हरियाणा में अब किसकी चौधराहट, किरण चौधरी के इस्तीफे का मतलब समझिए
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हरियाणा में अब किसकी चौधराहट, किरण चौधरी के इस्तीफे का मतलब समझिए

हरियाणा की सियासत में जाट समाज की भूमिका बेहद अहम है. कांग्रेस से किरण चौधरी के इस्तीफे को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.


Kiran Chaudhary News: हरियाणा की राजनीति में तीन लाल, देवीलाल, भजनलाल और बंशीलाल की भूमिका अहम रही है. इन तीनों चेहरे को समझे बगैर आपके लिए इस प्रदेश की राजनीतिक को समझना आसान नहीं होगा। अगर तीनों की राजनीतिर विरासत को देखें तो देवीलाल के बेटे और पोते अपने पिता और दादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और पूरे प्रदेश में उनकी पहचान बनी हुई है. लेकिन बंशीलाल और भजनलाल के बेटे अपने अपने इलाकों तक ही सीमित हैं, हरियाणा में पहले कभी लड़ाई कांग्रेस और जनता दल या आज के इनेलो में हुआ करती थी. लेकिन अब उस लड़ाई के केंद्र में बीजेपी भी है। कहा भी जाता है कि कांग्रेस और इनेलो के कमजोर होने का फायदा बीजेपी को मिला. इन सबके बीच बंशीलाल की बहू किरण चौधरी अपनी बेटी के साथ कांग्रेस छोड़ चुकी हैं और बीजेपी का हिस्सा बन सकती हैं। पहले आपको किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

भिवानी महेंद्रगढ़ में असर
हरियाणा के तोशाम विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहीं और दिवंगत कांग्रेसी नेता बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी ने मंगलवार (18 जून) को कांग्रेस छोड़ दी। चर्चा है कि चौधरी बुधवार (19 जून) को भाजपा में शामिल हो सकती हैं। कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कट्टर प्रतिद्वंद्वी चौधरी और उनकी बेटी तथा भिवानी से पूर्व सांसद श्रुति चौधरी दो महीने पहले तक हुड्डा के अन्य कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वियों कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के साथ हरियाणा भर में रैलियां कर रही थीं। पार्टी ने हुड्डा के दबाव में श्रुति को लोकसभा का टिकट देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने अपने वफादार राव दान सिंह को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव लड़ाया। सिंह भाजपा के धर्मबीर चौधरी से महज 41,000 वोटों से लोकसभा चुनाव हार गए। सिंह ने आरोप लगाया है कि किरण और श्रुति ने उनके चुनाव में धांधली की, लेकिन वह भाजपा की जीत के अंतर को काफी कम करने में सफल रहे।

श्रुति 2019 में भिवानी सीट से 4.40 लाख से अधिक मतों के अंतर से हार गई थीं और 2014 में तीसरे स्थान पर रही थीं। ऐसी भी अटकलें हैं कि भाजपा हरियाणा में राज्यसभा उपचुनाव के लिए किरण चौधरी को अपना उम्मीदवार बना सकती है, जो रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा की लोकसभा जीत के बाद जरूरी हो गया है। चौधरी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र 2020 में हरियाणा से राज्यसभा के लिए चुने गए थे, जब वह अपने पारिवारिक गढ़ रोहतक से 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। भाजपा चौधरी की बेटी श्रुति को तोशाम से अपना उम्मीदवार बना सकती है।

जाट कनेक्शन

मां-बेटी की जोड़ी को पार्टी में शामिल करने से भाजपा को ऐसे समय में जाटों का समर्थन मिलेगा, जब भगवा पार्टी को हरियाणा में मजबूत चुनावी ताकत रखने वाले समुदाय के साथ सामांजस्य बनाने में मुश्किल हो रही है। हरियाणा को समझने वाले कहते हैं कि बीजेपी को एक मजबूत जाट चेहरे की जरूरत है जिसकी स्वीकार्यता पूरे प्रदेश में हो. अगर किरण चौधरी बीजेपी का हिस्सा बनती हैं तो निश्चित तौर पर वो ना सिर्फ अपने समाज बल्कि महिलाओं के एक बड़े वर्ग को साध सकती है. अब जबकि कुछ महीनों में ही हरियाणा विधानसभा का चुनाव होना है. वैसे में किरण चौधरी का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए नुकसान की वजह भी बन सकता है. ऐसा संभव है कि लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन कांग्रेस विधानसभा चुनाव में ना दोहरा सके.

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