TASMAC मामले में मद्रास हाई कोर्ट का आदेश, ED के छापेमारी पर लगाई रोक
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TASMAC मामले में मद्रास हाई कोर्ट का आदेश, ED के छापेमारी पर लगाई रोक

यह फैसला उन आरोपों के बाद लिया गया है कि TASMAC कर्मचारियों को ED की तलाशी के दौरान 60 घंटे से ज़्यादा समय तक अनुचित तरीके से हिरासत में रखा गया था. ED को सोमवार तक जवाब दाखिल करना होगा.


TASMAC case: मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को चेन्नई में राज्य-चालित शराब खुदरा विक्रेता 'TASMAC' के ऑफिसों पर किसी भी और तलाशी को रोकने का आदेश दिया. यह आदेश तब आया जब TASMAC के कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्हें 60 घंटे से अधिक समय तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था. कोर्ट ने ED को सोमवार तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने ED को यह भी निर्देश दिया कि वह TASMAC और तमिलनाडु राज्य विपणन निगम के खिलाफ की गई कार्रवाई से जुड़ी FIR और प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट (ECIR) की प्रतियां पेश करे, साथ ही उन सभी दस्तावेजों को भी कोर्ट में प्रस्तुत करे, जिन पर उसने कार्रवाई का आधार बनाया था.

अनियमितताओं का दावा

इस महीने की शुरुआत में TASMAC के कार्यालयों पर की गई छापेमारी के बाद ED ने ₹1,000 करोड़ की वित्तीय अनियमितताओं का दावा किया था, जिसमें टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर और डिस्टलरी कंपनियों के माध्यम से अव्यक्त नकद लेन-देन का आरोप था. ED ने यह भी कहा था कि छापेमारी के दौरान भ्रष्टाचार से जुड़े कई सबूत मिले हैं.

TASMAC की याचिका पर सुनवाई

मद्रास हाई कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस एन सेंथिल कुमार शामिल थे, ने TASMAC और तमिलनाडु सरकार द्वारा ED की छापेमारी के खिलाफ दायर याचिकाओं की अगली सुनवाई 25 मार्च को निर्धारित की. TASMAC ने अपनी याचिका में ED से यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह जांच के नाम पर अपने कर्मचारियों को परेशान न करे और उसे यह भी निर्देश दिया जाए कि वह राज्य की अनुमति के बिना राज्य के भीतर तलाशी न लें. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता पीएस रमन ने कहा कि ED को राज्य की सहमति से ही तलाशी लेने का अधिकार है. अगर राज्य सरकार से सहमति नहीं मिलती तो यह कार्रवाई अवैध होगी. जब पीठ ने इस पर असंतोष व्यक्त किया तो महाधिवक्ता ने इसे संशोधित करने के लिए समय मांगा.

गोपनीयता का उल्लंघन

TASMAC के वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि ED की छापेमारी पारदर्शी होनी चाहिए और एजेंसी को किसी भी स्थान पर बिना अनुमति प्रवेश करने, तलाशी लेने और डिजिटल उपकरणों को जब्त करने का अधिकार नहीं है. यह पूरी तरह से गोपनीयता का उल्लंघन है. उन्होंने बताया कि पैसा लॉन्ड्रिंग (PMLA) की धारा 17(1) के तहत छापेमारी और जब्ती केवल तभी की जा सकती है, जब यह विश्वास हो कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध हुआ है और इसके लिए कारण को लिखित रूप में दर्ज करना अनिवार्य है. चौधरी ने आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान कर्मचारियों को बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें घंटों तक इंतजार करने के लिए मजबूर किया गया, विशेष रूप से महिला कर्मचारियों को.

ED का पक्ष

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एआरएल सुन्दरसेन ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि TASMAC के कार्यालयों पर की गई छापेमारी में मनी लॉन्ड्रिंग का स्पष्ट मामला सामने आया है. ED ने यह भी दावा किया कि उसने 6 मार्च को TASMAC के कर्मचारियों, कॉर्पोरेट कार्यालयों और डिस्टलरी प्लांट्स पर छापेमारी की थी, जिसके बाद भ्रष्टाचार और 'किकबैक' से संबंधित साक्ष्य प्राप्त किए थे.

अगली सुनवाई

कोर्ट ने ED को 24 मार्च तक एफआईआर और ECIR की प्रतियां और अन्य सभी सामग्री प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इसके अलावा ED को एक काउंटर हलफनामा दाखिल करने के लिए भी समय दिया गया. TASMAC और तमिलनाडु सरकार की याचिकाओं की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी, जब यह तय किया जाएगा कि ED के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए या नहीं.

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