तमिलनाडु सरकार का सख्त रुख: NEP पर समझौता नहीं, शिक्षा के लिए 2,000 करोड़ का बजट
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तमिलनाडु सरकार का सख्त रुख: NEP पर समझौता नहीं, शिक्षा के लिए 2,000 करोड़ का बजट

विशेषज्ञों का कहना है कि 2,000 करोड़ रुपये के आवंटन से संकेत मिलता है कि तमिलनाडु को एनईपी पर दबाव नहीं डाला जाएगा और छात्रों और करदाताओं को आश्वस्त किया जाएगा कि राज्य सरकार शिक्षा को प्राथमिकता देती है.


तमिलनाडु की एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने एक साफ संदेश दिया है कि राज्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 पर अपनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं करेगा. साल 2025-26 के राज्य बजट में स्कूल शिक्षा विभाग के लिए ₹2,000 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पूरी तरह से राज्य के संसाधनों से आएगा. यह कदम उस समय उठाया गया है, जब केंद्र सरकार ने NEP को लागू करने से इनकार करने के कारण तमिलनाडु को समग्र शिक्षा योजना के तहत फंड देने से मना कर दिया था. अब, राज्य सरकार ने अपने बजट से यह फंडिंग प्रदान कर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी स्थिति को और मजबूत किया है. विशेषकर NEP की तीन-भाषा नीति को लेकर, जिसे तमिलनाडु ने अस्वीकार कर दिया है.

शिक्षा के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता

तमिलनाडु के शिक्षा विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना की है. उनके अनुसार, राज्य सरकार ने शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए आवश्यक फंडिंग को अपने ही संसाधनों से पूरा करके यह साबित किया है कि वह छात्रों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है. वित्त मंत्री थंगम थेनारसु ने बजट प्रस्तुत करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को ₹2,152 करोड़ की मंजूरी रोक दी थी. क्योंकि राज्य ने NEP को लागू नहीं किया. इसके बावजूद राज्य सरकार ने छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए इन फंड्स का प्रबंध किया है, ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित न हो. उन्होंने यह भी घोषणा की कि 2025-26 के बजट में स्कूल शिक्षा विभाग के लिए ₹46,767 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष के ₹44,042 करोड़ से अधिक है.

विकास कार्यों का ऐलान

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि समग्र शिक्षा योजना के तहत पिछले सात वर्षों से राज्य सरकार विभिन्न छात्र कल्याण योजनाओं को लागू कर रही है. इनमें एन्नुम एझुथुम थिट्टम (आधारभूत साक्षरता योजना), विकलांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षा, दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले छात्रों के लिए परिवहन भत्ते और कला महोत्सव जैसी योजनाएं शामिल हैं. अब, इन योजनाओं के लिए केंद्रीय फंड्स के बजाय राज्य सरकार अपनी ओर से फंडिंग करेगी. इसके अलावा ₹1,000 करोड़ की राशि सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए आवंटित की गई है, जिसमें अतिरिक्त कक्षाओं, विज्ञान प्रयोगशालाओं और पेयजल सुविधाओं का निर्माण शामिल है. 2,000 स्कूलों में कंप्यूटर लैब्स को ₹160 करोड़ की लागत से अपग्रेड किया जाएगा. जबकि 880 हाई-टेक लैब्स को ₹56 करोड़ की लागत से और बेहतर किया जाएगा. साथ ही, 2,676 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम्स स्थापित करने के लिए ₹65 करोड़ की राशि आवंटित की गई है.

शिक्षा विशेषज्ञों की राय

शिक्षाविद् डी नेदुनचेजियान ने इस बजट की सराहना करते हुए कहा कि यह छात्रों और करदाताओं को यह विश्वास दिलाता है कि सरकार शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता देती है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम केंद्र सरकार के कठोर रुख के बावजूद बच्चों की शिक्षा को राजनीति से ऊपर रखने का संकेत देता है. यह स्पष्ट संदेश भेजता है कि तमिलनाडु बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देता है. जबकि केंद्र सरकार राजनीति और राजनीतिक विचारों को संविधानिक जिम्मेदारियों से ऊपर रखती है.

खजाने पर बोझ?

अर्थशास्त्री जोथी शिवगनम, जो तमिलनाडु योजना आयोग के पूर्व सदस्य हैं, ने इस ₹2,000 करोड़ के आवंटन को स्वागत योग्य कदम बताया. उनका कहना था कि कई लोग यह सवाल कर सकते हैं कि क्या यह आवंटन राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ डालेगा, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन ₹4,39,293 करोड़ के कुल बजट आवंटन को देखते हुए, यह ₹2,000 करोड़ का अतिरिक्त आवंटन ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगा. उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण पर खर्च को दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखना चाहिए, जो राज्य के भविष्य के लिए फायदेमंद होगा. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि केंद्र सरकार का फंड्स को वितरित करने में विफलता, भले ही वे केंद्रीय बजट में घोषित किए गए थे, उसके वादों का उल्लंघन है.

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