
यूपी में सफ़ाई कर्मचारी, असम का आधार कार्ड ! नागरिकता पहचान के लिए दस्तावेज़ की जाँच शुरू होते ही ग़ायब हो गए लखनऊ नगर निगम के कर्मचारी
यूपी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों और घुसपैठियों के ख़िलाफ़ अभियान चल रहा है।इस बीच लखनऊ में चौंकाने वाली बात सामने आई है।दस्तावेज़ माँगते ही संविदा पर काम कर रहे डेढ़ सौ से ज़्यादा कर्मचारी ग़ायब हो गए हैं।जिन लोगों ने अपने दस्तावेज़ जमा किए हैं उनमें ज्यादातर के आधार कार्ड असम में बने हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवैध बांग्लादेशी नागरिकों और घुसपैठियों के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे अभियान के बीच एक चौंका देने वाली खबर आई है।लखनऊ नगर निगम के डेढ़ सौ से ज़्यादा कर्मचारी अचानक काम से गायब हो गए हैं। यही नहीं उन्होंने फ़ोन भी बंद कर लिया है।नगर निगम की सहयोगी एजेंसी फिलहाल इस बात की पड़ताल में लग गई है।वहीं जिनके काग़ज़ जमा हुए हैं उनमें से ज्यादातर लोगों का आधार कार्ड असम में बना है। लखनऊ की मेयर सुषमा ख़र्कवाल ने ख़ुद अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
दस्तावेज़ माँगते ही कर्मचारी काम छोड़कर ग़ायब, मोबाइल भी बंद-
यूपी में एसआईआर (SIR) की प्रक्रिया के बीच योगी सरकार ने घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चलाया है।अवैध रूप से यूपी में रह रहे बांग्लादेशियों और घुसपैठियों को बाहर करने के लिए पुलिस ख़ास ड्राइव चला रही है।प्रदेश भर में इन संदिग्ध लोगों के नागरिकता प्रमाण पत्र की जाँच हो रही है।ऐसे में लखनऊ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है।अभियान के दौरान दस्तावेज मांगे जाने पर लखनऊ नगर निगम के लगभग 160 कर्मचारी अचानक ड्यूटी से ग़ायब हो गए हैं। इन कर्मचारियों में सफाई कर्मचारी, कूड़ा कलेक्ट के लिए गार्बेज वाहनों के चालक और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाले शामिल हैं।ये अचानक कहाँ गए हैं पता नहीं।नगर निगम के सूत्रों के अनुसार, जैसे ही अभियान तेज़ हुआ और कई जुग्गी झोंपड़ियों और इलाकों में नागरिकता के प्रमाण पत्रों की जाँच के लिए टीम पहुँची उसके बाद से इन कर्मचारियों ने एक साथ छुट्टी लेना शुरू कर दिया या बिना सूचना ड्यूटी से अनुपस्थित हो गए। कुछ कर्मचारियों ने तो बीमारी का हवाला दिया जबकि कई के मोबाइल फ़ोन ही बंद हो गए।लखनऊ नगर निगम के साथ काम कर रही एजेंसियों से जुड़े 160 कर्मचारी ग़ायब बताए जा रहे हैं तो वहीं पूरे प्रदेश में ‘ग़ायब’ हुए कर्मचारियों( सफ़ाई कर्मियों ) की संख्या 500 से ऊपर बतायी जा रही है।
बड़ी संख्या में असम में बने आधार कार्ड से संदेह बढ़ा-
हालाँकि अभी तक इसकी कोई वजह सामने नहीं आई है।इस बीच नगर निगम ने प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए चेतावनी दी है कि बिना वैध कारण ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले सभी कर्मचारियों के खिलाफ सख़्त अनुशासनात्मक एक्शन लिया जाएगा।इस बीच एक और अहम बात सामने आई।लखनऊ में ऐसे लोगों की पहचान पत्र की जाँच के लिए जब पुलिस और प्रशासन की टीम पहुँची तो एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया। वहाँ मौजूद ज्यादातर लोगों के आधार कार्ड असम के मिले। जो नहीं मिले उनके बारे में लोगों ने बताया कि वो असम चले गए हैं।यानि ऐसे लोग कुछ समय तक असम में रहने के बाद फिर उत्तर प्रदेश में आए थे।अब उनके आधार कार्ड को लेकर भी संदेह बढ़ गया।
लखनऊ की मेयर ने ख़ुद अवैध बांग्लादेशियों के मामले पर मोर्चा संभाला हुआ है।द फ़ेडरल देश से बातचीत में उन्होंने यह माना कि ज्यादातर कर्मचारी जो ग़ायब हैं उनका पता असम का है।ऐसे में यह स्थिति कहीं न कहीं संदेहजनक है।जिन लोगों ने मांगने पर अपने आधार कार्ड जमा कराये हैं उनसे भी इस बात की पुष्टि होती है कि ज्यादातर लोग असम से आए हैं। ऐसे में ये आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज फर्जी भी हो सकते हैं।’
डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और सफाई का काम करते हैं ये संविदा कर्मी-
दरअसल लखनऊ नगर निगम पूरे शहर से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन एजेंसियों के माध्यम से करती है।ऐसा पूरे उत्तर प्रदेश के नगर निगम कर रहे हैं।ऐसे में संबंधित एजेंसी कांट्रैक्ट पर ऐसे सफाईकर्मी और लोगों को नियोजित करके उनसे काम करवाती हैं। लखनऊ स्वच्छता अभियान( LSA )और लायन एनवायरो जैसी एजेंसियों के जिम्मे यह काम है।इसी वजह से नगर निगम का इन संविदा कर्मियों पर सीधा नियंत्रण नहीं है।इस काम में लगी एजेंसियों ने जब पहचान पत्र और दूसरे दस्तावेज मांगे तब यह स्थिति बनी।फ़िलहाल इन एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट दे दी है।इस बीच हर शहर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ अभियान तेज़ हो गया है।ख़ुद यूपी के मुख्यमंत्री होगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के लोगों के नाम खुला पत्र लिख कर अपील की है कि ऐसे लोगों को घर और व्यवसायिक स्थल पर न रखें और काम पर रखने से पहले उनकी नागरिकता की पहचान कर लें।उन्होंने यह भी लिखा कि ऐसे लोगों को यूपी से बाहर भेजा जाएगा।और अगर एक बार नागरिकता पहचान पत्र में इनके बांग्लादेशी होने की बात आती है तो उनको डिटेंशन सेंटर में आबादी से अलग रखा जाएगा। उसके बाद यूपी के हर शहर में कार्रवाई तेज़ हो गई है।

