
चुनाव से पहले बिहार को मोदी सरकार की सौगात, 6,000 करोड़ रुपये के सड़क और रेलवे प्रोजेक्ट पर लगाई मुहर
केंद्रीय कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स ने बिहार में साहेबगंज–अराराज–बेतिया (78.942 किमी) एनएच-139W सेक्शन को हाइब्रिड एन्यूटी मोड (HAM) पर 4-लेन बनाने को मंज़ूरी दी है.
बिहार में विधानसभा चुनाव के तारीखों के ऐलान से पहले मोदी सरकार ने प्रदेश में आधारभूत ढांचे की मजबूती को लेकर बड़ा फैसला लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बिहार में सड़क और रेलवे से जुड़े 6000 करोड़ रुपये दो प्रोजेक्ट्स पर अपनी मुहर लगा दी है.
केंद्रीय कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स ने बिहार में साहेबगंज–अराराज–बेतिया (78.942 किमी) एनएच-139W सेक्शन को हाइब्रिड एन्यूटी मोड (HAM) पर 4-लेन बनाने को मंज़ूरी दी है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 3,822.31 करोड़ रुपये है. यह ग्रीनफील्ड परियोजना राज्य की राजधानी पटना को बेतिया से जोड़कर उत्तर बिहार के जिलों – वैशाली, सारण, सिवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्व और पश्चिम चंपारण – और भारत-नेपाल सीमा तक बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. परियोजना के फायदे, लंबी दूरी के माल वाहनों के परिवहन में सुधार, कृषि, औद्योगिक क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों से कनेक्टिविटी बढ़ाना शामिल है.
वैशाली का विश्व शांति स्तूप, साहेबगंज का केसरिया बुद्ध स्तूप, अराराज का सोमेश्वरनाथ मंदिर, पटना का महावीर मंदिर और अन्य बौद्ध व ऐतिहासिक स्थलों तक बेहतर पहुँच संभव हो सकेगा. एनएच-139W ग्रीनफील्ड alignment के कारण वाहन औसतन 80 किमी/घंटा की गति से चल सकेंगे. इससे साहेबगंज से बेतिया तक यात्रा का समय वर्तमान 2.5 घंटे से घटकर 1 घंटे हो जाएगा. यह सड़क यात्री और माल वाहनों के लिए सुरक्षित, तेज़ और निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी. इस परियोजना से 14.22 लाख डायरेक्ट और 17.69 लाख इनडायरेक्ट मैन-डे रोजगार पैदा होंगे. साथ ही परियोजना के पास आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि से अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.
इसके अलावा बख्तियारपुर–राजगीर–तिलैया (104 किलोमीटर) सिंगल रेलवे लाइन को डबल करने को मंज़ूरी मिली है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 2,192 करोड़ रुपये है. परियोजना बिहार के चार जिलों में फैली हुई है और इससे भारतीय रेलवे के नेटवर्क में लगभग 104 किलोमीटर का विस्तार होगा. इस योजना से राजगीर (शांति स्तूप), नालंदा, पावापुरी जैसी धार्मिक और पर्यटन स्थलों से बेहतर रेल कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे देशभर के तीर्थयात्री और पर्यटक इन स्थलों तक आसानी से पहुँच सकेंगे. मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1,434 गाँवों और 13.46 लाख लोगों को लाभ होगा। इसके अलावा गया और नवादा जैसे असपिरेशनल जिले भी जुड़े हैं.
यह मार्ग कोयला, सीमेंट, क्लिंकर और फ्लाय ऐश जैसी सामग्रियों के परिवहन के लिए अहम है. लाइन की क्षमता बढ़ाने से सालाना 26 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई संभव होगी. रेलवे का यह पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल माध्यम देश के क्लाइमेट लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा, तेल आयात में कमी लाएगा और CO2 उत्सर्जन घटाएगा, जो 1 करोड़ पेड़ों की plantation के बराबर है. लाइन की क्षमता बढ़ने से यातायात अधिक सुचारू और समय पर होगा. मल्टी-ट्रैकिंग से संचालन आसान होगा और भीड़ कम होगी. इसका उद्देश्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाना और रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है.