
पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी पर ED का एक्शन, 800 करोड़ की संपत्ति अटैच
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हैदराबाद इकाई ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी एक क्विड प्रो क्वो निवेश यानी लेन-देन के बदले लाभ के मामले में जगन के खिलाफ ये कार्रवाई की
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हैदराबाद इकाई ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक क्विड प्रो क्वो निवेश मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की 27.5 करोड़ रुपये मूल्य की शेयर और डेलमिया सीमेंट्स (भारत) लिमिटेड (DCBL) की 377.2 करोड़ रुपये मूल्य की ज़मीन को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है।
हालांकि, DCBL का दावा है कि अटैच की गई संपत्ति की कुल कीमत 793.3 करोड़ रुपये है। यह कार्रवाई 14 साल पुराने मामले से जुड़ी है।
मामला क्या है?
यह अटैचमेंट उस मामले से संबंधित है जिसे CBI ने 2011 में दर्ज किया था, जिसमें DCBL पर भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश के जरिए अनुचित लाभ पाने का आरोप है।
ED ने जिन शेयरों को अटैच किया है, वे वाईएस जगन की कंपनियों, कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड, सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और हर्षा फर्म, में हैं।
यह आदेश 31 मार्च 2025 को जारी किया गया, जिसे DCBL ने 15 अप्रैल को प्राप्त किया।
निवेश और लाभ का आरोप
CBI और ED की जांच में सामने आया कि DCBL ने रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसका प्रतिनिधित्व वाईएस जगन कर रहे थे।
आरोप है कि इसके बदले, जगन ने अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के प्रभाव से कडप्पा ज़िले में 407 हेक्टेयर क्षेत्र की खनन पट्टा (माइनिंग लीज़) DCBL को दिलवाई।
हवाला लेन-देन का खुलासा
जांच एजेंसियों का आरोप है कि वाईएस जगन, उनके लेखाकार वी. विजय साई रेड्डी और DCBL प्रमुख पुनीत डेलमिया के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत उन्होंने रघुराम सीमेंट्स के शेयर फ्रांसीसी कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ रुपये में बेचे।
इसमें से 55 करोड़ रुपये जगन को 16 मई 2010 से 13 जून 2011 के बीच हवाला चैनलों से नकद में दिए गए। यह जानकारी दिल्ली की आयकर जांच शाखा द्वारा जब्त दस्तावेजों में पाई गई।
रिश्वत और चार्जशीट
ED और CBI का कहना है कि DCBL ने इन नकद रक़मों को हवाला के जरिए वापस लौटाकर यह साबित कर दिया कि शुरुआती निवेश एक रिश्वत थी, न कि वैध निवेश।
CBI ने 8 अप्रैल 2013 को जगन और अन्य के खिलाफ IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
अधूरी रह गई लेन-देन की योजना
एजेंसियों ने यह भी खुलासा किया कि जगन की कंपनियों को 139 करोड़ रुपये हवाला के जरिए भेजने की योजना थी, जिसमें से 55 करोड़ रुपये भेजे जा चुके थे।
बांकी की रकम भेजने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि CBI को FIR दर्ज करने और जांच शुरू करने का आदेश मिला, जिससे यह ट्रांजैक्शन अधूरी रह गई।
अदालत और कंपनी की प्रतिक्रिया
CBI ने विशेष अदालत में DCBL को आरोपी संख्या 3 बताया है, जिसमें ईश्वर सीमेंट्स से माइनिंग लीज़ DCBL को ट्रांसफर करने का मामला शामिल है।
इसी बीच, DCBL ने SEBI को सूचित किया है कि उन्हें अटैचमेंट ऑर्डर मिल चुका है, लेकिन इससे कंपनी के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
कंपनी ने कहा है कि वह इस आदेश की कानूनी समीक्षा कर रही है और अपने बचाव में उचित कानूनी कदम उठाएगी।