महाराष्ट्र: चुनाव से पहले योजनाओं का श्रेय लेने को आपस में भिड़ी महायुति, लगाए ये आरोप
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महाराष्ट्र: चुनाव से पहले योजनाओं का श्रेय लेने को आपस में भिड़ी महायुति, लगाए ये आरोप

महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन में 'लड़की बहन योजना' को लेकर दरार दिखाई दे रही है. शिवसेना (शिंदे) के एक मंत्री ने प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम 'छोड़ने' के लिए एनसीपी के खिलाफ आपत्ति जताई है.


Mahayuti Alliance Rift: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में 'लड़की बहन योजना' को लेकर दरार दिखाई दे रही है. शिवसेना (शिंदे) के एक मंत्री ने इस योजना के विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम 'छोड़ने' के लिए अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के खिलाफ आपत्ति जताई है.

महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री शंभूराज देसाई ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर 'मुख्यमंत्री मांझी लड़की बहिन' योजना को हाईजैक करने पर निराशा व्यक्त की, जो राज्य में पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि उनके (अजित के) जनसंपर्क कार्यक्रमों के दौरान योजना का पूरा नाम इस्तेमाल नहीं करना प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं है.

पूरा नाम नहीं किया जा रहा इस्तेमाल

देसाई ने आरोप लगाया कि योजना के नाम में 'मुख्यमंत्री' शब्द है और इसे योजना से हटाना अनुचित है. ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था. मंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार की योजना है और उन्हें (अजित को) सभी को साथ लेकर चलना चाहिए था. बता दें कि नवंबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले वित्त मंत्री अजित पवार ने पिछले महीने अपनी पार्टी की 'जन सम्मान यात्रा' शुरू की, जो एक जनसंपर्क कार्यक्रम है. इसका कथानक लड़की बहन और अन्य योजनाओं के तहत प्रदान की गई वित्तीय सहायता के लाभों पर केंद्रित है. एनसीपी ने अभियान के दौरान इस्तेमाल किए गए विज्ञापनों और अन्य प्रचार सामग्री में योजना का पूरा नाम 'मुख्यमंत्री मांझी लड़की बहिन' के बजाय सिर्फ 'माझी लड़की बहिन' लिखा हुआ है.

चुनावी लाभ पर नजर

अजित पवार खेमे ने दो वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें लाभार्थियों को योजना के लिए उपमुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए दिखाया गया है. लड़की बहिन योजना पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई लाडली बहना योजना से प्रेरित है. लड़की बहन योजना की औपचारिक शुरुआत पिछले महीने ही हुई थी. रैलियों के दौरान बोलते हुए सीएम शिंदे ने वादा किया है कि अगर महायुति फिर से सत्ता में आई तो वह इस योजना की राशि को दोगुना करके 3,000 रुपये कर देगी.

राज्य मंत्रिमंडल

इससे पहले यह मुद्दा गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भी उठा था, जिसमें शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) नेताओं के बीच इस बात को लेकर वाकयुद्ध हुआ था कि राकांपा ने विज्ञापन जारी किया, जिसमें मुख्यमंत्री शिंदे का उल्लेख नहीं था और दावा किया गया था कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना के तहत महिलाओं को पैसा दे रहे हैं. गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल में यह मुद्दा उठाया गया. लेकिन अजित पवार अस्वस्थ होने के कारण वहां मौजूद नहीं थे. योजना पर एक प्रस्तुति के बाद देसाई ने सवाल उठाया कि विज्ञापन से मुख्यमंत्री का नाम कैसे हटाया जा सकता है.

पवार के अनुपस्थित रहने के कारण एनसीपी के वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि शिंदे का नाम कहीं से नहीं हटाया जाएगा. सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी स्थिति को संभालने की कोशिश की. शिंदे ने कहा कि तीनों दलों को मिलकर काम करना चाहिए और किसी भी तरह के मतभेद से बचना चाहिए. इससे पहले सरकार ने बताया कि इस योजना की लाभार्थी 1.59 करोड़ महिलाएं हैं और 4,787 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं. इस योजना के तहत 21 से 65 वर्ष की आयु की पात्र महिलाओं के बैंक खातों में हर महीने 1,500 रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे.

सुले ने की आलोचना

इस बीच एनसीपी (सपा) नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि 'लड़की बहन' योजना का श्रेय लेने को लेकर सत्तारूढ़ महायुति सहयोगियों के बीच झगड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे सरकार की असली मंशा उजागर हो गई है. उन्होंने मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि महायुति सरकार को लोकसभा चुनावों में हार का सामना करने के बाद ही बहिनों (बहनों/महिलाओं) के प्रति स्नेह महसूस होना शुरू हुआ. सुले के चचेरे भाई और एनसीपी प्रमुख अजित पवार उपमुख्यमंत्रियों में से एक हैं. जबकि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस दूसरे उपमुख्यमंत्री हैं.

बारामती की सांसद ने कहा कि लड़की बहिन योजना महिला सशक्तिकरण के लिए नहीं, बल्कि स्वार्थी राजनीतिक हितों के लिए लाई गई थी. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेहनती और स्वाभिमानी महिलाओं को यह महसूस कराकर गुमराह किया जा रहा है कि उन्हें इस सरकार पर भरोसा करना चाहिए. मंत्री श्रेय लेने के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं. यह भाई-बहन के रिश्ते का अपमान है.

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