National President - Indian Youth Congress @IYC At a Kerala Youth Congress state camp
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केरल यूथ कांग्रेस राज्य कैंप में युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष : वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए घरों के निर्माण में देरी का मुद्दा कांग्रेस पार्टी के लिए गंभीर शर्मिंदगी का कारण बन गया है, खासकर ऐसे समय में जब पार्टी निर्वाचन से पहले के बेहद अहम दौर में प्रवेश कर रही है। (फोटो : X | @UdayBhanuIYC )

वायनाड राहत कोष के दुरुपयोग के आरोपों में घिरी यूथ कांग्रेस,नेताओं पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

यूथ कांग्रेस ने वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों के लिए 30 घर बनाने का वादा कर जनता से फंड इकट्ठा किया था, लेकिन अब इस फंड के दुरुपयोग और पारदर्शिता की कमी को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं।


वायनाड में जुलाई 2024 की भूस्खलन त्रासदी के एक साल बाद, यूथ कांग्रेस द्वारा पीड़ितों के लिए 30 घर बनाने का वादा अब विवादों में घिर गया है। जहां लेफ्ट की युवा शाखाओं, DYFI और AIYF ने मुख्यमंत्री राहत कोष में क्रमशः ₹20 करोड़ और ₹1 करोड़ का पारदर्शी योगदान दिया, वहीं यूथ कांग्रेस पर कोष के दुरुपयोग और प्रोजेक्ट में प्रगति नहीं होने के आरोप लग रहे हैं।

पारदर्शिता की कमी पर उठे सवाल

भूस्खलन के कुछ समय बाद यूथ कांग्रेस ने भावनात्मक अपीलों, फंडरेज़िंग और ज़बरदस्त प्रचार के साथ अभियान शुरू किया, लेकिन हाल ही में अलप्पुझा में हुए राज्य नेतृत्व शिविर में पार्टी के भीतर से ही पारदर्शिता पर सवाल उठे, जिससे कांग्रेस पार्टी और जनता के बीच बहस छिड़ गई।

यूथ कांग्रेस ने जनता, समर्थकों और युवा कार्यकर्ताओं से चंदा इकट्ठा कर 30 घर बनाने का वादा किया था। लेकिन अलप्पुझा कैंप में कई सदस्यों ने फंड के प्रबंधन, प्रोजेक्ट की स्थिति और धन के उपयोग पर सवाल उठाए।

पुलिस शिकायत दर्ज

जहां राज्य नेतृत्व ने इन आरोपों को आंतरिक गलतफहमी करार दिया, वहीं मामला तब और बढ़ गया जब कोच्चि की वकील लक्ष्मी टीआर ने 1 जुलाई को आठ यूथ कांग्रेस नेताओं के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कर दी।

शिकायत में आरोप है कि नेताओं ने घर बनाने के नाम पर धन जुटाया लेकिन वादा पूरा नहीं किया। लक्ष्मी टीआर ने कहा, “कानूनी रूप से यह सीधा धोखाधड़ी का मामला है। उन्होंने एक पवित्र उद्देश्य का हवाला देकर पैसा इकट्ठा किया, लेकिन कोई कार्य नहीं किया। पैसा कहां गया? दानदाताओं के साथ विश्वासघात हुआ है। किसी आपदा को मुनाफे का मौका बनाना शर्मनाक है।”

ृइस शिकायत से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। विपक्षी नेता और नागरिक समाज जांच की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर DYFI के पारदर्शी मॉडल की तुलना में यूथ कांग्रेस की आलोचना हो रही है।

कांग्रेस का बचाव

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ममकूट्टाथिल ने इन आरोपों को “राजनीतिक रूप से प्रेरित और निराधार” बताया। उनका कहना है कि अब तक ₹84 लाख एकत्र किए गए हैं और एक भी पैसा दुरुपयोग नहीं हुआ है। राज्य सरकार द्वारा भूमि आवंटन होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

