बैंकों में अवैध जमा धन पर कर्नाटक सरकार क्यों हुई सतर्क, खेल बहुत बड़ा
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बैंकों में अवैध जमा धन पर कर्नाटक सरकार क्यों हुई सतर्क, खेल बहुत बड़ा

सीबीआई जांच की संभावना अब कर्नाटक सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि इसमें सरकारी अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है।


कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि अधिकारी, विशेषकर बोर्ड और निगमों के अधिकारी, ब्याज कमाने के लिए विभिन्न बैंकों में अवैध रूप से धन जमा करते हैं तथा उनमें से कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके इस धन का दुरुपयोग करते हैं।

हाल ही में हुई कुछ घटनाओं ने इस मुद्दे पर प्रकाश डाला है, जिसके कारण राज्य सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ सभी व्यापारिक लेन-देन पर 15 दिनों के लिए रोक लगा दी है। करोड़ों रुपये की कथित हेराफेरी ने इन फंडों के प्रबंधन को जांच के दायरे में ला दिया है।

वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द फेडरल को बताया कि यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि क्या कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) और कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) के अधिकारी इन बैंकों में अवैध रूप से धन जमा करने में शामिल थे।

सीबीआई जांच की संभावना

सीबीआई जांच की संभावना अब सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। नियमों के अनुसार, राष्ट्रीयकृत बैंकों में 1 करोड़ रुपये से अधिक की कोई भी बैंक धोखाधड़ी स्वतः ही सीबीआई जांच की ओर ले जाती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि सीबीआई जांच संभावित रूप से सरकारी अधिकारियों को फंसा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे परिणाम हो सकते हैं जो उनके नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं।

सरकार की परेशानी को और बढ़ाने वाला वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाला है, जिसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खातों से करीब 97 करोड़ रुपये धोखाधड़ी से ट्रांसफर किए गए। कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के 12 करोड़ रुपये के एफडी से जुड़े पीएनबी मामले और केएसपीसीबी के 10 करोड़ रुपये की कथित ठगी से जुड़े एसबीआई मामले में इस बात को लेकर गंभीर चिंताएं हैं कि ठगी का पैसा कहां गया। इससे संदेह पैदा हुआ है कि वाल्मीकि कॉरपोरेशन मामले जैसा ही एक और घोटाला केआईएडीबी और केएसपीसीबी में हुआ हो सकता है।

इन घटनाक्रमों ने सरकार को तेजी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है, क्योंकि उनका उद्देश्य आगे होने वाले नुकसान को कम करना है। सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि ये चिंताएँ एसबीआई और पीएनबी के साथ सभी व्यापारिक लेन-देन को रोकने और गहन आंतरिक जाँच शुरू करने के निर्णय में महत्वपूर्ण थीं।

धन का गबन कैसे हुआ?

वर्तमान में जांच के दायरे में सबसे उल्लेखनीय मामलों में से एक KIADB का है, जिसने 14 सितंबर, 2021 को PNB की राजाजीनगर शाखा में सावधि जमा में 25 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बैंक ने दो सावधि जमा रसीदें जारी कीं - एक अपनी सलेम शाखा से 12 करोड़ रुपये की और दूसरी 13 करोड़ रुपये की। हालांकि, परिपक्वता के बाद केवल 13 करोड़ रुपये की जमा राशि वापस की गई, जबकि बैंक अधिकारियों द्वारा कथित धोखाधड़ी के कारण 12 करोड़ रुपये की जमा राशि का हिसाब नहीं दिया गया।

इसी तरह, कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (अब एसबीआई का हिस्सा) में जमा 10 करोड़ रुपये को कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करके एक निजी कंपनी को दिए गए ऋण के विरुद्ध समायोजित किया गया था। यह मामला, कई अन्य मामलों की तरह, कई वर्षों से अदालतों में है, जिसका कोई समाधान नहीं दिख रहा है।

एसबीआई और पीएनबी के साथ सभी लेन-देन पर रोक लगाने का राज्य सरकार का फैसला वित्तीय कदाचार को रोकने और यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि सार्वजनिक धन का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्यों के लिए किया जाए। धन की अनधिकृत पार्किंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके, सरकार का लक्ष्य अपने वित्तीय प्रबंधन प्रथाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बहाल करना है। एक विभागीय अधिकारी के अनुसार, जैसा कि वित्त विभाग इन नए निर्देशों के अनुपालन के लिए जोर देता है, इन वित्तीय अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने और भविष्य में ऐसी प्रथाओं को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

