Mewar Royal Family Clash: उदयपुर में सोमवार की रात जो कुछ हुआ उसे देख और सुन हर कोई हैरान था। किसी को यकीन नहीं हो रहा था मेवाड़ राजपरिवार से जुड़े लोग इस तरह से आपस में कहासुनी करेंगे। दरअसल विश्वराज सिंह जो कि बीजेपी विधायक हैं वो ऐतिहासिक सिटी पैलेस में एंट्री की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उसका विरोध हुआ। विश्वराज सिंह ने महल के अधिकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि दूसरा धड़ा आया और माहौल एक दम से बदल गया। अब आप सोच रहे होंगे कि इसकी असली वजह क्या थी। दरअसल 25 नवंबर की सुबह में चित्तौड़गढ़ किले में मेवाड़ के 77वें महाराणा के रूप में विश्वराज सिंह की ताजपोशी हुई और उसकी वजह से विवाद बढ़ गया। इस ताजपोशी के बाद उत्सव मनाया जाना था। लेकिन इस बीच महेंद्र सिंह मेवाड़ और उनके भाई अरविंद सिंह मेवाड़ में पुरानी रंजिश एक बार फिर सामने आ गई। ये दोनों महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के वंशज हैं।
ताजपोशी के बाद मामला बिगड़ा
चित्तौड़गढ़ में विश्वराज सिंह अपनी ताजपोशी के बाद समर्थकों संग सिटी पैलेस और कुलदेवी एकलिंगनाथ के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन उन्हें राजमहल में एंट्री देने से मना कर दिया गया। यहां बता दें कि सिटी पैलेस और एकलिंग नाथ मंदिर (Eklingnath Temple) के देखभाल की जिम्मेदारी अरविंद सिंह ( अरविंद सिंह रिश्ते में विश्वराज सिंह के चाचा लगते हैं।) के हाथ में जो श्री एकलिंग जी ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं। अरविंद सिंह ने सार्वजनिक तौर पर इश्तेहार जारी कर विश्वराज सिंह की एंट्री का विरोध किया था और यहीं से मामला खराब होता गया। जब विश्वराज सिंह और उनके समर्थकों ने सिटी पैलेस में घुसने की कोशिश की तो बात धक्कामुक्की तक पहुंच गई । अरविंद सिंह और उनके खेमे की तरफ से पत्थरबाजी होने लगी। इसे देख मौके पर जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया।
विवाद दशकों पुराना
दोनों धड़ों के बीच विवाद की वजह ऐतिहासिक है। बता दें कि श्री एकलिंगजी ट्रस्ट का गठन 1955 में मेवाड़ परिवार के महलों, मंदिरों और किलों के प्रबंधन के लिए किया गया था। 75वें महाराणा और विश्वराज सिंह के दादा भगवत सिंह के दो बेटे थे - महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह। अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने ट्रस्ट का नियंत्रण अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह को दे दिया था और विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह को इससे बाहर रखा था।नोटिस में लिखा है कि जब भगवत सिंह जीवित थे तो महेंद्र सिंह ने अपने पिता के खिलाफ अदालती मामले भी दायर किए थे। इसके कारण भगवत सिंह ने 15 मई, 1984 को अपनी अंतिम वसीयत में अपने सबसे बड़े बेटे को परिवार से प्रतिबंधित या बहिष्कृत कर दिया और अपने छोटे बेटे को पूरी जिम्मेदारी सौंप दी। उसी वर्ष नवंबर में अपने पिता की मृत्यु के बाद अरविंद सिंह ट्रस्ट के अध्यक्ष बने।
महेंद्र सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह जो राजसमंद से भाजपा विधायक हैं, उनका ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले में पारंपरिक राज्याभिषेक समारोह में मेवाड़ के 77वें महाराणा के रूप में अभिषेक किया गया जिसमें रक्त से राज-तिलक जैसी सदियों पुरानी परंपराएं शामिल थीं। हालांकि, महल ट्रस्ट के नोटिस में बताया गया है कि विश्वराज सिंह न तो ट्रस्टी हैं और न ही उनके पास ट्रस्ट में कोई कानूनी अधिकार है।