हिमाचल के समोसा कांड में सियासी छौंक, CM सुक्खू बोले 'मैं तो खाता ही नहीं'
हिमाचल में समोसा को लेकर विवाद खड़ा हो गया और यह राजनीतिक मुद्दा बन गया. विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि 'मैं तो समोसे खाता ही नहीं.
Himachal samosa controversy: लगता है हिमाचल में समोसों के अलावा कोई मुद्दा बचा ही नहीं है. क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए लाए गए समोसे और केक उनके सुरक्षा कर्मियों को परोस दिए गए. मामला यहीं नहीं रुका और इस बात की तह तक जाने के लिए जांच तक शुरू हो गई. बस फिर क्या था. हिमाचल में समोसा को लेकर विवाद खड़ा हो गया और यह राजनीतिक मुद्दा बन गया. विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि 'मैं तो समोसे खाता ही नहीं, मुझे तो पता भी नहीं था कहां से समोसे आए हैं'.
सीएम सुक्खू ने कहा कि जांच दुर्व्यवहार के मुद्दे पर थी. लेकिन मीडिया 'समोसा' के बारे में खबर चला रही है. वहीं, जांच को लेकर सीआईडी के डिप्टी जनरल संजीव रंजन ओझा ने कहा कि यह सीआईडी का आंतरिक मामला है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री समोसे नहीं खाते. हमने किसी को नोटिस नहीं दिया है. हमने केवल इतना कहा है कि हम पता लगाना चाहते हैं कि क्या हुआ. सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है. हम पता लगाएंगे कि यह जानकारी कैसे लीक हुई.
वहीं, हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जानना चाहा कि इस मुद्दे को सरकार विरोधी गतिविधि कैसे कहा गया. जयराम ठाकुर ने कहा कि आजकल हिमाचल प्रदेश में सरकार जिस तरह से फैसले लेती है, वह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. क्योंकि बिना सोचे-समझे फैसले लिए जाते हैं. अब एक और विषय जिस पर चर्चा हो रही है, वह यह है कि समोसे जहां पहुंचने चाहिए थे, वहां नहीं पहुंचे, बीच में ही खो गए और मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश सरकार को लगा कि यह बहुत गंभीर मामला है और इस पर जांच होनी चाहिए.
भाजपा नेता ने कहा कि यह भी कहा गया कि यह सरकार विरोधी गतिविधि है. इसे खाने वाले लोग सरकार का हिस्सा रहे होंगे. यह सरकार विरोधी गतिविधि कैसे है? दुर्भाग्य से बिना सोचे-समझे निर्णय लिए जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश सीआईडी ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के लिए भेजे गए समोसे और केक गलती से उनके कर्मचारियों को कैसे परोस दिए गए. रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कृत्य को "सरकार विरोधी" कृत्य बताया और इसे वीवीआईपी की मौजूदगी के सम्मान के खिलाफ अपराध बताया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें शामिल लोग "अपने एजेंडे के अनुसार काम कर रहे थे." 21 अक्टूबर को सीआईडी मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान हुई कथित घटना के बाद पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) ने पूरी जांच की. जांच में यह जानने की कोशिश की गई कि इस चूक के लिए कौन से अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार थे. मुख्यमंत्री साइबर विंग के नए नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए सीआईडी मुख्यालय गए. हालांकि, मुख्यमंत्री के बजाय उनके स्टाफ को समोसे और केक परोसे गए, जिसके बाद आंतरिक सीआईडी जांच शुरू हो गई.
डीजीपी अतुल वर्मा ने कहा कि मामले की जांच पुलिस मुख्यालय नहीं, बल्कि सीआईडी कर रही है. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि एक महानिरीक्षक (आईजी) अधिकारी ने एक उपनिरीक्षक को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए शिमला के लक्कड़ बाजार में एक पांच सितारा होटल से खाना लाने को कहा. इस आदेश के बाद एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) और एक हेड कांस्टेबल चालक ने समोसे और केक के तीन डिब्बे बरामद किए और उन्हें इंस्पेक्टर रैंक की एक महिला अधिकारी को सौंप दिया. इस अधिकारी को यह नहीं पता था कि समोसे किसको दिए जा रहे हैं. इसलिए उसने डिब्बों को एक वरिष्ठ अधिकारी के कमरे में रखने का निर्देश दिया, जहां से उन्हें एक कमरे से दूसरे कमरे में ले जाया गया. पूछताछ करने पर संबंधित अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पर्यटन विभाग के कर्मियों से इसकी पुष्टि की थी, जिन्होंने कथित तौर पर कहा था कि डिब्बों में रखी चीजें सीएम के मेन्यू में नहीं थीं.
जांच में आगे पाया गया कि एक एमटीओ (मोटर ट्रांसपोर्ट ऑफिसर) और एचएएसआई (हेड असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर) को मुख्यमंत्री के कर्मचारियों के लिए चाय और पान जैसे जलपान का प्रबंध करने के लिए नियुक्त किया गया था. उनके बयान के अनुसार, महिला इंस्पेक्टर को यह नहीं बताया गया था कि बक्सों के अंदर रखी चीजें मुख्यमंत्री के लिए थीं. बक्सों को खोले बिना, उन्होंने उन्हें एमटी सेक्शन में भेज दिया. आईजी के अर्दली, एचएएसआई ने गवाही दी कि बक्सों को एक सब-इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल ने खोला था और यह डीएसपी और आईजी के कार्यालय के कर्मचारियों के लिए था. इन निर्देशों का पालन करते हुए कमरे में लगभग 10-12 लोगों को चाय के साथ भोजन परोसा गया.
इसमें शामिल लोगों के बयानों के आधार पर सीआईडी रिपोर्ट बताती है कि केवल एक सब-इंस्पेक्टर को ही पता था कि बक्सों में मुख्यमंत्री के लिए जलपान है. फिर भी, एक महिला इंस्पेक्टर की देखरेख में इन बक्सों को अंततः उच्च मंजूरी के बिना एमटी सेक्शन में भेज दिया गया और अनजाने में ये सामान मुख्यमंत्री के कर्मचारियों को परोस दिया गया. इस बीच भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने टिप्पणी की कि हिमाचल प्रदेश में स्थिति ऐसी है कि मुख्यमंत्री के पास खुद का वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, मुख्य सचिव को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, विधायकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं. इससे पता चलता है कि राहुल गांधी के खाता-खाट मॉडल के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत खराब हो गई है और यह राहुल गांधी का गारंटी मॉडल है और उनकी आर्थिक सोच उजागर हो गई है.