जजों पर बढ़ रहे हमले; MP हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा– सुरक्षा आखिर कहां?
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जजों पर बढ़ रहे हमले; MP हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा– सुरक्षा आखिर कहां?

security of judges: कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट फिर से मांगी है और अगली सुनवाई की तारीख 4 दिसंबर तय की है। कोर्ट ने साफ कहा कि जजों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है और इसमें लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।


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Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश की निचली अदालतों में जजों पर हो रही धमकी और हमलों की घटनाओं को लेकर हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से कहा है कि जजों की सुरक्षा व्यवस्था पर वह स्पष्ट और ठोस जवाब दें।

कोर्ट का कड़ा सवाल

कोर्ट ने कहा कि यदि न्याय देने वाले अधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं तो लोगों का न्याय व्यवस्था पर भरोसा डगमगा सकता है। कोर्ट ने सरकार की ओर से आए अब तक के जवाबों पर नाराजगी जताई और नई स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले 9 सालों (2016–2025) में प्रदेश में 5 जजों पर धमकी या हमले के मामले सामने आए हैं। इनमें एक मामले में थाना प्रभारी को निलंबित किया गया और 4 आरोपियों को जेल भेजा गया। ये घटनाएं मंदसौर, ग्वालियर, रीवा, अनूपपुर और इंदौर जैसे जिलों में दर्ज की गईं।

घटनाओं से कोर्ट चिंतित

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हाल ही में दो जजों के घर चोरी हुई, दो मामलों में घर में घुसने की कोशिश की गई और एक जिला जज पर हमला भी हुआ। कोर्ट ने कहा कि इन घटनाओं से साफ दिखता है कि कानून-व्यवस्था पटरी से उतरती नजर आ रही है।

पुराने हमले भी चिंता का कारण

23 जुलाई 2016 को मंदसौर में एक जज पर हमला, जिस पर हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था। इसके बाद बालाघाट में जज पर हमला हुआ। भोपाल गैस प्राधिकरण के एक अधिकारी पर एसिड अटैक भी हुआ। इन सभी घटनाओं ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।

सरकार का जवाब

राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के 52 जिला सत्र न्यायालयों में बाउंड्रीवॉल बनाई गई है और सुरक्षा व्यवस्था को जिला निगरानी समितियों की रिपोर्टों के आधार पर मजबूत किया गया है।

4 दिसंबर को अगली सुनवाई

कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट फिर से मांगी है और अगली सुनवाई की तारीख 4 दिसंबर तय की है। कोर्ट ने साफ कहा कि जजों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है और इसमें लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।

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