कर्नाटक: विवाद के बाद सिद्धारमैया सरकार का U-TERN, निजी क्षेत्र में आरक्षण संबंधी बिल पर लगाई रोक
कर्नाटक सरकार ने निजी फर्मों में कन्नड़ लोगों को आरक्षण देने के अपने विवादास्पद प्रस्ताव को स्थगित करने का फैसला किया है.
Karnataka Private Sector Reservation Job Bill: कर्नाटक सरकार ने निजी फर्मों में कन्नड़ लोगों को आरक्षण देने के अपने विवादास्पद प्रस्ताव को स्थगित करने का फैसला किया है. स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसरों को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से लिए गए इस फैसले ने व्यापारिक समुदाय और उद्योग जगत के लीडर्स की तरफ से तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. आलोचकों ने इस कदम को फासीवादी, भेदभावपूर्ण और प्रतिगामी करार दिया है, जिससे राज्य के आर्थिक माहौल और औद्योगिक विकास पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में चिंता जताई जा रही है.
इसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया गया है कि इस मुद्दे पर अगली कैबिनेट बैठक में विस्तार से चर्चा की जाएगी, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आग्रह किया कि वे इस विधेयक पर रोक लगाएं और उचित अध्ययन और शोध के बाद ही इसे लागू करें. उन्होंने सरकार से आईटी और अन्य क्षेत्रों के उद्योगपतियों की भावनाओं को ठेस न पहुंचाने को भी कहा.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के संगठनों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण के प्रावधान से संबंधित विधायी प्रस्ताव को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है. निर्णय के लिए आने वाले दिनों में इसकी फिर से समीक्षा की जाएगी.
बता दें कि सिद्धारमैया सरकार के प्रस्ताव में निजी कंपनियों में नौकरियों का एक निश्चित प्रतिशत कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षित करने की मांग की गई थी. इस कदम के पीछे तर्क स्थानीय आबादी के बीच बेरोजगारी को दूर करना और यह सुनिश्चित करना था कि आर्थिक विकास का लाभ राज्य के निवासियों के साथ साझा किया जाए.