सीएम पर अब कोई दावा नहीं फिर भी शिंदे खफा, क्या यह है वजह ?
महाराष्ट्र में इस बात पर चर्चा होती थी कि असली संग्राम तो सीएम को लेकर होगा। हालांकि महायुति ने इस मुद्दे को सुलझा लिया है फिर भी शिंदे गुट पत्ते नहीं खोल रहा।
Eknath Shinde: महाराष्ट्र में सीएम पद की शपथ कौन लेगा इसके लिए तारीख का ऐलान हो चुका है। लेकिन चेहरे को लेकर सस्पेंस हैं। अब यह सस्पेंस एकनाथ शिंदे की तरफ से नहीं है क्योंकि वो पहले ही कह चुके हैं कि सीएम बीजेपी का हो उन्हें आपत्ति नहीं है। लेकिन हकीकत में खुलकर वो सामने भी नहीं आ रहे। महायुति के नेताओं के मुताबिक कहीं किसी तरह की परेशानी नहीं। लेकिन विपक्ष को तंज कसने का मौका भी मिल गया है। शिवसेना यूबीटी की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जब तक सीएम पद की शपथ नहीं हो जाती तब तक यह नखरा चलता रहेगा। वो भी शिंदे गुट से सवाल करती हैं कि अगर आप को किसी तरह की परेशानी नहीं हो तो दिक्कत क्यों है।
23 नवंबर को आए थे नतीजे
महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों के आने के बाद जो आंकड़े नजर आ रहे थे। उसके मुताबिक यह तो करीब करीब तय था कि इस दफा सीएम की कुर्सी बीजेपी किसी और को देने नहीं जा रही है। एकनाथ शिंदे खेमे की तरफ से दबाव बनाने की कोशिश हुई तो बीजेपी ने आंकड़ों की मदद से ही उनकी धार को कुंद कर दिया। शिंदे खेमे की 2022 वाली दलील भी काम नहीं आई क्योंकि बीजेपी ने साफ कर दिया कि उस समय की तस्वीर अलग थी।
जाहिर सी बात भी है कि राजनीति में सुविधा और जरूरत ही फैसलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। कुछ समय बाद शिंदे गुट को यह हकीकत समझ में आ गई और उन्होंने खुद को अलग कर लिया। सीएम की रेस से हटने के बाद उनके खास सहयोगी संजय शिरसाट के बयान इशारा कर रहे थे कि मंंत्रिमंडल में कुछ खास विभाग मिलने चाहिए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल निकली कि शिंदे गुट की नजर गृह मंत्रालय पर है जिसे बीजेपी नहीं देना चाहती है। अब इस विभाग से शिंदे खेमे को मोहब्बत क्यों है। इसे समझने के लिए साल 2019 में चलना होगा।
क्या गृह मंत्रालय की आस
साल 2019 में उद्धव ठाकरे जब महाराष्ट्र के सीएम बने तो उनके बेहद खास एकनाथ शिंदे को उम्मीद थी कि गृहमंत्रालय उन्हें मिलेगा। लेकिन समझौते के तहत एनसीपी शरद पवार गुट के अनिल देशमुख को यह विभाग मिला और शिंदे हाथ मलते रह गए। अनिल देशमुख के विवादों में आने के बाद इस विभाग की जिम्मेदारी दिलीप वलसे पाटिल को मिली। यानी कि इस विभाग को पाने की चाहत पर ब्रेक लग गया।जब 2022 में एकनाथ शिंदे को सीएम बनने का मौका मिला तो गृह विभाग फिर वो हासिल नहीं कर सके क्योंकि समझौते के तहत इस विभाग की जिम्मेदारी देवेंद्र फणनवीस को मिली।
कहा जाता है कि इस विभाग से शिंदे के प्रेम को ऐसे भी समझ सकते हैं कि उन्होंने फणनवीस के कुछ फैसलों पर रोक भी लगा दी थी। बीजेपी इस बात से खफा भी थी। लेकिन नाराजगी खुल कर बाहर सामने नहीं आई। अब जब शिंदे गुट को नंबर 2 की हैसियत में रहना है तो इतिहास का हवाला देते हुए नजर गृह मंत्रालय पर है जिसे बीजेपी के नेता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। महाराष्ट्र पर नजर रखने वाले कहते हैं कि शिंदे के सामने मूल विषय अब सिर्फ मलाइदार विभाग हैं। महाराष्ट्र में जिस तरह से आंकड़े आए हैं उसे देखकर शिंदे के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। कुल मिलाकर आप कह सकते हैं कि गतिरोध का दौर पांच दिसंबर के पहले खत्म हो चुका है क्योंकि बीजेपी की तरफ से शपथ समारोह का ऐलान किया जा चुका है।