वित्तीय घोटाला

यह ताजा कार्रवाई कोई अकेली घटना नहीं है। 2015 में कर्नाटक पंचायत राज विभाग ने विभिन्न बैंकों में अवैध रूप से करोड़ों रुपए जमा कराने से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया था।
तत्कालीन ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री एच.के. पाटिल ने अपने विभाग में वित्तीय अनुशासनहीनता की हद का खुलासा किया। जांच में पता चला कि 134 करोड़ रुपये की बेहिसाब सरकारी धनराशि को एक वरिष्ठ अधिकारी रामकृष्ण द्वारा आंध्रा बैंक के एक खाते में अवैध रूप से जमा किया गया था, जिसे बाद में निलंबित कर दिया गया था। मामले को आगे की जांच के लिए लोकायुक्त को सौंप दिया गया।

आगे की जांच में दो और अनाधिकृत खातों का पता चला – एक सिंडिकेट बैंक में जिसमें 66 करोड़ रुपये थे और दूसरा कॉरपोरेशन बैंक में जिसमें 31 करोड़ रुपये थे, इस प्रकार कुल राशि 97 करोड़ रुपये हो गई।

चौंकाने वाले खुलासे

अब अनधिकृत रूप से धन जमा करने का एक ऐसा ही पैटर्न सामने आया है। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि केआईएडीबी और केएसपीसीबी से जुड़े मामलों की जांच चल रही है। इन मामलों में कथित तौर पर निजी लाभ के लिए बैंकों में सावधि जमा खातों में अवैध रूप से बड़ी मात्रा में धन जमा किया जा रहा है।एक विशेष रूप से चिंताजनक मामला तमिलनाडु के सलेम में पीएनबी शाखा से जुड़ा है, जहां कर्नाटक के भीतर प्रबंधित किए जाने वाले धन के लिए सावधि जमा रसीद जारी की गई थी। इससे यह गंभीर सवाल उठता है कि जब कर्नाटक में कई राष्ट्रीयकृत बैंक उपलब्ध हैं, तो राज्य के बाहर एक बैंक शाखा में धन क्यों रखा गया।

सरकारी धन को अनधिकृत रूप से पार्क करने की जांच के लिए आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं। वित्त विभाग आमतौर पर राज्य बजट में स्वीकृत परियोजनाओं के लिए विभिन्न बोर्डों, निगमों और सहायक विभागों को धन वितरित करता है। हालांकि, यह बात सामने आई है कि इन निधियों का उपयोग आवश्यक विकास परियोजनाओं के लिए करने के बजाय, कुछ बोर्ड और निगम, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थान ब्याज कमाने के लिए बैंकों में पैसा जमा कर रहे हैं, जिससे उनका प्राथमिक उद्देश्य नजरअंदाज हो रहा है।

सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया

सरकार ने इस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें एसबीआई और पीएनबी से सभी सरकारी जमाओं को तत्काल वापस लेने और इन बैंकों में भविष्य में किसी भी तरह की जमा राशि पर रोक लगाने का आदेश दिया गया है। वित्त विभाग (व्यय एवं संसाधन) के सचिव डॉ. पीसी जाफर ने सर्कुलर जारी करते हुए सभी विभागों को जमा राशि वापस लेने और खाते बंद करने के बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 20 सितंबर, 2024 तक की समयसीमा दी है।

मुख्यमंत्री की अधिकारियों को चेतावनी

वित्त विभाग की हाल ही में हुई एक बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विभिन्न बैंकों में अवैध रूप से धन जमा करने के मामले में अधिकारियों को आड़े हाथों लिया तथा इन गबनों में बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।विभाग को ऐसे मामलों की एक व्यापक सूची तैयार करने के लिए भी कहा गया है, जहां विभिन्न विभागों के अंतर्गत विभिन्न बोर्डों, निगमों और अन्य संस्थाओं से प्राप्त धनराशि को सावधि जमा या अन्य माध्यमों से बैंकों में जमा किया गया है।

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