
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का SIR मिशन: हर बूथ पर वार रूम और 24 घंटे निगरानी टीम
अभिषेक बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल ने शुरू की राज्यव्यापी चौकसी मुहिम, चुनाव आयोग की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रखी जाएगी कड़ी नजर
वार रूम बनाने से लेकर बूथ-स्तर पर ‘शैडो एजेंट्स’ तैनात करने तक — तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अब एक “फुल-टाइम निगरानी तंत्र” के रूप में उभर रही है ताकि चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के दौरान “एक भी असली मतदाता का नाम मतदाता सूची से न हटे।”
यह योजना टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की अध्यक्षता में हुई एक लंबी वर्चुअल बैठक के बाद शुरू की गई। इस बैठक में राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के करीब 18,000 नेता शामिल हुए। यह सत्र पार्टी के लिए एक तरह का “कमांड ब्रीफिंग” बन गया, जिसे बनर्जी ने संगठन के लिए “एसिड टेस्ट” बताया।
294 वार रूम बनाए जाएंगे
पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक वार रूम यानी कुल 294 वार रूम स्थापित करने का फैसला किया है। ये वार रूम अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में SIR प्रक्रिया के समन्वय के लिए नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करेंगे।
इन इकाइयों की निगरानी स्थानीय विधायक करेंगे, जबकि जहां टीएमसी का विधायक नहीं है, वहां ब्लॉक अध्यक्ष इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे।
प्रत्येक वार रूम में 15 सदस्यीय टीम होगी — जिनमें 10 कोऑर्डिनेटर बूथ-स्तर के एजेंट्स (BLA-2) से सीधा संपर्क रखेंगे, जबकि 5 प्रशिक्षित सदस्य डेटा एंट्री और रिकार्ड रखने का काम करेंगे।
इन केंद्रों में लैपटॉप, इंटरनेट कनेक्शन और कम से कम 4-5 कंप्यूटर-जानकार कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे।
बूथ स्तर पर ‘ऑपरेशन’ की तैयारी
आने वाले कई महीनों तक टीएमसी का अभियान बूथ स्तर पर केंद्रित रहेगा। चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) आगामी 4 नवंबर से घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन करेंगे।
बनर्जी ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक BLO के साथ पार्टी का BLA-2 एजेंट लगातार मौजूद रहेगा — यानी हर सरकारी अधिकारी के साथ एक पार्टी प्रतिनिधि रहेगा जो पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेगा और जरूरत पड़ने पर सहायता भी करेगा।
पूर्व मेदिनीपुर, जो भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का गृह जिला है, वहां मतदाता नामों की कटौती पर विवादों को निपटाने के लिए एक विशेष कानूनी प्रकोष्ठ बनाया जाएगा।
वहीं बीरभूम में बनर्जी ने स्थानीय नेता अनुव्रत मंडल को आपसी गुटों के बीच समन्वय का जिम्मा सौंपा है।
राज्यभर के 80,000 से अधिक बूथों पर एजेंट्स
टीएमसी 3 नवम्बर तक राज्य के 80,000 से अधिक बूथों पर कार्यरत सभी BLA-2 एजेंट्स की सूची चुनाव आयोग को सौंप देगी।
ये एजेंट्स जिला स्तर के BLA-1 के मार्गदर्शन में काम करेंगे, जो पार्टी संगठन, चुनाव अधिकारियों और राज्य नेतृत्व के बीच कड़ी का काम करेंगे।
दो नए पद बनाए गए
टीएमसी ने इस अभियान के लिए दो नए संगठनात्मक पद सृजित किए हैं —
1. ब्लॉक इलेक्टोरल रोल सुपरवाइज़र (BERS)
2. पंचायत इलेक्टोरल रोल सुपरवाइज़र (PERS)
ये पद ग्रामीण इलाकों में मतदाता सूची कार्यों के समन्वय की जिम्मेदारी संभालेंगे।
नगर निकाय क्षेत्रों में, प्रत्येक वार्ड में इसी प्रकार की जिम्मेदारी निभाने के लिए एक व्यक्ति नियुक्त किया जाएगा। टीएमसी का एसआईआर मिशन: चौबीसों घंटे निगरानी, बीएलओ पर सख्त नजर, हर मतदाता तक पहुंचने की रणनीति
टीएमसी नेताओं चंद्रिमा भट्टाचार्य और कुनाल घोष ने शुक्रवार (31 अक्टूबर) को दावा किया कि वर्ष 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी और आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित उसकी डिजिटल प्रति में कई बड़े अंतर पाए गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के नाम पर चयनात्मक तरीके से मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जिसके चलते अभिषेक बनर्जी ने खुद पूरी प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्णय लिया।
