वित्तीय संकट में हिमाचल, MLA की सैलरी के लिए नहीं पैसे! जानें क्या कर रही सुक्खू सरकार
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वित्तीय संकट में हिमाचल, MLA की सैलरी के लिए नहीं पैसे! जानें क्या कर रही सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार एक बार फिर मुश्किल में है. इस बार संकट वित्तीय है.


Singh Sukhu Government Financial Crisis: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार एक बार फिर मुश्किल में है. इस बार संकट वित्तीय है. हाल ही में कैबिनेट ने विधायकों और मुख्य संसदीय सचिवों का वेतन दो महीने के लिए टालने का फैसला किया है. इस निर्णय से राजनीतिक वाद-विवाद शुरू हो गया है. जहां सुखू ने वित्तीय संकट के लिए अपने पूर्ववर्ती जय राम ठाकुर की भाजपा सरकार और एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को दोषी ठहराया है. जबकि भाजपा ने इसका दोष कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के 'वित्तीय कुप्रबंधन' पर डाला है.

हालांकि, सुक्खू ने इस संकट को एक "अस्थायी बाधा" बताकर कमतर आंका है. लेकिन यहां एक अनुमान दिया गया है कि यह कितना बड़ा है और इसे कम करने के लिए उनकी सरकार क्या कदम उठा रही है.

हिमाचल पर कर्ज

राज्य का कुल कर्ज अब 90,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है. फिलहाल यह करीब 86,589 करोड़ रुपये है और अगले वित्त वर्ष तक इसके 1 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. राज्य का लोन साल 2018 में 47,906 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 76,651 करोड़ रुपये हो जाएगा. हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या लगभग 77.56 लाख है और प्रति व्यक्ति ऋण 1.17 लाख रुपये है, जो अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है.

बजटीय गणित

हिमाचल प्रदेश ने 2024-2025 के बजट में 52,965 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, इसमें कर्ज की अदायगी शामिल नहीं है. प्राप्तियां (उधारों को छोड़कर) 42,181 करोड़ रुपये और शुद्ध उधारी 7,340 करोड़ रुपये आंकी गई है. खर्चों में से 20,639 करोड़ रुपये वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर खर्च होने की उम्मीद है. विधानसभा में लिखित जवाब में सुखू ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 21,366 करोड़ रुपये उधार लिए हैं. इसमें से 5,864 करोड़ रुपए चुकाए जा चुके हैं. जबकि 2,810 करोड़ रुपए पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग से उधार लिए गए हैं.

संकट का कारण

मौजूदा संकट के पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले राज्य ने अत्यधिक उधार लिया, जो चुनावी रियायतों से संबंधित खर्चों, केंद्रीय अनुदान में कमी और अपर्याप्त राजस्व सृजन के कारण और भी बढ़ गया. कांग्रेस द्वारा किए गए पांच चुनावी वादों में से एक वादा यह भी है कि 18 से 60 वर्ष की आयु की पांच लाख महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाएंगे, जिससे राज्य के खजाने पर सालाना करीब 800 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. इसके अलावा मुफ्त बिजली आपूर्ति का वादा भी है, जिसे अब कुछ खास वर्गों तक ही सीमित कर दिया गया है. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से शुरू करने से राज्य को हर साल 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. राज्य में 189,466 से ज़्यादा पेंशनभोगी हैं, जिनकी संख्या 2030-31 तक बढ़कर 238,827 हो जाने की उम्मीद है. सालाना पेंशन का बोझ भी करीब 20,000 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा. पिछली भाजपा सरकार द्वारा दी गई अनेक सब्सिडी से भी राज्य के खजाने पर बोझ पड़ा. अब सरकार उन पर पुनर्विचार कर रही है.

