मस्जिद विवाद पर अपने ही घर में घिरे हिमाचल प्रदेश के मंत्री, सहयोगियों ने किया विरोध
राज्य के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया है कि शिमला में संजौली मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है और इलाके में ‘लव जिहाद’ के मामले सामने आए हैं
Tension In Shimla Over Masjid: शिमला के संजौली में मस्जिद विवाद को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह अपने ही घर में घिर गए हैं. जिस तरह से से उन्होंने मस्जिद विवाद पर रुख अपनाया है और बयानबाजी की है, उसकी वजह से उनके सहयोगी मंत्रियों ने उनका विरोध शुरू कर दिया है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया कि शिमला में एक मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है. मंत्री ने संजौली मस्जिद के निर्माण की जांच की मांग की और यह भी आरोप लगाया कि क्षेत्र में “लव जिहाद” के मामले सामने आए हैं.
मस्जिद के खिलाफ मंत्री का आरोप
अनिरुद्ध सिंह ने जानना चाहा कि क्या मस्जिद खोलने से पहले अनुमति ली गई थी. उन्होंने कहा, " बिना अनुमति के निर्माण शुरू कर दिया गया. यह एक अवैध संरचना थी. पहले एक मंजिल बनाई गई, फिर बाकी मंजिलें बनाई गईं." उन्होंने कहा, " इन लोगों को अवैध गतिविधियों में शामिल होने की आदत है."
साथी विधायक ने मंत्री के बयान पर किया पलटवार
अनिरुद्ध सिंह के आरोपों का पार्टी के एक विधायक और अन्य मंत्रियों ने जोरदार तरीके से खंडन किया. कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि क्षेत्र में पहले कोई तनाव नहीं था. मस्जिद के बारे में और स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसका निर्माण मूलतः 1960 से पहले हुआ था और वक्फ बोर्ड की जमीन पर 2010 में तीन अतिरिक्त मंजिलें "अवैध रूप से" जोड़ दी गईं. उन्होंने कहा कि हालांकि अवैध रूप से निर्मित शौचालयों को ध्वस्त कर दिया गया है. इतना ही नहीं हरीश जनराथा ने ये भी आरोप लगाया कि कुछ लोग इस मुद्दे को बढ़ा रहे हैं. हालाँकि उनका इशारा किसकी तरफ है ( अनिरुद्ध सिंह या बीजेपी ) ये स्पष्ट नहीं है.
हिमाचल प्रदेश के ही एक अन्य मंत्री जगत नेगी ने कहा, "अगर किसी ने अवैध निर्माण किया है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी."
मुद्दे का न हो राजनीतिकरण
हिमाचल प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें इस मुद्दे पर सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए. हम सभी की भावनाओं का सम्मान करते हैं और न्याय के साथ काम करेंगे. सरकार कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी. धर्म के नाम पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए. कानून को अपना काम करने दें."
ज्ञात रहे कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को मस्जिद को लेकर गरमागरम बहस हुई, जिसका निर्माण कानूनी विवाद का विषय भी है.
मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेप
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "राज्य में सभी धर्मों के लोगों का सम्मान किया जाता है. कानून को अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस स्थिति के कारणों की जांच की जा रही है. मंत्री ने इस संबंध में बयान दिया है कि किसी को भी राज्य में कानून-व्यवस्था को बाधित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी."
शिमला में दक्षिणपंथी विरोध प्रदर्शन
इस बीच, कई हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने गुरुवार को शिमला के चौड़ा मैदान में विधानसभा के निकट विशाल विरोध प्रदर्शन किया और संजौली में मस्जिद को गिराने की मांग की. देव भूमि क्षेत्रीय संगठन के अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर, जिन्होंने "सनातनियों" से शिमला में एकत्र होने का आह्वान किया था, ने कहा कि राज्य भर से लोगों ने उनके आह्वान पर प्रतिक्रिया दी और "सनातन एकता" का प्रदर्शन किया.
व्यापारी पर हमले से भड़का मुद्दा
दरअसल इस मुद्दे के भड़कने के पीछे एक घटना है, जो 1 सितम्बर को घटित हुई थी. इस घटना में एक व्यपारी पर कुछ लोगों ने हमला किया था. बताया जा रहा है कि हमलावर मुस्लिम समुदाय से थे.
गुरुवार को जो विरोध प्रदर्शन हुआ वो इसी 1 सितंबर की घटना को लेकर हुआ, जिसमें मलयाणा क्षेत्र में एक व्यापारी पर हमला हुआ था, जो कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा किया गया था. घटना के तुरंत बाद लोग संजौली के बाहरी क्षेत्र मलयाणा में एकत्र हुए और वहां स्थित मस्जिद को गिराने की मांग करने लगे.
बाहरी लोगों की बढ़ रही है संख्या
रुमित सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि बाहरी लोग बड़ी संख्या में हिमाचल प्रदेश में आ रहे हैं और उन्होंने सरकार से उनकी पहचान सत्यापित करने तथा उनके व्यापार का पंजीकरण करने की मांग की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को उन्हें फोन किया था और मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया था.
सभी निवासियों के समान अधिकार हैं: मुख्यमंत्री
सुक्खू ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि राज्य के सभी निवासियों के अधिकार समान हैं और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा, "शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति है लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी."
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