
जाट खापें धनखड़ के समर्थन में, लेकिन ‘गुरु’ देवी लाल का परिवार चौंकाने वाले इस्तीफे पर बंटा हुआ
अभय सिंह, अजय सिंह और दुष्यंत चौटाला पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के समर्थन में आए। देवी लाल ने ही धनखड़ को राजनीति में प्रवेश दिलाया था।
मार्च में, तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जो राजस्थान के जाट हैं, ने स्वर्गीय चौधरी देवी लाल को अपना गुरु मानते हुए उनकी भरपूर प्रशंसा की थी। वकील से नेता बने धनखड़ ने कहा था कि उनकी राजनीति में चढ़ाई तभी शुरू हुई जब देवी लाल ने उन्हें ‘प्लीडर’ से ‘लीडर’ बनने की सलाह दी थी, यह उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ था।
ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि जब उन्होंने मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही की अध्यक्षता करने के बाद सोमवार रात स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, तो हरियाणा की विभिन्न जाट खाप पंचायतों और देवी लाल के परिवार से उन्हें सहानुभूति मिली।
देवी लाल के पोते और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने धनखड़ के इस्तीफे को एक साज़िश बताया, और कहा कि उन्होंने किसानों से किए वादों को पूरा न करने को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किए थे।
"जो खेत में हल चलाता है, जब संसद में सवाल करता है तो कुर्सियाँ काँप जाती हैं।"
दिसंबर 2024 में, मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह पूछा था कि सरकार ने किसानों से जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ। यह सवाल उन्होंने तब उठाया था जब चौहान उसी मंच से उनसे पहले बोल चुके थे।
अभय चौटाला का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें मजबूरन इस्तीफा देने पर विवश किया।
मंगलवार को सोशल मीडिया पर लाइव आकर उन्होंने कहा, “जिसने खेत में हल चलाया हो वो जब संसद में सवाल करता है तो कुर्सियाँ काँप ही जाती हैं। एक किसान का बेटा जब देश के उच्चतम संवैधानिक पद पर बैठकर सरकार से पूछता है ‘किसानों से जो वादे किए थे उन्हें निभाया क्यों नहीं’ तो जवाब की जगह इस्तीफे की साजिश रच दी जाती है।”
"BJP किसानों की बात करने वाले व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं कर सकती"
अभय चौटाला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किसान हितैषी दृष्टिकोण के कारण धनखड़ को हटवाया। मीडिया रिपोर्ट्स में अभय चौटाला के हवाले से कहा गया है, “धनखड़ जी, जो चौधरी देवी लाल की राजनीति से प्रशिक्षित हैं, हमेशा किसानों की भलाई की ही बात करते हैं। उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि मोदी-शाह की जोड़ी ने उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर किया।”
देवी लाल के परपोते और जननायक जनता पार्टी (JJP) के नेता दुष्यंत चौटाला ने इस इस्तीफे को देश और हरियाणा के लिए “बड़ी क्षति” बताया।
बुधवार को पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में दुष्यंत ने स्वास्थ्य कारण को खारिज करते हुए कहा कि “असल कारण जल्द सामने आएंगे।”
दुष्यंत 2019 से 2024 तक हरियाणा में भाजपा-जजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। मार्च 2024 में भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़ दिया था।
"हमारे पारिवारिक और राजनीतिक संबंध भी हैं" — अजय चौटाला
दुष्यंत के पिता अजय सिंह चौटाला ने याद किया कि 1993 से 1998 तक वे राजस्थान विधानसभा में धनखड़ के साथ विधायक थे। अजय नोहर से जबकि धनखड़ किशनगढ़ से चुने गए थे।
उन्होंने कहा, “हमारे पारिवारिक संबंध भी हैं।”
अजय ने ‘स्वास्थ्य कारणों’ की बात को नकारते हुए कहा कि सामान्य राजनीतिक समझ रखने वाला व्यक्ति भी इस इस्तीफे के पीछे के कारण समझ सकता है। उन्होंने कहा कि धनखड़ का जाना हरियाणा की जनता को निराश कर गया है, क्योंकि वे एक जाट नेता के रूप में उच्च संवैधानिक पद पर थे।
परिवार में मतभेद: रंजीत सिंह ने उठाए सवाल
देवी लाल के छोटे बेटे रंजीत सिंह ने इस्तीफे के हालात पर एक संतुलित दृष्टिकोण रखा। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा और बाद में विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बने।
मीडिया रिपोर्ट्स में रंजीत सिंह के हवाले से कहा गया है कि उपराष्ट्रपति जैसे पद पर रहते हुए धनखड़ को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायकों की बैठक बुलाना, विपक्षी नेताओं से लगातार मिलना, और सरकार की कृषि नीति की आलोचना करना उस पद की गरिमा के अनुरूप नहीं था, जो एक "औपचारिक और प्रतीकात्मक" पद है।
जाट खापों में नाराज़गी, समर्थन में लामबंदी
हरियाणा में धनखड़ खाप के अध्यक्ष युधवीर सिंह धनखड़ और कंडेला खाप के प्रमुख टेक राम कंडेला समेत कई खाप नेता खुले तौर पर उनके समर्थन में आ गए हैं।
युधवीर ने भाजपा पर “राजनीतिक खेल” के तहत धनखड़ को हटाने का आरोप लगाया और कहा, “यह पार्टी इस समुदाय से बहुत दूर हो चुकी है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इस इस्तीफे के दूरगामी राजनीतिक परिणाम होंगे।
“वो हमारे गोती भाई हैं। उनका इस्तीफा हर खाप और जाट समाज में आक्रोश का कारण बना है। जब उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया था, तो उन्हें कार्यकाल पूरा करने देना चाहिए था। अब उनके दफ्तर को सील करने जैसी खबरें सोशल मीडिया पर फैल रही हैं, जिससे समाज में रोष है।”
धनखड़ को अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति बनाया गया था और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था।
"बीमार नहीं थे, कार्यक्रम पहले से तय थे"
कंडेला खाप प्रमुख टेक राम ने कहा कि स्वास्थ्य केवल एक बहाना है, असली कारण कुछ और हैं।
कई अन्य जाट नेताओं ने भी यह कहा कि धनखड़ न केवल संसदीय कार्यवाही में सक्रिय रूप से शामिल थे, बल्कि उनके अगले दो दिन के कार्यक्रम भी पहले से तय थे, जो बीमार होने की बात को झुठलाता है।
जाटों के रिश्ते और दूरी: विरोधाभास
धनखड़ और जाट समुदाय का रिश्ता जटिल रहा है। दिसंबर 2023 में जब विपक्षी सांसदों ने संसद में उनका उपहास किया, तब अधिकतर खाप और जाट नेता उनके पक्ष में सामने नहीं आए थे। उस वक्त धनखड़ ने इसे अपने समुदाय का अपमान बताया था। इसके अलावा, 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने भाजपा सरकार का समर्थन किया था, जिससे समुदाय उनसे दूर हो गया था।