राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राजभवन का किया दुरुपयोग: CM सिद्धारमैया
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राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राजभवन का किया दुरुपयोग: CM सिद्धारमैया

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा मुडा घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के फैसले को राजभवन का दुरुपयोग बताया.


CM Siddaramaiah Criticised Governor Thaawarchand Gehlot: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) साइट आवंटन घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के फैसले की आलोचना की और इसे 'असंवैधानिक' और राजभवन का दुरुपयोग बताया.

कर्नाटक के सीएम ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की अनुमति देना असंवैधानिक है. राजभवन का दुरुपयोग किया गया है. हमने कैबिनेट में राज्यपाल के कदम की निंदा की है. सिद्धारमैया ने न्यूज एजेसी से कहा कि हमने कैबिनेट में राज्यपाल के कदम की निंदा की है और इसे अदालत में चुनौती दी है.

बता दें कि सोमवार को सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें राज्यपाल के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें मुडा साइट आवंटन घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई थी. जवाब में, हाई कोर्ट ने सिद्धारमैया के खिलाफ निजी शिकायतों की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत को अपनी कार्यवाही स्थगित करने और 29 अगस्त को अगली सुनवाई तक कोई भी जल्दबाजी में कार्रवाई करने से परहेज करने का निर्देश दिया.

कर्नाटक के राज्यपाल ने कार्यकर्ताओं की याचिकाओं के आधार पर 17 अगस्त को सिद्धारमैया के खिलाफ 'भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218' के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी. घोटाले के बारे में विस्तृत जानकारी ने कर्नाटक में राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें विपक्षी दल सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जबकि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने दावा किया है कि वह पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे.

बता दें कि कथित घोटाले में दावा किया गया है कि मैसूर के एक प्रमुख स्थान पर प्रतिपूरक भूखंडों को विवादास्पद 50:50 अनुपात योजना के तहत सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को अनुचित तरीके से आवंटित किया गया था. इस योजना में 3 एकड़ और 16 गंट अविकसित भूमि को विकसित आवासीय क्षेत्र में 14 साइटों के बदले में बदलना शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ हुआ. भाजपा नेताओं का अनुमान है कि यह घोटाला 4,000 करोड़ से 5,000 करोड़ रुपये के बीच है.

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