बीएलओ की गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी
इसका सीधा मतलब है कि अब बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) की गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक सहायता शिविर लगाए जाएंगे, जहां पार्टी के स्वयंसेवक स्थानीय निवासियों को एन्यूमरेशन फॉर्म भरने में मदद करेंगे।
बनर्जी ने यह भी निर्देश दिया कि, “बीएलओ एक मिनट के लिए भी हमारी निगाह से ओझल नहीं होने चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पार्टी एजेंट्स को हर उस घर पर मौजूद रहना चाहिए, जहां बीएलओ मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं।
राजनीतिक रणनीति का हिस्सा
यह अभियान सिर्फ तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। ग्रामीण बंगाल में पहले हुए चुनावों में टीएमसी का दबदबा रहा है, और अब पार्टी उस बढ़त को मतदाता सूचियों की सुरक्षा के ज़रिए बनाए रखना चाहती है।
बनर्जी ने अपने सहयोगियों से कहा —“भाजपा चुनाव आयोग का इस्तेमाल करके मतदाता सूची में गुप्त रूप से हेरफेर करने की कोशिश कर रही है। एसआईआर की यह प्रक्रिया असल में एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई की अग्रिम पंक्ति है।”
जिलावार विशेष आदेश
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जिलों को विशेष निर्देश पहले ही भेजे जा चुके हैं।
* अल्पसंख्यक बहुल मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में नेताओं से कहा गया है कि वे सुनिश्चित करें कि प्रवासी मजदूरों के नाम मतदाता सूची में बने रहें, भले ही इसके लिए उन्हें अन्य राज्यों से बुलाना पड़े ताकि वे फॉर्म भर सकें।
* जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार जिलों में कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वे चाय बागानों से बाहर निकलकर हर श्रमिक बस्ती तक पहुंचें।
* पूर्व मेदिनीपुर, जो भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का गृह जिला है, वहां मतदाता नाम कटौती के विवादों को सुलझाने के लिए एक विशेष कानूनी प्रकोष्ठ बनाया जाएगा।
* वहीं बीरभूम में बनर्जी ने स्थानीय नेता अनुव्रत मंडल को सभी गुटों के बीच समन्वय की जिम्मेदारी दी है।
हिंदू मतुआ समुदाय तक पहुंच
टीएमसी की यह निगरानी योजना सामुदायिक स्तर तक फैलाई जा रही है।
बनर्जी ने कथित तौर पर हिंदू मतुआ समुदाय में बढ़ती चिंता का उल्लेख करते हुए कहा कि पार्टी को उनके भय को दूर कर इसे संगठनात्मक मजबूती में बदलना होगा।
सड़क से लेकर कागज़ तक की लड़ाई
टीएमसी ने कहा है कि वह सड़क पर प्रदर्शन से लेकर कानूनी लड़ाई तक के लिए तैयार है,
लेकिन बनर्जी ने साफ किया कि असली संघर्ष कागज़ी मोर्चे पर है —यानी यह सुनिश्चित करना कि हर असली मतदाता का फॉर्म भरा जाए और सभी दस्तावेज़ सत्यापित हों।
वार रूम होंगे “कमान केंद्र”
राज्यभर में चल रही इस प्रक्रिया के दौरान वार रूम ही मुख्य कमांड सेंटर होंगे —यहीं से संचार, डेटा प्रबंधन और समस्याओं के समाधान का काम होगा।
जैसे-जैसे पुनरीक्षण हजारों बूथों में आगे बढ़ेगा, ये वार रूम अभियान की रीढ़ बनेंगे।
हजारों ग्राम पंचायतों और शहरी वार्डों में समानांतर अभियान
पश्चिम बंगाल के लगभग 3,500 ग्राम पंचायतों और 2,500 से अधिक शहरी वार्डों में एक साथ ये गतिविधियां चलेंगी —
लगातार फोन समन्वय, दिनभर टीएमसी कैडरों की उपस्थिति, और आयोग की टीमों के साथ छाया की तरह निगरानी (shadowing) इस पूरी मुहिम की पहचान होगी।
“एक भी असली मतदाता का नाम न हटे”
बैठक में शामिल एक कार्यकर्ता के अनुसार, अभिषेक बनर्जी ने कहा —“हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न तो भाजपा और न ही चुनाव आयोग किसी असली मतदाता का नाम हटा सके।”
उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा कि अगले छह महीनों में सभी कार्यकर्ताओं की निष्ठा और सतर्कता की परीक्षा होगी।
टीएमसी की यह व्यापक निगरानी योजना ऐसे समय आई है जब मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर यह आरोप लग रहे हैं कि इसका इस्तेमाल वैध मतदाताओं के नाम हटाने के लिए किया जा रहा है।

