
एमसीडी उपचुनाव: AAP के शीर्ष नेता गायब, प्रचार से दूरी ने बढ़ाया सवाल
एमसीडी की 12 सीटों पर उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस पूरी ताकत से सक्रिय, जबकि आप के वरिष्ठ नेता प्रचार में दिखाई नहीं दे रहे, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित।
Delhi MCD Bye Elections : दिल्ली नगर निगम की 12 सीटों पर 30 नवंबर को होने वाले उपचुनाव ने राजधानी की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। भाजपा जहां पूरे जोर-शोर से मैदान में उतर चुकी है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी लगातार जनसभाओं और नुक्कड़ सभाओं में हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस सबके के बीच आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कहां है?
केजरीवाल, सिसोदिया, आतिशी, संजय सिंह सभी दिल्ली के मैदान से गायब
जहां भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री और सांसद लगातार प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं, वहीं AAP के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल पूरी तरह से दिल्ली के इस उपचुनाव में नदारद हैं। केजरीवाल के डिप्टी मनीष सिसोदिया ने भी दिल्ली से दूरी बनायीं हुई है और पंजाब में जुटे हुए हैं। संजय सिंह उत्तर प्रदेश में अपनी यात्रा निकालने में व्यस्त हैं, और राघव चड्ढा अपने परिवार के साथ निजी समय बिता रहे हैं। जबकि राघव चड्ढा के ही पुराने विधानसभा क्षेत्र राजेंद्र नगर के वार्ड नारायणा में उपचुनाव है, फिर भी वे वहां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं दे रहे। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी भी अपने पड़ोस वाले ग्रेटर कैलाश वार्ड में किसी भी तरह की गतिविधि में दिखाई नहीं दी हैं। यानी दिल्ली को सिर्फ सौरभ भरद्वाज के भरोसे छोड़ कर बाकी का सारा शीर्ष नेतृत्व नदारद है। ऐसे में ये भी बड़ा सवाल है कि क्या शीर्ष नेतृत्व अपनी जीत को लेकर संशय में है और ये नहीं चाहता कि नकारात्मक परिणाम की ज़िम्मेदारी उनके सर पर आये।
सोशल मीडिया पर भी खामोशी, प्रचार का एक पोस्ट तक नहीं
AAP के बड़े नेताओं के एक्स हैंडल देखें तो कहीं भी एमसीडी उपचुनाव का जिक्र तक नहीं है। पार्टी प्रत्याशियों की कोई पोस्ट नहीं, प्रचार का कोई वीडियो नहीं इस खामोशी ने कार्यकर्ताओं को भी असमंजस में डाल दिया है। जैसे पार्टी नेतृत्व को लगता हो कि यह चुनाव “महत्वहीन” है। जबकि खुद 2021 में किए गए एमसीडी उपचुनावों में केजरीवाल और सिसोदिया ने रोड शो तक किए थे। अब केजरीवाल के X पर सिर्फ और सिर्फ पंजाब ही दिखाई दे रहा है।
तब जीते थे चार वार्ड, आज कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा
2021 के उपचुनावों में AAP ने चार वार्ड में जीत दर्ज की थी और भाजपा से एक सीट छीनी थी। उस समय शीर्ष नेतृत्व सबसे आगे था, और उसका सीधा फायदा पार्टी के प्रत्याशियों को मिला भी था। लेकिन इस बार, शीर्ष नेताओं की दूरी ने कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा दिया है। जिन इलाकों जैसे पटपड़गंज ( मनीष सिसोदिया ) का विनोद नगर या राजेंद्र नगर ( राघव चढ्ढा ) का नारायणा से इनके बड़े नेता तीन-तीन बार जीते, आज वही नेता अपने इलाक़ों में दिखाई नहीं दे रहे।
उधर भाजपा-कांग्रेस पूरी ताकत से मैदान में
भाजपा के सातों सांसद, प्रदेश अध्यक्ष, दिल्ली सरकार के कई मंत्री अभियान में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी लगातार बैठकों और सभाओं में मौजूद हैं। ऐसे में AAP के शीर्ष नेताओं की “गैर-मौजूदगी” लोगों को खल रही है।
ये दूरी AAP की राजनीतिक सेहत के लिए ठीक नहीं
विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव भले छोटे होते हों, लेकिन जनता तक मुद्दे पहुंचाने का बड़ा मौका देते हैं। इतना ही नहीं इन छोटे चुनावों से भी नेरेटिव तैयार होते हैं, जो न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत करते हैं बल्कि विरोधी दलों का मनोबल गिराते भी हैं।
लेकिन जब विपक्षी दल नदारद दिखे तो जनता इसे कमजोरी मानती है।
कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता फिर बना सकती है अपनी जगह
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार के बाद अब कांग्रेस के पास फिर से अपनी जमीन बनाने का मौका है और कांग्रेस इसके लिए मेहनत भी कर रही है। अगर कांग्रेस ऐसे ही सक्रीय रहती है और आप नदारद रहती है तो कहीं न कहीं आप को इसका खामियाजा भी चुकाना पड़ सकता है, क्योंकि दिल्ली में मुख्य विपक्षी पार्टी होकर भी AAP का शीर्ष नेतृत्व उपचुनाव से दूरी बनाए बैठा है, यह जनता के बीच बिल्कुल अच्छा संदेश नहीं दे रहा।

