धर्मांतरण के बाद ‘घर वापसी’ के लिए आसान होंगे नियम
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काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी

धर्मांतरण के बाद ‘घर वापसी’ के लिए आसान होंगे नियम

‘काशी विद्वत परिषद’ के विशेषज्ञों और आचार्यों ने ऐसी नियमावली तैयार की है जिससे ऐसे लोगों को आसानी से हिंदू धर्म में पुनः वापस लिया जा सकेगा जो पहले हिंदू धर्म छोड़ चुके हैं। उनको आचार्य नया नाम देंगे। हिंदू आचार संहिता अक्टूबर महीने में काशी में रिलीज़ होगी।


धर्मांतरण कर चुके लोगों को घर वापसी कर पुनः हिंदू धर्म में प्रवेश कराने के लिए अब नियम आसान होंगे। ऐसे लोग न सिर्फ़ पूजा-पाठ, अनुष्ठान कर पाएंगे बल्कि अगर उनको अपना गोत्र नहीं पता होगा तो उनको नया गोत्र भी दिया जाएगा। वैदिक रीतियों और परंपराओं का अध्ययन करने वाली सबसे बड़ी इकाई ‘काशी विद्वत परिषद’ के विशेषज्ञों और आचार्यों ने ऐसी नियमावली तैयार की है जिससे ऐसे लोगों को आसानी से हिंदू धर्म में पुनः दीक्षित किया जा सकेगा जो पहले हिंदू धर्म छोड़ चुके हैं।

मूलतः हिंदू धर्म में जन्म लेने के बाद दूसरे धर्म को अपना चुके लोगों का हिंदू धर्म में पुनः प्रवेश अब आसान होगा। अक्टूबर महीने में काशी विद्वत परिषद ‘हिंदू आचार संहिता’ ( Hindu code of conduct) रिलीज़ करने जा रही है। देश भर के आचार्यों और विद्वानों द्वारा तैयार ये आचार संहिता उन लोगों के हिंदू धर्म में पुनः प्रवेश को आसान बनाएगा जो किसी डर या किसी दबाव में हिंदू धर्म छोड़ चुके हैं और अब स्वेच्छा से हिंदू धर्म में वापस आना चाहते हैं।

विशेष पूजा, गोत्र और नाम

काशी विद्वत परिषद द्वारा तैयार इस नई नियमावली के तहत हिंदू धर्म में पुनः प्रवेश करने वालों को आचार्य नया नाम देंगे। इसके साथ ही उनको उसी गोत्र के तहत दीक्षित किया जाएगा जो उनका होते रहा है। अगर किसी को अपना गोत्र नहीं पता है तो प्रशिक्षित आचार्य उनको नया गोत्र भी देंगे। इस पर कई वर्षों से काम चल रहा था।आचार संहिता पिछले चार साल के गहन अध्ययन, बैठक और धर्माचार्यों की स्वीकृति के बाद फाइनल किया गया है।इसमें कई परम्पराओं को लोगों के लिए आसान बनाया गया है।

काशी विद्वत परिषद के महासचिव प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने द फ़ेडरल देश को बताया कि ‘ हिंदू धर्म में वापस आने के लिए एक विशेष पूजा करायी जाएगी। ये पूजा विशेष रूप से प्रशिक्षित आचार्य कराएँगे।जो लोग हिंदू धर्म में वापसी करेंगे उनको उनका पुराना या कोई नया नाम दिया जाएगा।’ प्रोफ़ेसर राम नारायण द्विवेदी कहते हैं कि समाज उनको स्वीकार करे इसके लिए भी एक अभियान चलाया जाएगा।

कैसे तैयार हुई आचार संहिता?

हिंदू धर्म के लिए 356 पृष्ठों की यह नई आचार संहिता उत्तर और दक्षिण भारत के जाने माने स्कॉलर्स और वैदिक परंपराओं के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। इसके लिए देश के अलग अलग राज्यों में ऐसे विशेषज्ञों के साथ बैठकें की गई हैं। 40 बैठकों में इस पर मंथन किया गया है। इसको तैयार करने के लिए मनुस्मृति, पाराशर समृति और वेद पुराणों से संदर्भ लिया गया है। वहीं रामायण, महाभारत, उपनिषद जैसे ग्रंथों को भी कंसल्ट किया गया है।प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि ‘शंकराचार्यों सहित सभी प्रमुख धर्माचार्यों की स्वीकृति के लिए उनकी लिखित सहमति ली गई है।अक्टूबर महीने में काशी में प्रस्तावित ‘संस्कृति संसद’ में इस आचार संहिता को सामने लाया जाएगा। इसकी प्रमुख बातों को समझाने के लिए दो पेज की बुकलेट तैयार की जाएगी । इसकी 5 लाख प्रतियां वितरित कर लोगों से इस नए आचार संहिता को मानने की अपील की जाएगी। प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी मानते हैं कि इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत अभी महसूस की गई क्योंकि कई लोग डर या दबाव में हिंदू धर्म छोड़ देते हैं लेकिन बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है और वो वापस आना चाहते हैं।

इस आचार संहिता में हिंदू धर्म में बाद में आई कई बुराइयों को दूर करने के लिए कदम उठाया गया है। प्री-वेडिंग शूट पर रोक लगाने और दहेज निषेध के लिए भी इसमें प्रावधान होंगे।इसको अलावा त्रयोदशाह भोज( तेरहवीं) को सिर्फ़ 13 लोगों तक सीमित रखने पर भी ज़ोर दिया गया है।हिंदू आचार संहिता में महिलाओं को भी समान भागीदारी के लिए कई नियम बनाये गए हैं।

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