झारखंड DGP अनुराग गुप्ता पर विवाद, रिटायरमेंट से पहले ही विवादों में नियुक्ति
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झारखंड DGP अनुराग गुप्ता पर विवाद, रिटायरमेंट से पहले ही विवादों में नियुक्ति

फरवरी में नियुक्त किए गए डीजीपी इस महीने के अंत में 60 साल के हो जाएंगे। लेकिन हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें 2 साल का कार्यकाल दिया है।


झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता 26 अप्रैल को 60 साल के हो रहे हैं और सरकारी नियमों के अनुसार उन्हें 30 अप्रैल के बाद सेवानिवृत्त (रिटायर) होना चाहिए। लेकिन झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने फरवरी 2024 में उन्हें नियमित DGP के तौर पर दो साल के लिए नियुक्त कर दिया और वह जुलाई 2026 तक पद पर बने रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ नियुक्ति?

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के प्रसिद्ध प्रकाश सिंह मामले में साफ निर्देश दिया था कि राज्य सरकारें DGP की नियुक्ति UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) के बनाए तीन सीनियर अफसरों की सूची से करें। DGP को कम से कम दो साल का कार्यकाल दिया जाए, चाहे उनकी उम्र 60 साल हो चुकी हो। यह सब प्रक्रिया राजनीतिक दबाव से पुलिस को बचाने के लिए तय की गई थी। लेकिन अनुराग गुप्ता की नियुक्ति में UPSC को शामिल नहीं किया गया, जिससे यह मामला अब कानूनी विवाद बन गया है।

दो अदालतों में कानूनी लड़ाई

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में "न्यायालय की अवमानना" बताकर चुनौती दी है। उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यह नियुक्ति और सेवा विस्तार गैर-कानूनी है। लेकिन दोनों अदालतों में सुनवाई अनुराग गुप्ता के रिटायरमेंट (30 अप्रैल) के बाद होनी है:

- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: 6 मई

- झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई: 16 जून

मरांडी ने कहा कि वे कोर्ट से तारीख आगे बढ़ाने की अपील करेंगे, ताकि फैसला 30 अप्रैल से पहले आ सके।

राज्य सरकार ने बनाई अपनी नियमावली

झारखंड सरकार ने DGP की नियुक्ति के लिए एक नई प्रक्रिया बनाई, जिसमें एक छह सदस्यीय समिति (जिसमें हाई कोर्ट के पूर्व जज, मुख्य सचिव, गृह सचिव, झारखंड और UPSC के प्रतिनिधि शामिल हैं)। यह समिति 3-5 अफसरों के नाम सुझाएगी। राज्य सरकार उनमें से किसी एक को DGP नियुक्त कर देगी। लेकिन ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन से मेल नहीं खाती। क्योंकि कोर्ट ने UPSC के जरिए चयन को अनिवार्य बताया था।

सवालों के घेरे में प्रक्रिया

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य सरकार की यह नई प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक नया कानून न बने, तब तक सभी सरकारें केवल सुप्रीम कोर्ट की बताई प्रक्रिया का पालन करें।

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