
महायुती की 'हरियाणा' फोर्मुले से महाराष्ट्र साधने की तैयारी, एससी ओबीसी वोटरों पर नजर
महाराष्ट्र सरकार ने एससी और ओबीसी वर्ग के वोटरों को साधने के लिए कैबिनेट में किये महत्वपूर्ण फैसले. ओबीसी के क्रीमी लेयर की आय की सीमा 8 लाख से बढ़ा कर 15 लाख सालाना करने का प्रस्ताव.
Mahayuti Maharashtra Elections: हरियाणा चुनाव में बीजेपी की एतिहासिक जीत ने जहाँ एक ओर इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लेकर विपरीत माहौल पैदा किया है तो वहीँ बीजेपी और उसके घटक दलों के लिए एनर्जी बूस्टर का काम किया है. ख़ास तौर से महाराष्ट्र के महायुती गठबंधन के लिए. हरियाणा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने दलित और ओबीसी वर्ग को अपने साथ जोड़ा है. उसी तर्ज पर अब महाराष्ट्र में महायुती सरकार ने भी इन दोनों वर्गों को अपने खेमे में लेने का काम शुरू कर दिया है. यही वजह रही कि महाराष्ट्र सरकार ने एससी और ओबीसी वर्ग के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं.
कैबिनेट ने इन फैसलों पर लगायी मोहर
महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट ने गुरुवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, इनमें राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले अध्यादेश को मंजूरी के साथ साथ केंद्र सरकार से ओबीसी में क्रीमी लेयर श्रेणी में तबदीली शामिल रही. महाराष्ट्र सरकार ने मांग की है कि महाराष्ट्र में 15 लाख रूपये सालाना आय वाले ओबीसी परिवार को आरक्षण का लाभ मिले, जबकि अभी तक आय के लिए जो मानदंड तय है उसके अनुसार 8 लाख रुपये प्रति वर्ष से ज्यादा आय वाले ओबीसी वर्ग को क्रीमी लेयर में माना जाता है और उस परिवार को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता.
हरियाणा से लिया फार्मूला
महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी क्रीमी लेयर के लिए जो प्रस्ताव पास किया है, वो कहीं और से नहीं बल्कि हरियाणा से लिया गया है. हरियाणा चुनाव से पहले बीजेपी की प्रदेश सरकार ने ओबीसी क्रीमी लेयर की आय की सीमा 6 लाख से बढ़ा कर 8 लाख कर दी थी. इस फैसले को बीजेपी के लिया काफी लाभप्रद माना गया और ये भी माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में जो ओबीसी वर्ग बीजेपी से जुड़ा है, उसके पीछे इस निर्णय की अहम भूमिका रही है.
लोकसभा चुनाव के बाद से एससी और ओबीसी पर हा ध्यान
ये बात दीगर है कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन खासतौर से कांग्रेस ने देश भर में संविधान खतरे में है का नारा लगाते पर बीजेपी पर आरक्षण ख़त्म करने का आरोप लगाया था. देश भर के एससी/एसटी/ओबीसी वर्ग को ये सन्देश दिया था कि अगर बीजेपी की सरकार पूर्ण बहुमत से आती है तो आरक्षण ख़त्म कर देगी. इसका असर सीधे तौर पर पड़ा और बीजेपी को 240 सीटें ही आयीं, जिसकी वजह से बीजेपी पूर्ण बहुमत नहीं पा सकी. महाराष्ट्र में भी बीजेपी को बड़ा नुक्सान उठाना पड़ा, जिसका फायदा सीधे तौर पर महाविकसा अघाड़ी को मिला. विधानसभा चुनाव में महायुती को लोकसभा जैसा हाल न झेलना पड़े, इसके लिए अब बीजेपी, शिवसेना ( शिंदे ) और एनसीपी ( अजित पवार ) ने मिलकर एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को साधने का काम शुरू कर दिया है.
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