उधार में कमी

सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि केंद्र ने वित्त वर्ष 2024 के लिए राज्य के राजस्व घाटा अनुदान में 1,800 करोड़ रुपये की कटौती की है. यह राशि अभी 6,258 करोड़ रुपये है और अगले वित्त वर्ष में यह घटकर 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगी. राज्य की उधारी सीमा में भी 5,500 करोड़ रुपए की कटौती की गई है. अब तक राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत तक उधार ले सकता था. लेकिन अब केवल 3.5 प्रतिशत ही उधार लिया जा सकेगा. राज्य की उधार लेने की क्षमता अब 14,500 करोड़ रुपये से घटकर 9,000 करोड़ रुपये रह गई है.

सुक्खू ने यह भी दावा किया है कि ओपीएस को दोबारा लागू करने से राज्य की उधार लेने की क्षमता में लगभग 2,000 करोड़ रुपये की कमी आई है. इसके अलावा, कांग्रेस सरकार ने केंद्र पर पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से आपदा-पश्चात आवश्यकता मूल्यांकन (पीडीएनए) निधि में 9,042 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली निधि में 9,200 करोड़ रुपये रोके रखने का आरोप लगाया है.

भाजपा पर आरोप

सुक्खू ने इस संकट के लिए जय राम ठाकुर के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण के दौरान सुक्खू ने दावा किया कि ठाकुर सरकार ने मुफ्त पानी और बिजली उपलब्ध कराकर राज्य के खजाने पर 1,080 करोड़ रुपये का बोझ डाला है. उन्होंने भाजपा सरकार पर 15वें वित्त आयोग के तहत राजस्व घाटा अनुदान के रूप में राज्य को मिले 10,000 करोड़ रुपये के कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया है. साथ ही, सुक्खू ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर निजी कम्पनियों को जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित करने की अनुमति देकर राज्य और यहां के लोगों के हितों से समझौता करने का आरोप लगाया है.

भाजपा का आरोप

भाजपा ने सुक्खू सरकार पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि वह झूठे वादों पर सत्ता में आई है. विधानसभा में विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर पेंशनर्स कल्याण कोष से उधार लेने के बावजूद वेतन और पेंशन जारी करने में देरी करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी दावा किया है कि कैबिनेट सदस्यों के वेतन स्थगित करने के बाद, सुक्खू एक महीने बाद सरकारी कर्मचारियों से भी ऐसा ही करने को कहेंगे. ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने सात लोगों को कैबिनेट रैंक देकर सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ा दिया है, जिनमें से चार विधायक चुने भी नहीं गए हैं. इसके अलावा, छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बना दिया गया है. ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था. लेकिन अब 125 यूनिट पर सब्सिडी खत्म कर दी है. सरकार के पास सरकारी कर्मचारियों के लंबित डीए और अन्य भत्ते जारी करने के लिए पैसे नहीं हैं.

संकट से निपटना

हिमाचल सरकार ने करदाताओं के लिए बिजली सब्सिडी पहले ही बंद कर दी है. अब, केवल बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवार, एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (आईआरडीपी) के तहत आने वाले लोग और कमज़ोर वर्ग को ही सब्सिडी मिलेगी, जिसकी वजह से राज्य बिजली बोर्ड को वित्त वर्ष 24 में 1,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इससे लगभग 200 करोड़ रुपए की बचत होगी. सुक्खू ने यह भी घोषणा की है कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई कई सब्सिडी की समीक्षा की जाएगी. सरकार ने कुछ सब्सिडी वापस लेना भी शुरू कर दिया है.

होटल जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ पहुंचाने वाली चौदह सब्सिडी की समीक्षा की जाएगी और उन्हें तर्कसंगत बनाया जाएगा. अब ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, निजी संस्थानों और होमस्टे से पानी का शुल्क वसूला जाएगा. होटल मालिकों को दी जाने वाली सब्सिडी वाली बिजली खत्म कर दी जाएगी. नवंबर 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा सरकार ने 3,000 राज्य रोडवेज बसों में मुफ्त बस यात्रा की घोषणा की. सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस सरकार अब महिलाओं को बस किराए में 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी.

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