करूर भगदड़: एक रैली जिसने छीन लिए बच्चे, मांएं और एक स्टार में विश्वास
x
शोक संतप्त परिजन और रिश्तेदार, जिनके प्रियजन अभिनेता और TVK प्रमुख विजय की शनिवार को हुई रैली में भगदड़ के दौरान मारे गए, रविवार 28 सितंबर 2025 को तमिलनाडु के करूर ज़िले के सरकारी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर मातम मना रहे हैं। फोटो: PTI

करूर भगदड़: एक रैली जिसने छीन लिए बच्चे, मांएं और एक स्टार में विश्वास

एक पिता ने बताया कि कैसे उन्होंने 18 महीने के गुरु विष्णु को विजय की रैली की भीड़ में खो दिया; पीड़ित परिवार निराश हैं कि TVK नेता बिना मिले करू छोड़ गए।


शनिवार, 27 सितंबर को TVK नेता विजय की चुनावी रैली में करूर में मची भगदड़ में जिन 40 जिंदगियों का अंत हुआ, उनमें 18 महीने का गुरु विष्णु भी शामिल था। करूर सरकारी अस्पताल में गुरु विष्णु के माता-पिता का उसे गोद में उठाए डॉक्टरों से उसे बचाने की गुहार लगाना हर किसी का दिल तोड़ गया।

सिर्फ एक हफ्ते पहले ही छोटे गुरु विष्णु ने बोलना शुरू किया था। उसकी मां, जो बोल नहीं सकतीं, और पिता विमल, जो रोज़ कमाने-खाने वाले मज़दूर हैं, बेटे की बड़बड़ाहट से बेहद खुश थे। लेकिन करूर की इस त्रासदी ने उसे हमेशा के लिए चुप करा दिया। “वह भीड़ में कुचल गया। किसी ने भी बच्चे को उठाने की कोशिश नहीं की। हम उसे खो बैठे,” ग़मगीन विमल ने कहा।

रैली स्थल से उनके घर की दूरी सिर्फ़ दो गली थी। परिवार के छोटे से 10x10 के कमरे में बच्चे का नन्हा शव कांच के ताबूत में रखा था। उसकी मां ठंडी कांच पर अपने होंठ रखकर, आंखों से बहते आंसुओं के बीच, इशारों में अपने बच्चे से आखिरी चुंबन मांग रही थी।

वो पल जब बच्चा हाथ से फिसला और भीड़ ने कुचल डाला

विमल और दादा वेंकटेशन इस दिल दहला देने वाले दृश्य पर फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने कहा—“विजय ने कहा था वह सबका भाई, मामा और परिवार हैं। मेरी बेटी बच्चे को लेकर रैली में गई थी। विजय के आने पर वह देखना चाहती थी, लेकिन भीड़ में बेहोश हो गई। किसी दूसरी औरत ने बच्चे को उठाया, लेकिन भगदड़ में बच्चा हाथ से फिसल गया और भीड़ ने उसे रौंद दिया।”

वेंकटेशन बोले—“विजय की पार्टी से एक भी व्यक्ति हमें दिलासा देने नहीं आया। हमने अपना अनमोल बच्चा खो दिया। उसे खो दिया।”

टूटे परिवारों की रात

गुरु विष्णु के परिवार की तरह, कई अन्य परिवारों ने भी करूर की इस भगदड़ में अपनों को खोया। यह रैली, जिसे एक पारिवारिक मिलन की तरह बताया गया था, जहां विजय ने लोगों से कहा था—“मैं आपका मामा हूं, आपका भाई हूं”—टूटे परिवारों, अनाथ बच्चों और असमय खोदी गई कब्रों की रात बन गई।

तमिलनाडु के तिरुप्पुर ज़िले के वेल्लाकोविल गांव में दो और घर बर्बाद हो गए। 29 वर्षीय युवा मां गोकुलप्रिय अपने पति जयप्रकाश और बच्चे के साथ करूर रैली में गई थी। भीड़ बढ़ने पर जयप्रकाश ने बच्चे को लेकर वहां से जाने पर ज़ोर दिया, लेकिन गोकुलप्रिय ने कहा कि वह विजय को देखकर घर आ जाएगी। कुछ ही मिनटों में वह भगदड़ में फंस गई। जयप्रकाश और बच्चा बच गए, लेकिन गोकुलप्रिय कभी वापस नहीं लौटी। रिश्तेदार बिलखते हुए बोले—“उसने कहा था देख कर लौट आऊंगी। लेकिन वह कांच के डिब्बे में लौटी।”

उसी रात, वेल्लाकोविल गांव में ही एक और परिवार ने अपने सहारे को खो दिया। मणिकंडन, जो मोबाइल की दुकान चलाते थे और दो बच्चों के पिता थे, विजय के प्रबल समर्थक थे। भीड़ में कुचले जाने से उनकी मौत हो गई। परिवार ने कहा—“अब हमारा कोई सहारा नहीं। क्या विजय उन्हें वापस ला सकते हैं? हम उन्हें बेहद दर्दनाक तरीके से खो बैठे। भीड़ ने उन्हें रौंद दिया।”

मातम और निराशा

पोस्टमॉर्टम के बाद एक शोकाकुल परिवार ने मां और उसकी दो बेटियों को दफ़नाया—दोनों बहनों को साथ वाली कब्र में और मां को पास वाली कब्र में। कब्रिस्तान में उठी चीखें पूरे समुदाय के दुख की गूंज बन गईं।

एक और अंतिम संस्कार में, एक गर्भवती युवती अपने पति के ताबूत पर गिर पड़ी और पेट पकड़कर रोते हुए बोली—“कम से कम मुझे उन्हें आखिरी बार देखने दो।”

करूर के लोगों का कहना है कि कई युवा लड़के-लड़कियां, जो विजय को गर्व से अपना मामा कहते थे, आज बेहद निराश हैं। भगदड़ के तीन घंटे बाद विजय ने एक्स पर संदेश पोस्ट किया, लेकिन किसी परिवार से मिलने नहीं आए।

20 वर्षीय एम. सुधा, जो शनिवार तक विजय की कट्टर प्रशंसक थीं, रोते हुए बोलीं—“उन्होंने अपने प्रचार वाहन में कहा था कि आएंगे। लेकिन वह सीधे हवाई अड्डे चले गए। मीडिया में भगदड़ की खबरें आ चुकी थीं, फिर भी उन्होंने चेन्नई लौटना चुना। उन्होंने हमारे बारे में सोचा ही नहीं।”

Read More
Next Story