मतदाता धोखाधड़ी पर विवादित बयान के बाद कर्नाटक के मंत्री केएन राजन्ना का इस्तीफ़ा
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विपक्षी दलों ने इस मौके का फायदा उठाया और राज्य सरकार को निशाना बनाने के लिए राजन्ना के बयानों का इस्तेमाल किया। | फोटो: X/@KNRajanna_Off

मतदाता धोखाधड़ी पर विवादित बयान के बाद कर्नाटक के मंत्री केएन राजन्ना का इस्तीफ़ा

महादेवपुरा में गड़बड़ियों पर राजन्ना की टिप्पणी से पार्टी की किरकिरी, विपक्ष को मिला हमला करने का मौका, हाईकमान ने तुरंत लिया एक्शन


कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने सोमवार (11 अगस्त) को इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने महादेवपुरा में मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों पर विवादित बयान दिया था, जिससे पार्टी और सरकार दोनों मुश्किल में पड़ गए थे। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है और पत्र को आगे की कार्रवाई के लिए राजभवन भेज दिया जाएगा।

विवादित बयान

राजन्ना के इस्तीफ़े की वजह उनके वे बयान हैं जिनसे पार्टी की छवि को धक्का लगा। कांग्रेस हाईकमान ने कथित तौर पर उनसे इन बयानों पर पद छोड़ने को कहा। सोमवार सुबह राजन्ना ने विधानसभा भवन (विधान सौधा) में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपना इस्तीफ़ा सौंपा, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर राज्यपाल की मंज़ूरी के लिए भेज दिया।

राहुल गांधी के महादेवपुरा में ‘वोट चोरी’ के आरोप के बाद, राजन्ना ने अपने ही पार्टी नेताओं के प्रति असंतोष जताते हुए कहा,"मतदाता सूची हमारी सरकार के कार्यकाल में तैयार हुई थी। लगता है सबने आँखें मूंद रखी थीं।"

हाईकमान का निर्देश

राजन्ना का यह बयान कि “जब महादेवपुरा में चुनावी गड़बड़ियां हुईं, तब कांग्रेस की सरकार थी” — राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय स्तर के मतदाता धोखाधड़ी विरोधी अभियान के लिए बड़ा झटका था। हाईकमान ने उनके इस बयान को गंभीरता से लिया, खासकर इसलिए क्योंकि कांग्रेस इस समय भाजपा और चुनाव आयोग पर अनियमितताओं के आरोप लगा रही थी, और ऐसे में अपने ही नेता का पार्टी के खिलाफ बोलना विपक्ष के लिए हथियार बन गया।

विपक्षी दलों ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और राज्य सरकार को घेरने के लिए राजन्ना के बयानों का इस्तेमाल किया। उनके बयान से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई और कथित तौर पर हाईकमान ने तुरंत उनका इस्तीफ़ा लेने का फ़ैसला किया।

पार्टी चेतावनियों की अनदेखी

इसके अलावा, हाईकमान की बार-बार की चेतावनियों के बावजूद कि आंतरिक पार्टी मामलों पर सार्वजनिक रूप से बात न करें, राजन्ना लगातार कहते रहे कि वे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष का पद संभालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि लोकसभा चुनाव के बाद डीके शिवकुमार को क्यों नहीं बदला गया, जिससे यह साफ संकेत गया कि वे शिवकुमार और पार्टी नेतृत्व दोनों से नाराज़ हैं।

राजन्ना विधानसभा में ‘हनी ट्रैप’ मामला उठाने वाले पहले व्यक्ति भी थे, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई। बिना हाईकमान की अनुमति के ऐसे संवेदनशील मुद्दों को सार्वजनिक करने से उन्होंने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया।

जब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला बेंगलुरु में एक अहम बैठक के लिए आए, तो राजन्ना ने उसका बहिष्कार किया — जिसे पार्टी नेतृत्व ने अनुशासन का गंभीर उल्लंघन माना। पार्टी और सरकार की छवि को नुक़सान पहुँचाने वाले इन कदमों के बाद, हाईकमान ने कथित रूप से मतदाता सूची में अनियमितताओं पर उनके बयान को बहाना बनाकर इस्तीफ़ा दिलवाने का फ़ैसला किया।

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