
'उत्तर भारत में पानी पूरी, चाय खरीदने के लिए आनी चाहिए हिंदी', भड़क गए स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने परिसीमन और हिंदी 'थोपे जाने' के खिलाफ लड़ने की कसम खाई। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना से एकजुटता की आवाजें उठ रही हैं
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में त्रिभाषा के मुद्दे पर तमिलनाडु के सीएम का विरोध जारी है। उन्होंने कहा कि वो किसी भी कीमत पर हिंदी थोपने का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह बीजेपी नेताओं ने कहा कि उत्तर भारत में चाय, पानी पूरी खरीदने या शौचालय के इस्तेमाल के लिए हिंदी आनी चाहिए उसका वो विरोध करते हैं। एआई की दुनिया में अब भाषा बाधा नहीं है। सही मायने में भाषा थोपने की जरूरत नहीं टेक्नोलॉजी में समाधान मौजूत है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और एडवांस ट्रांसलेशन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की वकालत की और कहा कि छात्रों पर जबरन अतिरिक्त भाषा थोपना उचित नहीं।
"सच्ची प्रगति इनोवेशन में है, न कि भाषा के थोपे जाने में''
उन्होंने बीजेपी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि उत्तर भारत में रोजमर्रा की जरूरतों के लिए हिंदी की अनिवार्यता का तर्क अब प्रासंगिक नहीं रहा, क्योंकि एआई तकनीक अब भाषा की बाधाओं को तुरंत दूर कर सकती है।
"तीसरी भाषा थोपना अनुचित"
स्टालिन ने कहा, "बीजेपी के नेता कहते हैं कि उत्तर भारत में चाय, पानी पुरी खरीदने या शौचालय का उपयोग करने के लिए हिंदी आनी चाहिए। लेकिन आज के AI युग में किसी भी भाषा को स्कूलों में जबरन तीसरी भाषा के रूप में थोपने की जरूरत नहीं है।"उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को मात्र अपनी मातृभाषा और अंग्रेजी पर ध्यान देना चाहिए, जिससे वे विज्ञान और तकनीक में महारत हासिल कर सकें। यदि आवश्यकता हो, तो वे बाद में कोई भी भाषा सीख सकते हैं।
"तमिलनाडु के साथ अन्याय नहीं सहेंगे"
स्टालिन ने एक वीडियो संदेश में कहा, "हमारी मांग स्पष्ट है – केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय क्षेत्रों का निर्धारण न करें। जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार कदम उठाए हैं, उन्हें दंडित न किया जाए।"उन्होंने यह संदेश अपनी 72वीं जयंती की पूर्व संध्या पर दिया और पार्टी कार्यकर्ताओं से तमिलनाडु के अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील की।
"हमें संकल्प लेना होगा कि हम तमिलनाडु के भविष्य और भलाई से कभी समझौता नहीं करेंगे। हमें संगठित होकर अपने राज्य के अधिकारों के लिए लड़ना होगा। तमिलनाडु संघर्ष करेगा – और जीत भी हासिल करेगा।" – एम.के. स्टालिन
"हमारी लड़ाई – भाषा और सीमांकन के खिलाफ"
स्टालिन ने अपने समर्थकों से कहा कि इस बार उनके जन्मदिन पर दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।भाषा की लड़ाई, जो तमिलनाडु की पहचान और संस्कृति से जुड़ी हैसंसदीय क्षेत्रों के सीमांकन का मुद्दा, जो राज्य के आत्मसम्मान, सामाजिक न्याय और कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करता है
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे जनता को इस संघर्ष का असली अर्थ समझाएं, क्योंकि सीमांकन से सीधे राज्य की राजनीति और संसाधनों पर असर पड़ेगा।
"तमिलनाडु की रक्षा के लिए आगे आएं"
"आप सभी को इस संदेश को जनता तक पहुंचाना चाहिए। हर व्यक्ति को हमारे राज्य की रक्षा के लिए आगे आना होगा। यह विचारधारा की लड़ाई है, जिसमें हम पूरे देश के लिए मार्गदर्शन कर रहे हैं।"स्टालिन ने यह भी दावा किया कि कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और अन्य राज्यों से भी समर्थन मिल रहा है, जिससे केंद्र सरकार को अपने रुख पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।
"तीन-भाषा नीति से तमिलनाडु के फंड रोके गए"
स्टालिन ने आरोप लगाया कि तीन-भाषा नीति के चलते तमिलनाडु को उसके उचित वित्तीय अधिकारों से वंचित किया गया।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भले ही दावा करे कि तमिलनाडु की संसदीय सीटें नहीं घटेंगी, लेकिन यह भी तय नहीं कर रही कि अन्य राज्यों की सीटें असमान रूप से नहीं बढ़ेंगी।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की स्वायत्तता, भाषा, और राजनीतिक अधिकारों से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि तमिलनाडु अन्याय के खिलाफ संघर्ष करेगा – और विजय भी पाएगा।