MCD का बड़ा फैसला, अब प्राइवेट एजेंसियां संभालेंगी पार्क
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MCD का बड़ा फैसला, अब प्राइवेट एजेंसियां संभालेंगी पार्क

Delhi Parks: दिल्ली नगर निगम की यह नई पहल हरित क्षेत्रों की गुणवत्ता को सुधारने का एक आधुनिक प्रयास है. अगर यह मॉडल सफल रहा तो आने वाले वर्षों में दिल्ली के हर कोने में साफ़-सुथरे और बेहतर पार्क देखने को मिल सकते हैं.


MCD Park Privatization: दिल्ली नगर निगम (MCD) ने राजधानी के बड़े और ऐतिहासिक पार्कों के रखरखाव और प्रबंधन के लिए निजी एजेंसियों को शामिल करने की योजना बनाई है. यह कदम पार्कों की दशा सुधारने और माली कर्मचारियों की भारी कमी को दूर करने के मकसद से उठाया गया है. इस नई पहल के तहत करोल बाग जोन के सभी तीन एकड़ से बड़े पार्कों की देखरेख निजी कंपनियों को सौंपी जाएगी. अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो इसे दिल्ली के सभी 12 एमसीडी ज़ोनों में लागू किया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना में रोशनारा बाग, कुदसिया बाग और अजमल खान पार्क जैसे ऐतिहासिक पार्कों को भी शामिल किया गया है. रोशनारा बाग में पहले से रेनोवेशन कार्य जारी है, जिसमें ऐतिहासिक झील का डेवलपमेंट भी शामिल है. इसके रखरखाव के लिए एक एनजीओ को भी जोड़ा जाएगा.

क्या-क्या होगा शामिल?

इस योजना के अंतर्गत तीन एकड़ से बड़े पार्कों का चुनाव किया गया है. निजी एजेंसियों को जो जिम्मेदारियां दी जाएंगी, उनमें शामिल हैं:

- बागवानी और पौधों की छंटाई

- सफाई और झाड़ू लगाना

- नर्सरी का मैनेजमेंट

- कचरा प्रबंधन

करोल बाग ज़ोन के लिए टेंडर प्रक्रिया 8 जुलाई को पूरी की जाएगी. पूरे एक साल की अनुमानित लागत ₹3.24 करोड़ बताई गई है. जानकारी के अनुसार, करोल बाग ज़ोन में कुल 762 पार्क हैं, जिनमें से 42 पार्क 4,047 वर्ग मीटर से बड़े हैं, 119 पार्क 2,023 से 4,047 वर्ग मीटर के बीच हैं और बाकी इससे छोटे हैं.

15,226 पार्कों का भार, लेकिन कर्मचारी नहीं

दिल्ली MCD वर्तमान में कुल 15,226 पार्कों की देखरेख करता है, जो 5,172 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए हैं. ये पार्क 12 ज़ोनों—सेंट्रल, साउथ, वेस्ट, नजफगढ़, रोहिणी, सिविल लाइंस, करोल बाग, SP सिटी, केशवपुरम, नरेला, शाहदरा नॉर्थ और शाहदरा साउथ में स्थित हैं. लेकिन नगर निगम को इन हरित क्षेत्रों की देखरेख में भारी स्टाफ संकट का सामना करना पड़ रहा है. लगभग 90% पार्क "हाउसिंग एरिया पार्क" (HAP) श्रेणी में आते हैं, जो 5,000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाले हैं और स्थानीय निवासियों के लिए बेहद अहम हैं.

ऐप के जरिए होगी मॉनिटरिंग

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ठेके पर काम करने वाली एजेंसियों को मोबाइल ऐप के जरिए से अपने रखरखाव कार्य को दस्तावेजित करना होगा. साथ ही, RWA (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) और एमसीडी अधिकारी भी इसी ऐप के माध्यम से शिकायतें दर्ज कर सकेंगे. किसी भी शिकायत को 10 दिनों के भीतर सुलझाना अनिवार्य होगा, नहीं तो ₹500 प्रतिदिन का जुर्माना लगेगा. स्टाफ की गैरमौजूदगी या लापरवाही पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा.

कचरा प्रबंधन से मिली प्रेरणा

एमसीडी पहले से ही सभी ज़ोनों में कचरा प्रबंधन का कार्य निजी कंपनियों को सौंप चुकी है. निगम का मानना है कि पार्क प्रबंधन में भी यही मॉडल अपनाने से दक्षता और जवाबदेही दोनों बेहतर हो सकती हैं.

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