
कर्रेगुट्टा ऑपरेशन: 31 माओवादी ढेर, अमित शाह बोले- 'लाल आतंक पर तिरंगे की जीत'
India Biggest Anti-Naxal Operation: भारत सरकार और सुरक्षा बलों ने स्पष्ट कर दिया है कि माओवाद के खिलाफ यह निर्णायक युद्ध है और लक्ष्य है मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह अंत. कर्रेगुट्टा की जीत इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है.
Karregutta Maoist Operation: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी (Karregutta Hill) पर सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए देश के सबसे बड़े नक्सल विरोधी ऑपरेशन में 31 माओवादी मारे गए. इसके साथ ही 450 आईईडी, 40 हथियार, भारी मात्रा में गोला-बारूद, डेटोनेटर और 12,000 किलोग्राम सामग्री जब्त की गई. इस ऑपरेशन को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने "ऐतिहासिक सफलता" बताया है. गृह मंत्री शाह ने बुधवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि "#NaxalFreeBharat के संकल्प में ऐतिहासिक सफलता... जिस पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहां आज शान से तिरंगा लहरा रहा है."
माओवादियों का मुख्य गढ़ ध्वस्त
कर्रेगुट्टा पहाड़ी को माओवादी संगठनों का “एकीकृत मुख्यालय” माना जाता था. यहां से रणनीतियां बनती थीं, हथियार बनाए जाते थे और लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया जाता था. यह ऑपरेशन 22 अप्रैल से शुरू हुआ और 21 दिनों के भीतर सुरक्षा बलों ने कर्रेगुट्टा के तीन में से दो रिज को तेज़ी से कब्जे में ले लिया. अंतिम रिज पर कुछ दिनों तक संघर्ष चला. लेकिन आखिरकार माओवादी गढ़ ध्वस्त हो गया.
2,000 से अधिक सुरक्षाबल शामिल
इस ऑपरेशन में CRPF, छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) की टीमों ने भाग लिया. गृह मंत्री ने जवानों को "शौर्य और पराक्रम का प्रतीक" बताते हुए बधाई दी. करीब 2,000 जवानों ने कठिन भू-भाग, भीषण गर्मी, बारूदी सुरंगों और IED से भरे इलाकों में अभियान को अंजाम दिया.
इनामी लिस्ट के माओवादी ढेर
CRPF प्रमुख जीपी सिंह ने बताया कि मारे गए 31 माओवादियों पर कुल ₹1.72 करोड़ का इनाम था. इनमें से 28 की पहचान हो चुकी है और कई वरिष्ठ माओवादी नेता भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यह माओवाद के अंत की शुरुआत है. जो लक्ष्य हमने तय किया था, उससे कहीं अधिक हमने हासिल किया है. मार्च 31 2026 तक माओवाद पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य पूरा होगा. उन्होंने यह भी बताया कि माओवादी प्रभाव वाले जिले 2024 में 35 थे, जो अब घटकर केवल 6 रह गए हैं. 2024 में 1,000 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि 2025 में अब तक 718 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं.
माओवादियों का अंतिम किला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कर्रेगुट्टा पहाड़ी – जिसे माओवादी आंदोलन का 'ब्लैक हिल'* कहा जाता है – को अपराजेय गढ़ माना जाता था. यह लगभग 5000 फीट ऊंची पहाड़ी गुफाओं और जंगलों से घिरी हुई थी, जहां से कई बड़े हमलों की साजिश रची गई थी. यही वह इलाका है, जहां से मड़ावी हिडमा जैसे माओवादी कमांडर – जो दंतेवाड़ा (2010) और सुकमा (2017) हमलों के मास्टरमाइंड रहे – ने अपनी गतिविधियां चलाई थीं. हालांकि, हिडमा मारे गए या नहीं, यह अब तक स्पष्ट नहीं है.
अब फहरा तिरंगा
ऑपरेशन के नौवें दिन के बाद सेना को बढ़त मिल गई और रणनीतिक स्थानों पर जवानों को एयरड्रॉप कर दिया गया. जवानों ने बारूदी सुरंगों को पार करते हुए ‘ग्राउंड ज़ीरो’— गुफाओं के उस मुहाने तक पहुंच बनाई, जहां से माओवादी हमलों की योजना बनाई जाती थी.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी सलामी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि भीषण गर्मी, दुर्गम इलाका और पानी तक की कमी के बावजूद हमारे जवानों ने जो साहस दिखाया, वह नमन करने योग्य है. यह देश का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी ऑपरेशन है.