश में निर्दलीय विधायकों की उपस्थिति कम होती जा रही है. वहीं, शनिवार को विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब राज्य विधानसभा में कोई भी निर्दलीय विधायक नहीं रहा.
तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में से दो में जीत के साथ कांग्रेस की ताकत बढ़कर 40 हो गई है. वहीं, ऐसा पहली बार होगा, जब कोई पति और पत्नी एक साथ सदन में बैठेंगे. क्योंकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बाद उनकी पत्नी कमलेश ठाकुर भी उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गई है.
साल 2022 के विधानसभा चुनावों में तीन निर्दलीय- होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और केएल ठाकुर (नालागढ़) से चुने गए थे. लेकिन 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट देने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को इस्तीफा दे दिया और अगले दिन भाजपा में शामिल हो गए. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 3 जून को उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए थे और 10 जुलाई को उपचुनाव हुए थे.
हालांकि, तीनों पूर्व निर्दलीय विधायकों को भाजपा से टिकट मिला था. लेकिन वे दो सीटों पर कांग्रेस से हार गए और भाजपा के खाते में एक सीट गई. चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा था कि निर्दलीय विधायकों को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है. क्योंकि वे किसी भी पार्टी का समर्थन या विरोध कर सकते हैं. जब उन्हें ऐसा करने की जरूरत ही नहीं थी तो उन्होंने 15 महीने बाद फिर से चुनाव क्यों लड़ा.
बता दें कि निर्दलीय विधायकों ने राज्य की चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभाई है. साल 1967 में 16 निर्दलीय विधायक चुने गए. जबकि 1957 में 12, 1952 में 8, 1972 और 1993 में 7-7, 1977, 1982 और 2003 में 6-6, 2012 में 5, 1962, 2007 और 2022 में 3-3, 1985 और 2017 में 2-2 और 1990 और 1998 में 1-1 विधायक चुने गए.