संदीप घोष का उदय और आरोपों की झड़ी, जानें कैसे डॉक्टर रेप-मर्डर केस ने उन पर किए सवाल खड़े?
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संदीप घोष का उदय और आरोपों की झड़ी, जानें कैसे डॉक्टर रेप-मर्डर केस ने उन पर किए सवाल खड़े?

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या की भयावह खबर सामने आने के बाद से पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का नाम सुर्खियों में है.


Kolkata Female Doctor Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या की जब से भयावह खबर आई है, तब से संस्थान के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का नाम सुर्खियों में है. राज्य द्वारा संचालित अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर के शव की खोज के बाद संदीप घोष की कार्रवाइयों या उनकी कमी पर कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों पर सवाल उठाए गए हैं. वहीं, कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार के उस कदम पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रमुख के रूप में उनके इस्तीफे के कुछ घंटों बाद ही उन्हें दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया था. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार ने उनके कार्यकाल के दौरान आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.

संदीप घोष का उदय

संदीप घोष ने कोलकाता के पास बोंगांव हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की. मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा पास की और आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की. जिसके वह बाद में प्रिंसिपल भी बनें. डॉ. घोष ने 1994 में एमबीबीएस पूरा किया और एक आर्थोपेडिक सर्जन बन गए. लगातार प्रमोशन के बाद, वह 2021 में प्रिंसिपल के रूप में अपने अल्मा मेटर में लौट आए. इससे पहले, उन्होंने कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल के रूप में कार्य भी किया.

बंगाल मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, डॉ. घोष को कोलकाता से लगभग 80 किलोमीटर दूर बोंगांव में छात्र अपना आदर्श मानते थे. उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और उसके बाद एक मेडिकल प्रशासक के रूप में उनके उदय ने उन्हें एक आदर्श व्यक्ति बना दिया था. हालांकि, अब उनके खिलाफ आरोपों की झड़ी से वह इलाका स्तब्ध है.

भ्रष्टाचार के बड़े आरोप

प्रधानाचार्य के रूप में कार्यभार संभालने के बमुश्किल दो साल बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उप अधीक्षक अख्तर अली ने संदीप घोष के खिलाफ गंभीर आरोपों की शिकायत राज्य सतर्कता आयोग को की. शिकायत में डॉ. घोष और अन्य पर सरकारी धन की बर्बादी, वित्तीय नियमों से बचने, विक्रेताओं को चुनने में भाई-भतीजावाद और उनसे रिश्वत लेने और संविदा कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता आदि का आरोप लगाया गया.अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उन्होंने पहले भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी. लेकिन पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुदीप्त रॉय ने उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी थी. शिकायत पिछले साल जुलाई में की गई थी. उस समय अली राज्य स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के उप अधीक्षक थे.

शिकायत के तुरंत बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर डॉ. घोष के खिलाफ आरोपों की जानकारी दी. लेकिन पिछले एक साल में डॉ. घोष के खिलाफ कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की गई और वे आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य बने रहे.

बलात्कार-हत्या की घटना

9 अगस्त की सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में 31 वर्षीय डॉक्टर का शव मिला, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. पाया गया कि डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया था. जब रोंगटे खड़े कर देने वाले विवरण सामने आए तो संदीप घोष पर पीड़िता को दोषी ठहराने का आरोप लगाया गया. उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने प्रिंसिपल के पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है. क्योंकि वे अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. हालांकि, कुछ घंटों बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया. इस पर काफी विवाद हुआ. क्योंकि प्रदर्शनकारियों और विपक्षी दलों ने कहा कि मेडिकल प्रशासक को उस परिसर में इतनी भयावह घटना के बाद 'पुरस्कृत' किया गया है, जिसके वे प्रभारी थे.

डॉक्टर के मृत पाए जाने के बाद संदीप घोष और अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया की कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने कड़ी आलोचना की है. अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किए जाने पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि जब मृतका अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर थी तो यह आश्चर्यजनक है कि प्राचार्य/अस्पताल ने औपचारिक शिकायत क्यों दर्ज नहीं कराई. हमारे विचार से यह एक गंभीर चूक थी, जिससे संदेह की गुंजाइश बनती है.

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से डॉ. घोष को उनके इस्तीफे के कुछ घंटों बाद ही दूसरे कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त करने की अत्यधिक जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने भी एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए डॉ. घोष और अस्पताल प्रशासन की खिंचाई की और पद छोड़ने के कुछ ही समय बाद उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाए. संदीप घोष से अब सीबीआई पूछताछ कर रही है. वह आज छठी बार एजेंसी के अधिकारियों के समक्ष पेश हुए. पिछले पांच दिनों में उनसे 60 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की जा चुकी है. भ्रष्टाचार के लिए और बलात्कार-हत्या पीड़िता की पहचान कथित तौर पर उजागर करने के मामले में राज्य सरकार उनकी जांच कर रही है.

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