महाराष्ट्र: गठबंधन में बढ़ी खींचतान; फडणवीस बोले– लंका हम ही जलाएंगे
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महाराष्ट्र: गठबंधन में बढ़ी खींचतान; फडणवीस बोले– 'लंका हम ही जलाएंगे'

हाल ही में भाजपा ने शिवसेना के कुछ पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल किया है। इससे शिवसेना नाराज है। पार्टी का मानना है कि भाजपा अगर नीचे के स्तर पर ही उसके लोगों को तोड़ती रही तो भविष्य में शिवसेना के संगठन को बड़ा नुकसान हो सकता है।


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महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन के अंदर लगातार खींचतान बढ़ रही है। खासकर हिंदुत्व की विचारधारा का दावा करने वाली भाजपा और शिवसेना के बीच माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे के नेताओं को अपने दल में शामिल कराने में लगी हैं, जिससे संबंध और बिगड़ रहे हैं। कई मुद्दों पर भी दोनों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। हाल ही में मामला गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचा था, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

फडणवीस का शिंदे पर पलटवार

आमतौर पर विवादित मामलों पर बोलने से बचने वाले देवेंद्र फडणवीस ने पहली बार खुलकर जवाब दिया है। एकनाथ शिंदे ने अपने भाषण में भाजपा की तुलना ‘रावण’ से की थी और कहा था कि रावण भी घमंडी था, उसकी लंका जल गई थी। आपको भी 2 दिसंबर को ऐसा ही करना है। इस बयान पर फडणवीस ने एक कार्यक्रम में कहा कि वे लोग कुछ भी बोल दें, हमें फर्क नहीं पड़ता। वे कहें कि हमारी लंका जलाएंगे, लेकिन हम लंका में रहते ही नहीं। हम तो भगवान श्रीराम के अनुयायी हैं, रावण के नहीं। चुनाव के समय ऐसी बातें कही जाती हैं, इन्हें दिल पर नहीं लेना चाहिए। हम ‘जय श्रीराम’ बोलने वाले लोग हैं।

लंका तो हम ही जलाएंगे

फडणवीस ने आगे कहा कि हमने अभी-अभी राम मंदिर पर धर्मध्वजा फहराई है। हम भगवान राम की पूजा करने वाले लोग हैं। लंका तो हम ही जलाएंगे। ये बयान उन्होंने पालघर जिले में नगर पंचायत और नगर निकाय चुनाव के लिए आयोजित रैली में दिया। इसी क्षेत्र में प्रचार करते हुए शिंदे ने भाजपा का नाम लिए बिना ‘रावण’ वाली टिप्पणी की थी, जिसे सीधे भाजपा पर हमला माना गया।

नेता तोड़ने की राजनीति

हाल ही में भाजपा ने शिवसेना के कुछ पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल किया है। इससे शिवसेना नाराज है। पार्टी का मानना है कि भाजपा अगर नीचे के स्तर पर ही उसके लोगों को तोड़ती रही तो भविष्य में शिवसेना के संगठन को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसी नाराजगी के चलते शिवसेना के मंत्री फडणवीस की एक कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए। बाद में मंत्रियों ने खुलकर विरोध भी जताया। इसके बाद एकनाथ शिंदे दिल्ली जाकर अमित शाह से मिले।

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