
अंधविश्वास पर कानून नहीं बनाएगी केरल सरकार, राज्य में उठने लगे तीखे सवाल
black magic law kerala: जब अंधविश्वास के नाम पर शोषण बढ़ रहा हो, तब मौजूदा कानूनों से काम नहीं चलेगा। केरल को यह कानून ना केवल कानूनन, बल्कि सामाजिक रूप से भी अपने भविष्य की दिशा तय करने में मदद करेगा.
Kerala government superstition law: केरल सरकार को उन संगठनों की ओर से तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है, जो अंधविश्वास और काला जादू जैसी कुप्रथाओं को खत्म करने की दिशा में विज्ञान-आधारित नीतियों का समर्थन कर रहे हैं। इन संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार ने लोकहित याचिका (PIL) में दिए गए हलफ़नामे में यह घोषित किया है कि वह अब इस तरह के कुप्रथाओं पर कानून बनाने की योजना बंद कर रही है।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
सरकारी हलफ़नामे में साफ कहा गया कि केरल हाई कोर्ट के सामने सरकार अब "अलग कानून" नहीं लाएगी और मौजूदा कानून को ही पर्याप्त मानती है। यह स्टैंड उन कार्यकर्ताओं के लिए झटका बन गया है, जिन्होंने इस कानून के निर्माण हेतु वर्षों से आंदोलन चलाया। केरल शास्त्र साहित्य परिषद (KSSP) ने इस फैसले को "दूरगामी और खतरनाक संकेत" बताते हुए कहा कि यह कुप्रथाओं से पैसे कमाने वालों को बढ़ावा देगा। परिषद की अध्यक्ष टीके मीरा बाई और महासचिव पीवी दिवाकरण ने बयान जारी कर कहा कि सरकार को विस्तार से बताना चाहिए कि उसने बिना किसी विमर्श या बहस के इस कानून को क्यों वापस लिया? ऐसा निर्णय सिर्फ अंधविश्वासियों के फायदे में है।
कानून की ज़रूरत क्यों?
PIL में नेतृत्व किया गया था कि राज्य में मानव बलि और पूजा के नाम पर शोषण की बढ़ती घटनाओं पर नजर रखी जानी चाहिए। KSSP ने कहा मौजूदा कानून इन कुप्रथाओं के पीछे छिपे तनाव, शोषण और गैरकानूनी व्यावसायिकता को कवर नहीं करते। 2013 में डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के बाद तमाम तर्कवादी संगठनों ने 2014 में एक ड्राफ्ट विधेयक प्रस्तावित किया। LDF सरकार (2016 के बाद) ने इस पहल को आगे बढ़ाया, जबकि UDF सरकार गंभीर नहीं दिखी। न्यायमूर्ति केटी थॉमस की कमेटी ने भी मामले का अध्ययन किया, लेकिन विधेयक विधिवत पारित नहीं हुआ।
चेतावनी का संकेत
2022 में पथानमठिट्टा में मानव बलि की घटना, पुरही पूजन के बहाने यौन शोषण की रिपोर्टें—इन सब घटनाओं ने इस कानून की ज़रूरत को रेखांकित किया। KSSP का मानना है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में सुपरस्टिशन विरोधी कानून बन चुके हैं; केरल को भी इसी राह पर चलना चाहिए।
आगे क्या होगा?
यह मामला हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है। KSSP समेत कई संगठनों ने सरकार से एक सार्वजनिक स्पष्टीकरण की मांग की है और नए ड्राफ्ट पर विचार-विमर्श की अपील की है। निकट भविष्य में PIL पर सुनवाई हो सकती है, जहां सरकार इस पर अपनी स्थिति को दोहराएगी या संशोधित कदम उठाएगी।