Palakkad brewery row: ब्रूअरी पर विवाद, आलोचना से घिरी पिनाराई सरकार
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Palakkad brewery row: ब्रूअरी पर विवाद, आलोचना से घिरी पिनाराई सरकार

Brewery controversy: दिल्ली शराब नीति मामले से कंपनी के कथित संबंधों के कारण राज्य सरकार ने 600 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी. ग्रामीणों ने नाराजगी जताई, क्योंकि क्षेत्र में पानी की कमी है.


Oasis Brewery controversy: पलक्कड़ में ओएसिस ब्रूअरी विवाद को देखते हुए केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाली UDF के साथ-साथ भाजपा के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. यह मुद्दा केरल सरकार के उस फैसले के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसमें उसने मध्य प्रदेश स्थित ओएसिस कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को पलक्कड़ जिले के एलापुली में शराब की भट्टी और आसवन इकाई स्थापित करने के लिए लाइसेंस दिया है, जो पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा क्षेत्र है. इससे विरोध-प्रदर्शन और भ्रष्टाचार के आरोप भड़क उठे हैं.

इस स्थिति ने स्थानीय स्तर पर कांग्रेस और भाजपा सदस्यों के बीच एक असामान्य गठबंधन को जन्म दिया है. क्योंकि वे संयुक्त रूप से उस परियोजना का विरोध कर रहे हैं, जिसे वे एक गलत तरीके से बनाई गई परियोजना मानते हैं. जो उनके समुदाय के संसाधनों के लिए खतरा है.

भ्रष्टाचार का आरोप

18 जनवरी को सरकार ने पलक्कड़ के एलापुली में शराब बनाने की फैक्ट्री और डिस्टिलेशन यूनिट के लिए 600 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी. कंपनी के विवादास्पद इतिहास, जिसमें दिल्ली शराब नीति मामले में इसके निदेशक की संलिप्तता भी शामिल है, के कारण इस मंजूरी पर सवाल उठे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ओएसिस को दिया गया लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाना चाहिए. यह विडंबना है कि एक सरकार, जिसने सार्वजनिक क्षेत्र की डिस्टिलरी को पानी देने में असमर्थता व्यक्त की, अब एक निजी खिलाड़ी को पानी की आपूर्ति कर रही है.

कांग्रेस बनाम सरकार

विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने विपक्ष की चिंताओं को दोहराया, जिन्होंने बताया कि कंपनी ने पहले स्थानीय अधिकारियों को अपने इरादों के बारे में गुमराह किया था. जब उसने एक शैक्षणिक संस्थान शुरू करने के बहाने जमीन खरीदी थी. क्या केरल में संचालित किसी डिस्टिलरी को शराब नीति में बदलाव करने और शराब निर्माण की अनुमति देने के सरकार के फैसले के बारे में पता था?

वहीं, आबकारी मंत्री एमबी राजेश ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सभी नियमों का पालन किया गया है. उन्होंने कहा कि कंपनी को सभी नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है. सरकार एलापुली में पीने के पानी के दोहन की अनुमति नहीं देगी. विपक्ष ने शुरू में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे को उठाया था. लेकिन अब वे इससे पीछे हट गए हैं. इसमें कोई दम नहीं है. वे पानी की कमी के आरोप से भी पीछे हटेंगे.

सीपीआई (एम) ने किया बचाव

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने बताया कि इस परियोजना से केरल को आयातित स्पिरिट पर निर्भरता कम करके वित्तीय लाभ होगा. सीपीआई (एम) के मुखपत्र देशाभिमानी अखबार के 23 जनवरी के संपादकीय में लिखा गया कि हर साल केरल में 10 करोड़ लीटर स्पिरिट लाई जाती है. इसे ले जाने में 100 करोड़ रुपये की लागत आती है. इसे बचाया जा सकता है. इसके अलावा जीएसटी राजस्व भी है. एक नियम है कि स्पिरिट बनाने के लिए केवल टूटे हुए चावल का उपयोग किया जा सकता है. यह पहल 680 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 2,000 से अधिक व्यक्तियों को सहायक रोजगार प्रदान करेगी. वर्तमान में राज्य में 8 डिस्टिलरी, 10 ब्लेंडिंग यूनिट और 2 ब्रूअरीज हैं. इनमें से कुछ को यूडीएफ शासन के दौरान मंजूरी दी गई थी. तब विरोध क्यों नहीं हुआ और अब यह क्यों सामने आ रहा है? इसमें यह भी तर्क दिया गया है कि कांग्रेस शासित राज्यों में शराब लॉबी के लाभ के लिए इस विवाद को हवा दी जा रही है.

पंचायत ने आपत्ति जताई. हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि स्थानीय जल प्राधिकरणों ने मौजूदा कमी के कारण औद्योगिक उद्देश्यों के लिए पानी की आपूर्ति करने में असमर्थता व्यक्त की है. इससे पानी की कमी वाले क्षेत्र में इस तरह की परियोजना की व्यवहार्यता पर सवाल उठते हैं. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) द्वारा शासित एलापल्ली पंचायत ने आधिकारिक तौर पर शराब बनाने की परियोजना का विरोध किया है, एक प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

कांग्रेस के पंचायत अध्यक्ष रेवती बाबू ने कहा कि हमारी पंचायत में भूगोल, जलवायु और कृषि प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए, हमने शराब बनाने की परियोजना के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. एलापल्ली तमिलनाडु की सीमा से लगा एक कृषि क्षेत्र है. सूखा क्षेत्र होने के कारण धान की खेती लगभग असंभव है और यहां केवल अन्य अनाज और सब्जियां ही उगाई जा सकती हैं.

पानी पर विवाद

उन्होंने कहा कि पानी की कमी के कारण लोगों को लगभग 26 एकड़ भूमि खाली करनी पड़ी है, जिससे यह बंजर हो गई है. पंचायत वर्षों से पीने के पानी की समस्या से जूझ रही है. जब जल प्राधिकरण ने कहा कि वह कंपनी को पानी की आपूर्ति नहीं करेगा तो यह स्पष्ट हो गया है कि आबकारी मंत्री ने जनता को गुमराह किया है. दूसरी ओर सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने पानी की कमी की आशंकाओं को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया.

उन्होंने सुझाव दिया कि वर्षा जल संचयन शराब बनाने वाली कंपनी की पानी की जरूरतों को पूरा कर सकता है और सवाल किया कि क्या विपक्षी विरोध प्रदर्शन शराब उद्योग में प्रतिस्पर्धी हितों द्वारा समर्थित है. इन आरोपों का एक राजनीतिक मकसद है. भ्रष्टाचार के दावे करने वालों को शराब लॉबी का समर्थन हो सकता है. इकाई के लिए आवश्यक पानी पलक्कड़ में स्थानीय रूप से वर्षा जल संचयन के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन सुविधा पांच एकड़ के भूखंड पर बनाई जाएगी.

विरोध-प्रदर्शन

लेकिन शराब बनाने वाली कंपनी के खिलाफ़ विरोध-प्रदर्शन में तेज़ी आई है. जिससे एलडीएफ सरकार के खिलाफ़ विभिन्न राजनीतिक गुट एकजुट हो गए हैं. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही नेताओं ने विधानसभा सत्र के बाहर रैली निकाली और राज्य प्रशासन से जवाबदेही की मांग की. भाजपा नेता सी कृष्णकुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि डिस्टिलरी का यह फ़ैसला सिंचाई और पेयजल योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका होगा. यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में भविष्य की औद्योगिक परियोजनाओं के लिए मिसाल भी कायम कर सकता है.

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