तो इस्तीफा दे दूंगी, ममता बनर्जी के इस बयान के पीछे मकसद क्या है
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तो इस्तीफा दे दूंगी, ममता बनर्जी के इस बयान के पीछे मकसद क्या है

आरजी कर अस्पताल कांड के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी चौतरफा घिरी हुई हैं। यहां तक कि उन्होंने कहा कि इस्तीफा दे दूंगी। सवाल यह है कि क्या वो खुद को पीड़ित बता रही हैं।


Mamata Banerjee: आरजी कर अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। गुरुवार यानी 12 सितंबर को नबन्ना भवन के कांफ्रेंस हॉल में सीएम ममता बनर्जी 2 घंटे तक बातचीत के लिए डॉक्टरों का इंतजार करती रहीं। लेकिन डॉक्टर नहीं आए। डॉक्टरों की मांग थी कि बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग हो। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कानून का हवाला देते हुए इनकार कर दिया गया। इन सबके बीच ममता बनर्जी ने कहा कि इस्तीफा दे दूंगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या वो विक्टिम कार्ड तो नहीं खेल रही हैं। यहां सवाल ये है कि वो ना सिर्फ सूबे की सीएम हैं बल्कि गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य महकमा दोनों संभाल रही हैं। ऐसे में जब कार्रवाई करने का समय आया तो वो खामोश क्यों रहीं। इस तरह की बात उनके खास सहयोगी जवाहर सरकार ने भी की जो राज्य सभा सांसद से इस्तीफा दे चुके हैं। जवाहर सरकार ने तो यहां तक कहा था कि वो पुरानी ममता बनर्जी देखना चाहते थे लेकिन वो कहीं नजर नहीं आईं।

नबन्ना का वीडियो कैसे हुआ लीक
नबन्ना भवन में कांफ्रेंस हाल में वैसे तो कुर्सियां बड़ी संख्या में लगी हुई थी। लेकिन सिर्फ तीन लोग नजर आए। जिसमें एक कुर्सी पर ममता बनर्जी बैठी थीं। दो घंटे तक इंतजार करती रहीं जब कोई नहीं आया तो उठ कर चली गईं। प्रेंस कांफ्रेस की और कहा कि वो तो बातचीत के लिए तैयार हैं। पीड़िता का मामला उनके पास नहीं है फिर भी वो कोशिश कर रही है। वो लोगों की खातिर अपने पद से इस्तीफा दे देंगी। लेकिन यहां दो अहम सवाल हैं पहला तो ये कि उस कांफ्रेंस हाल का वीडियो किसने लीक किया। दूसरा ये कि जब जूनियर डॉक्टरों की मांग कोलकाता के कमिश्नर ऑफ पुलिस को हटाने की है तो वो क्यों हटा नहीं रही हैं। उनका यह तर्क कहां तक उचित है कि आने वाले महीने में दुर्गा पूजा है और कानून व्यवस्था के मद्देनजर ऐसा शख्स जरूरी है जिसे इलाके के बारे में जानकारी हो। अब यह तर्क अजीब सा लगता है कि क्या बंगाल में दूसरा कोई पुलिस अधिकारी नहीं है जिसकी समझ कोलकाता को लेकर अच्छी हो।

जिम्मेदारी तो बनती है
क्या ममता बनर्जी इस्तीफे की बात कह सहानुभूति लेना चाहती हैं। इस विषय पर लोग कहते हैं कि पहले भी जब वो मुसीबत में घिरी हैं तो भावुक अपील किया करती थीं। लेकिन आरजी कर मामले के बाद जिस तरह से महिलाएं सड़कों पर उतर आईं उसे वो भांप नहीं सकीं। संदेशखाली का मसला हो, उत्तर बंगाल रेप कांड का मसला हो उन दोनों केस को तो राजनीतिक बताया। लेकिन आरजी कर में सीधे सीधे जब टीएमसी के एक विधायक पर आरोप लगा, प्रिंसिपर लहे डॉ संदीप घोष पर आरोप लगा तो वो एक तरह से बैकफुट पर आ गईं। दरअसल मजबूत स्तंभ की तरह खड़े रहने वाले उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने शुरुआत में चुप्पी साध ली। उनका भी मानना था कि सरकार को जितनी तत्परता से कार्रवाई करनी चाहिए थी शायद वो नहीं हुई। इसके साथ ही ममता बनर्जी खुद गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री भी हैं लिहाजा अब वो सीधे सीधे विरोधियों के टारगेट पर आ जाती हैं ऐसे में उनके सामने मुश्किल बढ़ गई है।

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