मिल्कीपुर में योगी नहीं अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर, क्या है पूरी कहानी
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मिल्कीपुर में योगी नहीं अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर, क्या है पूरी कहानी

मिल्कीपुर, फैजाबाद संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां से सपा के सांसद अवधेश प्रसाद पहले विधायक रहे हैं। अब यहां उपचुनाव होने जा रहा है।


Milkipur Assembly Seat: वैसे तो लोकसभा का नाम फैजाबाद संसदीय क्षेत्र है। लेकिन इसकी पहचान अयोध्या संसदीय क्षेत्र से हो गई। अगर आम चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहा होता तो शायद इस सीट की इतनी चर्चा नहीं होती। लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक दांव ने बीजेपी को चित कर दिया। इस सीट अवधेश प्रसाद सांसद हैं। इस नाम के चयन के साथ समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के सामने चुनौती पेश कर दी थी। अनुसूचित जाति से नाता रखने वाले अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को हरा दिया। लेकिन इसके पीछे एक और कहानी है जिसके बाद सपा की प्रतिष्ठा अधिक दांव पर है। दरअसल अवधेश प्रसाद सांसद होने ले पहले फैजाबाद लोकसभा की मिल्कीपुर विधानसभा से विधायक थे। सांसद बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया और मिल्कीपुर में उपचुनाव होने वाला है।

सपा-बीजेपी दोनों के लिए अलग मायने
यहां एक बात और समझने की जरूरत है कि फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में अयोध्या विधानसभा सीट है। इस संसदीय क्षेत्र की यह एकलौती सीट है जहां से आम चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी जबकि शेष में हार। लेकिन प्रचार इस तरह से होने लगा कि बीजेपी, अयोध्या हार गई। ऐसे में मिल्कीपुर विधानसभा सीट योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव दोनों के लिए अहम है। यहां से जीत या हार का मतलब दोनों दलों के लिए अलग अलग होगा। यदि समाजवादी पार्टी जीत दर्ज करने में कामयाब होती है तो वो यह सकेगी कि यूपी का जनमत बीजेपी के खिलाफ है। अगर बीजेपी जीत दर्ज करती है तो इसके नेता यह कह सकेंगे की समाजवादी पार्टी की जीत एक्सीडेंटल थी।

मिल्कीपुर की जातीय गणित
पहले मिल्कीपुर सीट पर जातियों की गणित समझिए। इस विधानसभा में यादव, पासी और ब्राह्मण मुख्य हैं। करीब 65 हजार यादव मतदाता, 60 हजार पासी, ब्राह्मण 50 हजार, मुस्लिम 35 हजार, गैर पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार और ठाकुर मतदाता की संख्या 25 हजार है। अगर इस समीकरण को देखें तो समाजवादी पार्टी मजबूत स्थित में है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात होगी कि बीएसपी और बीजेपी की तरफ से किस जाति समाज से उम्मीदवार मैदान में उतारा जाता है। यहां पर एक बात और गौर करने वाली है कि अयोध्या से सटे जिले में अंबेडकर नगर में बीएसपी जिला पंचायत से जुड़ी वार्ड को जीतने में कामयाब रही थी और इसे बीएसपी के कोर वोटर बैंक की वापसी के तौर पर देखा जा रहा है।

मिल्कीपुर में स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चला कि योगी आदित्यनाथ को लेकर बहुत नाराजगी नहीं थी। लेकिन बीजेपी उम्मीदवार रहे लल्लू सिंह के गैरजिम्मेदारा बयान का असर पड़ा। वैसे अगर मिल्कीपुर की बात करें तो पारंपरिक तौर पर यह सपा का गढ़ रहा है। लिहाजा इतिहास से इसका मुल्यांकन करेंगे तो अखिलेश का पलड़ा भारी होगी। लेकिन अब स्थितियां बदली हैं। भदरसा वाले कांड के बाद स्थानीय समाज के हर वर्ग में गुस्सा है। यह देखने वाली बात होगी कि बीजेपी इसे किस स्तर तक अपने पक्ष में भुना सकती है। एक बात और है कि बीजेपी ने अपनी पूरी फौज उतार कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वो इस सीट को इतनी आसानी से छोड़ने वाली नहीं है।

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