स्मार्ट सिटी लखनऊ के नाले में बहा परिवार का सहारा, सिस्टम बेख़बर
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स्मार्ट सिटी लखनऊ के इसी नाले में गिरकर हुई सुरेश लोधी की मौत

स्मार्ट सिटी लखनऊ के नाले में बहा परिवार का सहारा, सिस्टम बेख़बर

स्मार्ट सिटी के दावे पर जमी भ्रष्टाचार और लापरवाही की धूल, कई बार शिकायत के बाद भी नहीं हुई थी मरम्मत


यूपी की राजधानी लखनऊ में बारिश के बाद नाले में बहने से सिर्फ़ सुरेश लोधी की मौत ही ही नहीं हुई बल्कि पूरा सिस्टम ही नाले में बह गया।इस हादसे के बाद जिस तरह से एक के बाद एक लापरवाही की परतें खुलती नज़र आ रही हैं उससे इतना तय है कि स्मार्ट सिटी के दावे ओर भ्रष्टाचार की धूल सिस्टम पर जमी हुई है।जहाँ अधिकारी ने शिकायत के बाद भी नाले की मरम्मत नहीं करायी वहीं स्थानीय कॉर्पोरेटर भी अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक गए।फ़िलहाल नाले में बहने से हुई मौत के बाद सरकार ने 9 लाख रुपए सुरेश लोधी के परिवार को मुआवज़े के तौर पर दिए हैं और दो अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ ही ज़िम्मेदारी एजेंसी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर कर उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया है।

चौतरफा सवाल

लखनऊ के ठाकुरगंज में लापरवाही की ऐसी घटना सामने आई है जिसने एक बार फिर सिस्टम की पोल खोल दी है।ठाकुरगंज इलाके में 42 साल के सुरेश लोधी तेज बारिश में उफनाये नाले में गिर गए।वजह यह थी कि सड़क पर चारों तरफ़ पानी जमा होने की वजह से खुला हुआ नाला दिखाई नहीं पड़ा।तुरंत चारों तरफ़ हल्ला हो गया।पेंटिंग का काम करने वाले सुरेश लोधी तेज बहाव में नाले में बह गए।लोगों ने बताया कि नाले की स्लैब टूटी हुई थी और चेतावनी का कोई बोर्ड भी नहीं लगा था।इसके बाद घर के लोग शिकायत करने पहुंचे।

नगर निगम की लापरवाही से घर के कमाने वाले इकलौते सदस्य और तीन बच्चों के पिता सुरेश की जान चली गई।नगर निगम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया।पर 10 घंटे तक ढूँढने के बाद भीं शव नहीं मिला।इसके बाद सर्च रोक कर चले गए।मामले में त्रासदी यह भी है कि सुरेश लोधी के घर के लोगों ने स्थानीय लोगों की सहायता से सुरेश लोधी को ढूंढने का काम जारी रखा।मामले में आक्रोश बढ़ता गया।लोगों की माँग थी कि शव ढूँढने का काम जारी रहना चाहिए।इस बीच शिकायत कर रहे लोग आक्रोशित हुए तो पुलिस ने परिजनों और स्थानीय लोगों को बल प्रयोग कर खदेड़ दिया।इस बीच घटना से एक किलोमीटर दूर गऊघाट पर जाले में फँसा हुआ सुरेश लोधी का शव वहाँ काम कर रहे सफ़ाईकर्मी को दिखाई पड़ा।तब लोगों ने होने प्रयास से शव निकाला।उसके बाद नगर निगम की टीम पहुंची।

सिस्टम पर सवाल बरक़रार

इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री ने घटना को लेकर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगायी।इसके बाद जूनियर इंजीनियर ( JE) रमन सिंह को निलंबित कर दिया गया और सहायक अभियंता आलोक श्रीवास्तव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।सरकार ने इस गंभीर घटना पर 9 लाख रुपए के मुआवज़े का ऐलान कर दिया।जिसमें 5 लाख रुपए मुख्यमंत्री कोष से और 4 लाख रुपए आपदा राहत कोष से दिए गए हैं।परिवार को प्रधानमंत्री आवास देने की भी घोषणा की गई है।

शिकायत के बाद भी नहीं हुई थी नाले की मरम्मत

इस लापरवाही पर और सिस्टम को लेकर कई सवाल उठा रहे हैं। सुरेश लोधी को यूपी की राजधानी और स्मार्ट सिटी लखनऊ में अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी क्योंकि विभागों ने अपना काम ठीक से नहीं किया।नाले की सफाई का दावा हर साल बारिश आने से पहले ही किया जाता है।पर नाले की कोई सफाई नहीं हुई जिससे एक दिन की बारिश में ही नाला उफान पर आ गया।नाले के ऊपर का स्लैब टूटा हुआ था जिसे नया लगाने या मरम्मत करने की ज़रूरत नहीं महसूस की गई जो साफ़ तौर से किसी भी हादसे को निमंत्रण देना था।स्थानीय लोग बताते हैं कि कई महीनों से ये स्लैब टूटा था जिसकी शिकायत न सिर्फ़ अधिकारियों से की गई बल्कि कई बार स्थानीय कॉर्पोरेटर सी बी सिंह से भी शिकायत की गई।लेकिन कोर्पोरेटर ने मामले को देखना ज़रूरी नहीं समझा।मामले पर सुरेश की पत्नी की और से दर्ज एफ़आईआर में सभासद को भी नामजद किया गया है।वहीं लोग ये भी बता रहे कि कमांड कंट्रोल सेंटर और IGRS हेल्पलाइन पर भी इसकी शिकायत की गई थी।इसकी मुख्य ज़िम्मेदारी उस क्षेत्र के JE की थी पर उन्होंने इसकी ज़रूरत नहीं समझी।

इससे पहले सितंबर महीने में शहर के वजीरगंज इलाके में छह साल की बच्ची नाले में बह गई थी।ये हादसा बताया है कि उसके बाद भी नगर निगम और स्थानीय प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा और अब सुरेश लोधी की जान चली गई।

दरअसल लखनऊ नगर निगम ने शहर के नालों की सफ़ाई का काम आउटसोर्सिंग के ज़रिए कराने की शुरुआत की है।इसके लिए अनिका इंटरप्राइज़ और ठेकेदार अंकित सिंह के ख़िलाफ़ एफ़आईआर करायी गई है और एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।लखनऊ नगर निगम यूपी लेना से बड़े स्थानीय निकायों(local bodies) में से एक है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्मार्ट सिटी लखनऊ में रखरखाव और विकास के लिए अब तक 300 करोड़ रुपए के 30 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं।जबकि 511 करोड़ रुपए ले 11 प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं।इसके बावजूद नाले में गिरकर किसी शहरी की जाना सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाता है।

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