5 बजे तक थी इजाज़त, विजय 7 बजे पहुंचे तो बिगड़े हालात-तमिलनाडु डीजीपी
x

5 बजे तक थी इजाज़त, विजय 7 बजे पहुंचे तो बिगड़े हालात-तमिलनाडु डीजीपी

तमिलनाडु के करूर में विजय की रैली के दौरान भगदड़ में 40 से अधिक मौतें हुईं। देर से पहुंचे विजय और इंतज़ार से थकी भीड़ ने हालात को बेकाबू बना दिया।


Click the Play button to hear this message in audio format

करूर (Karur) में विजय (Vijay) की रैली के दौरान हुई भगदड़ में 40 से अधिक लोगों की मौत ने पूरे तमिलनाडु (Tamil Nadu) को हिला दिया है। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अटकलें और थ्योरीज़ चल रही थीं। ऐसे माहौल में तमिलनाडु के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) जी. वेंकटरमण (G Venkatraman) ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटनाक्रम को विस्तार से समझाने की कोशिश की।

वेंकटरमण ने कहा कि टीवीके (TVK) प्रमुख विजय के देर से आने की वजह से हालात बिगड़े। हालांकि उन्होंने सख्ती से इस बात से इनकार किया कि पुलिस ने कहीं पर लाठीचार्ज किया।

इजाज़त और समय में असमानता

डीजीपी ने बताया कि इस रैली की अनुमति दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक के लिए दी गई थी। लेकिन विजय लगभग शाम 7 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे। इस वजह से लंबे समय से इंतज़ार कर रही भीड़ में बेचैनी और अफरा-तफरी फैल गई।उन्होंने यह भी कहा कि टीवीके के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स पर पोस्टरों के ज़रिए यह प्रचारित किया गया था कि विजय दोपहर 12 बजे आएंगे। नतीजतन, लोग सुबह 11 बजे से ही इकट्ठा होने लगे और कई घंटों तक भीषण गर्मी में बिना पर्याप्त पानी और खाने-पीने की सुविधा के इंतजार करते रहे। यह थकावट और बेचैनी भी भगदड़ की पृष्ठभूमि बनी।

'देर से आने से बिगड़ा भीड़ का संतुलन'

वेंकटरमण ने स्पष्ट किया कि विजय के देर से आने से भीड़ का पूरा डायनामिक्स बदल गया। लोग सड़कों पर कतारों में खड़े होकर उनके काफिले के पीछे चलने लगे। नियंत्रित रैली अचानक एक अनियंत्रित जुलूस में बदल गई। उन्होंने कहा, “जगह-जगह स्वतःस्फूर्त जश्न शुरू हो गया, जिससे भीड़ का आकार बढ़ा और भीड़ नियंत्रण पर दबाव पड़ा। हालाँकि विजय ने अपने भाषण में पुलिस की व्यवस्थाओं की सराहना की और कहा कि सुरक्षा इंतज़ाम बेहतर थे।

सुरक्षा और स्थल का विवाद

डीजीपी ने करूर में तैनाती का ब्यौरा भी दिया। एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) एस. डेविडसन के नेतृत्व में 3 आईजी और 2000 से अधिक पुलिसकर्मी सुरक्षा ड्यूटी पर थे। वेंकट्रमण ने कहा कि पुलिस ने तेजी और पेशेवर तरीके से भीड़ को संभालने की कोशिश की।स्थल चयन को लेकर भी उन्होंने विवाद साफ किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने पहले भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों – जैसे लाइट हाउस कॉर्नर और उझावर मार्केट – में रैली करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन इन्हें अनुपयुक्त मानकर ठुकरा दिया गया। अंततः जिला सचिवों से परामर्श के बाद करूर-इरोड रोड को चुना गया। हालांकि यहाँ भी सक्रिय भीड़ नियंत्रण के लिए अधिकतम 500 पुलिसकर्मियों की ही तैनाती संभव थी।

'क्या है असली वजह?'

जब भगदड़ के सटीक कारण के बारे में पूछा गया तो डीजीपी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि एम्बुलेंस के आने और उसके बाद पुलिस की हलचल से अचानक भगदड़ मची। इस पर वेंकट्रमण ने कहा कि किसी निष्कर्ष पर पहुँचना अभी जल्दबाज़ी होगी।उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले की जाँच के लिए उच्चस्तरीय जांच आयोग गठित किया गया है, जिसकी रिपोर्ट से सभी पहलुओं पर रोशनी डाली जाएगी।

'दुःखद और अफसोसजनक'

डीजीपी ने इस त्रासदी को दिल दहला देने वाली और अफसोसजनक बताया। उन्होंने कहा कि अफवाहों और ग़लत सूचनाओं से बचना चाहिए। असलियत यह है कि अनुमति 3 से 5 बजे की थी, लेकिन विजय के 7 बजे आने से कार्यक्रम की रूपरेखा और क्रम पूरी तरह बिगड़ गया, और इसी कारण यह हादसा हुआ।

Read More
Next Story