महाकुंभ की तैयारी में 7500 करोड़ खर्च, सवाल ये कि कहां रह गई कमी
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महाकुंभ की तैयारी में 7500 करोड़ खर्च, सवाल ये कि कहां रह गई कमी

मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ में पुख्ता तौर पर यह नहीं पता कि कितने लोगों की मौत हुई है। इन सबके बीच लोग सवाल पूछ रहे हैं कि 7500 करोड़ खर्च करने के बाद भी बदइंतजामी क्यों।


Mahakumbh 2025: प्रयागराज में पूर्ण महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए आ रहे हैं। लेकिन 28-29 जनवरी की दरम्यानी रात संगम नोज के हादसे ने व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार ने 7500 करोड़ रुपए कहां खर्च किए। अगर हजारों करोड़ के खर्च के बाद इस तरह की स्थिति बनी तो जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए। लोग सवाल कर रहे हैं कि भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई है या घायल हैं। प्रशासन की तरफ से ना तो मृतकों और ना ही घायलों की संख्या के बारे में स्पष्ट जानकारी दी गई है हालांकि अलग अलग मीडिया रिपोर्ट में 17 लोगों के मरने और 100 के करीब घायलों की संख्या बताई जा रही है। इन सबके बीच हम बात करेंगे कि आखिर जिम्मेदार कौन है।

इस कष्ट का कौन देगा जवाब
यूपी के गोंडा जिले के जोखूराम कहते हैं कि 10 लोगों का उनका ग्रुप था। लेकिन अब आठ ही रह गए। दो लोग कहां है कुछ पता ही नहीं चल रहा। वो जिंदा हैं या घायल... यह कह कर वो रोने लगते हैं। लेकिन यह दर्द उनका अकेले का नहीं है। सवाल यह है कि आखिर इतने पांटून पुल बने। आने जाने के अलग अलग रास्ते बने तो संगम नोज में इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई। क्या प्रशासन को अंदाजा नहीं था। इन सबके बीच प्रयागराज के कमिश्नर का एक ऑडियो वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो कह रहे हैं कि जो सोवत वो खोवत है,आप लोग उठिए स्नान करिए। पीछे से भीड़ आ रही है। अब इसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं कि क्या उन्हें अहसास हो गया था कि भगदड़ जैसी स्थिति बन सकती है।


आखिर कहां रह गई कमी

पिछले कई दिनों से इस तरह की खबर आ रही थी कि अब मामला नियंत्रण से बाहर हो रहा है। भीड़ को संभालने में प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे हैं। अधिकारियों की कोशिश थी कि मेला किसी तरह निबट जाए। सवाल यही उठ रहा है कि जब मेला प्रशासन को अंदाजा लग चुका था नियंत्रण आर्मी के हाथ में क्यों नहीं दिया।

मेले को राजनीतिक इवेंट बनाने का आरोप लगा है। कभी यूपी की कैबिनेट मीटिंग कर रही है तो गृहमंत्री ने दौरा किया। पीएम आने वाले हैं। इस तरह की सूरत में प्रशासन का पूरा ध्यान उधर रहता है। सियासी जानकारों का कहना है कि जब एक पार्टी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रही है तो दूसरे को भी लगता है कि वो क्यों ना करें। यही नहीं मीडिया से भी अव्यवस्था की खबरें गायब थीं ।

लोगों का कहना है कि जिस तरह से प्रशासन का ध्यान वीवीआईपी के आवभगत में लगा हुआ था, उससे किसी अनहोनी की आशंका थी। सामान्य लोगों को 15 से 20 किमी पैदल चलना पड़ रहा था। लेकिन वीआईपी के लिए खास इंतजाम थे। महाकुंभ पर नजर रख रहे सवाल कर रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में वीआईपी पास कहां से जारी हो रहे थे। वीआईपी लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं थी। लेकिन आम जनता के सामने पहाड़ जैसी मुश्किल थी।

लोगों का आरोप है कि जब 30 पीपा पुल बनाए गए थे तो इस्तेमाल के लिए सिर्फ दो क्यों खोले गये। मौनी अमावस्या से ठीक पहले मेला क्षेत्र खचाखच भर चुका था। संगम नोज पर भीड़ को रोकने के लिए मेला प्राधिकरण ने सोमवार को सभी पांटून पुल को बंद कर दिया था। सिर्फ तीन पुलों के जरिए श्रद्धालु आ जा रहे थे। यही नहीं श्रद्धालुओं को आक्रोश था कि 10 से 15 किमी चलकर संगम पहुंचने के बाद लौटा दिया जा रहा था।

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