2023 में दीवाल फांदे इस दफा घर के बाहर.. योगी से क्यों खफा हुए अखिलेश
गोमती नगर स्थित JPNIC में निर्माण का हवाला दे एलडीए ने परमिशन नहीं दी थी। लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए अड़े हैं।
Jay Prakash Narayan Birth Anniversary: महापुरुष किसी खास दल के नहीं होते। लेकिन भारत में महापुरुषों के नाम पर सियासत का पुराना इतिहास है। ताजा मामला लखनऊ में लोकनायक जय प्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण से जुड़ा हुआ है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जेपी की जयंती पर माल्यार्पण करना चाहते थे। लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण ने निर्माण स्थल का हवाला देते हुए इजाजत देने से इनकार कर दिया था। इस मामले में अखिलेश यादव रात में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर पहुंचे । एक बोर्ड पर समाजवादी पार्टी जिंदाबाद का नारा भी लिखा नजर आया। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अखिलेश जी माल्यार्पण ना कर सकें इसके लिए टिन से उस स्थल को ढक दिया गया। अब इस विषय में सियासत भी शुरू हो चुकी है। इस सियासी महाभारत का मायने क्या है उसे समझने से पहले किसने क्या कहा और किया उसे जानना भी जरूरी है।
अखिलेश यादव का यह ट्ववीट 10 अक्टूबर की रात करीब 12 बजे का है।
उन्होंने यह ट्वीट इस नजारे के बाद किया
अब इस तरह की तस्वीर और अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया के बाद यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय भी चुप नहीं रहे। उन्होंने भी आक्रामक तरीके से बीजेपी सरकार को घेरा।
अजय राय के ट्वीट के बाद अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से एक और ट्वीट किया जिसमें बीजेपी सरकार को जमकर कोसा गया।
अखिलेश यादव जब रात में गोमतीनगर स्थित जेपीएनआईसी पहुंचे तो बीजेपी की तरफ से सवाल उठाया गया कि आखिर सपाई रात में ही किसी जगह पर क्यों जाते हैं। जब एलडीए ने निर्माण कार्यों का हवाला देते हुए इजाजत नहीं दी तो इस तरह की हरकत समाजवादी ही कर सकते हैं।
जेपीएनआईसी की पूरी कहानी
जय प्रकाश नारायण का सामाजिक क्रांति का पुरोधा कहा जाता है। उनके मार्गदर्शन में यूपी और बिहार के कई नेता सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे। मुलायम सिंह यादव भी उनमें से एक थे। मुलायम सिंह चाहते थे कि जेपी के नाम पर एक सेंटर यूपी में भी होना चाहिए। अपनी सरकार के दौरान काम भी शुरू किया। लोहिया पार्क के एक हिस्से में सेंटर बनाने का काम शुरू हुआ। एलडीए को जिम्मेदारी मिली। लेकिन यह परियोजना जमीन पर उतरे 2007 में सरकार मायावती की आ गई और यह योजना फाइलों में ही अटक गई। 2012 में जब अखिलेश यादव ने सत्ता संभाली तो एक बार फिर परियोजना ने गति पकड़ी। काम भी शुरू हुआ लेकिन आरोप भी लगने शुरू हुए।
इस संबंध में कैग की रिपोर्ट आई जिसमें चौंकाने वाले दावे थे जैसे बिना टेंडर ही कई काम तो अमलीजामा पहनाया गया। सेंटर में एसी सिस्टम लगाने के नाम पर एलडीए के अफसर चीन का दौरा तक कर आए। साल 2017 में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो निर्माण पर रोक लगा। यह पूरा मामला हाईकोर्ट की दहलीज तक जा पहुंचा लेकिन रोक जारी रही। खास बात यह है कि बीजेपी के मौजूदा राज्यसभा सांसद संजय सेठ की कंपनी शालीमार इसका निर्माण कार्य कर रही थी। उस वक्त संजय सेठ समाजवादी पार्टी के ही कोषाध्यक्ष थे।
विवाद की वजह
साल 2016 में अधूरे निर्माण के बीच अखिलेश यादव ने इस सेंटर का उद्घाटन किया। लेकिन सरकार बदलने के बाद जब योगी सरकार ने जांच बैठाई उसके बाद से विवाद शुरू हुआ। समाजवादी पार्टी का कहना है कि बीजेपी इस सेंटर को चुपके चुपके बेचने के फिराक में है। पिछले साल यानी 2023 में जब अखिलेश यादव माल्यार्पण करने के लिए सेंटर पहुंचे तो उन्हें रोका गया। हालांकि दीवाल फांद कर वो कैंपस में पहुंचे। 18 मंजिला इस इमारत के निर्माण में की कीमत 861 करोड़ रुपए थी लेकिन खर्चा 880 करोड़ हुए। अभी भी कुछ निर्माण कार्य बचा हुआ है।
अब सवाल यह है कि इसमें किसका फायदा और किसका नुकसान है। इस संबंध में जानकार कहते हैं कि जेपी के नाम पर बीजेपी को कभी आपत्ति नहीं रही है। लिहाजा उनके विरोध करने की वजह नहीं है। यह विशुद्ध तौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी की राजनीति है। बीजेपी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि समाजवादी पार्टी जिस शख्सियत को अपना आदर्श बताती है उसके नाम पर भी घोटाला करने से बाज नहीं आई।