MP शफी परम्बिल, जो केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि “सरकार की जिम्मेदारी है कि वह भूमि उपलब्ध कराए। हमने सरकार को पैसा नहीं दिया क्योंकि हम स्वयं घर बनाना चाहते हैं। DYFI ने सरकार को पैसा दे दिया, हम नहीं देंगे। कांग्रेस खुद घर बनाएगी बस सरकार ज़मीन बताए।”

DYFI और AIYF की तारीफ

विपरीत रूप से, DYFI ने ₹20 करोड़ (प्रत्येक घर ₹20 लाख के हिसाब से) मुख्यमंत्री राहत कोष में सीधे दान दिए और 100 घरों के निर्माण का संकल्प पूरा किया।

DYFI राज्य सचिव वी.के. सानोज ने बताया, “हमने जनता से सीधे पैसा नहीं मांगा। बिरयानी चैलेंज जैसे जन अभियानों के ज़रिए, स्क्रैप बेचकर और दिहाड़ी मजदूरी करके ₹20.47 करोड़ जुटाए।” AIYF ने भी ₹1 करोड़ की राशि सरकार को सौंपी है।

यूथ कांग्रेस पर भरोसे के साथ खिलवाड़ का आरोप

यूथ कांग्रेस ने जिलेवार चंदा इकट्ठा कर निर्माण कार्य खुद करने की योजना बनाई थी। लेकिन कोई निर्माण शुरू नहीं हुआ और प्रोजेक्ट की समय-सीमा भी स्पष्ट नहीं है, जिससे उस पर जनता के भरोसे से खिलवाड़ करने का आरोप लग रहा है।

CPI(M) और DYFI के नेताओं ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। DYFI नेता सानोज ने कहा, “आपदा राहत के नाम पर पैसा मांगते समय पारदर्शिता पहली शर्त है। DYFI ने जनता के लिए पैसा सरकार को सौंपा, बिना किसी शर्त के।”

अब KPCC को मिली जिम्मेदारी

यूथ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इकट्ठा किया गया फंड अब केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के पास है। KPCC ने वित्तीय निगरानी, दस्तावेज़ीकरण और भूमि पहचान के लिए सरकार से संपर्क का काम अपने हाथ में लिया है।

यह मामला 2018 में कांग्रेस द्वारा बाढ़ के बाद 1000 घर बनाने के अधूरे वादे की याद भी दिलाता है।

पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का संकट

चुनाव पूर्व माहौल में यह विवाद कांग्रेस के लिए बड़ी बदनामी का कारण बन गया है। पार्टी के अंदर से भी आलोचना हो रही है कि बिना स्पष्ट योजना और KPCC के साथ समन्वय के ऐसा बड़ा जनप्रयास क्यों शुरू किया गया।

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “हमें मानना होगा कि हम अपने वादे पर खरे नहीं उतर पाए। हमारे पास कम्युनिस्टों जैसा कैडर सिस्टम नहीं है। DYFI में पूर्णकालिक ज़मीनी कार्यकर्ता होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हमारे लोग भ्रष्ट हैं।”

आगे क्या?

अब जबकि KPCC फंड का प्रभार ले चुकी है, तत्काल ज़रूरत है कि सरकार के साथ मिलकर वायनाड में भूमि की पहचान की जाए, लाभार्थियों को अंतिम रूप दिया जाए, और निर्माण कार्य शुरू किया जाए।

यूथ कांग्रेस का दावा है कि घर बनाए जाएंगे, लेकिन लगातार देरी और बढ़ती सार्वजनिक नाराज़गी से इसकी विश्वसनीयता पर खतरा मंडरा रहा है।

इस बीच, पुलिस ने लक्ष्मी टीआर की शिकायत की प्राथमिक जांच शुरू कर दी है।

जो प्रयास संकट के समय एकजुटता का प्रतीक बन सकता था, अब यूथ कांग्रेस के लिए विश्वसनीयता की परीक्षा बन गया है जिसे अब भाषणों से नहीं, बल्कि ईंट, सीमेंट और ठोस काम से पास करना होगा।

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