MUDA Scam: सीएम सिद्धारमैया ने राज्यपाल के फैसले को बताया संविधान विरोधी, कहा- मेरे साथ पूरा...
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MUDA Scam: सीएम सिद्धारमैया ने राज्यपाल के फैसले को बताया 'संविधान विरोधी', कहा- मेरे साथ पूरा...

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा MUDA साइट आवंटन घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के फैसले को 'संविधान विरोधी' करार दिया है.


CM Siddaramaiah on Governor Thaawarchand Gehlot: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के फैसले को 'संविधान विरोधी' करार दिया है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल के इस फैसले पर कोर्ट में सवाल उठाया जाएगा. उनका फैसला न केवल संविधान के विपरीत है, बल्कि कानून के भी खिलाफ है. पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी हाईकमान, सभी विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद मेरे साथ हैं.

बता दें कि यह विवाद तब शुरू हुआ, जब राज्यपाल गहलोत ने अधिवक्ता-कार्यकर्ता टीजे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी, जिन्होंने MUDA द्वारा साइटों के आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था. राज्यपाल का यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल द्वारा सिद्धारमैया को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को वापस लेने और अभियोजन स्वीकृति की मांग करने वाली याचिका को खारिज करने की पूर्व सलाह के बावजूद आया.

मंत्रिमंडल ने राज्यपाल के कार्यों को "संवैधानिक कार्यालय का घोर दुरुपयोग" बताया था और उन्हें स्वीकृति से इनकार करने की सलाह दी थी. उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी राज्यपाल के निर्णय की निंदा की और इसे "अधिकार का अतिक्रमण" बताया. उन्होंने कहा कि कानून और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं सरकार की रक्षा करेंगी. हम इस देश के लोगों को बताएंगे कि यहां क्या चल रहा है. हम इस पर मंत्रिमंडल में चर्चा करेंगे और संविधान के तहत हमारे पास उपलब्ध सभी कानूनी कदम उठाएंगे. हमें न्याय मिलेगा, हम इस सरकार की रक्षा करेंगे.

भाजपा ने की इस्तीफे की मांग

हालांकि, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यपाल के फैसले का फायदा उठाते हुए पारदर्शी और निष्पक्ष जांच के लिए सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की. कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने तर्क दिया कि आरोपों की गंभीरता और उनके द्वारा बताए गए ठोस सबूतों के कारण सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद की गरिमा बनाए रखने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए पद छोड़ना आवश्यक है.

सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस के अन्य नेताओं ने कहा है कि राज्यपाल का फैसला राजनीति से प्रेरित था. उन्होंने राज्यपाल के कदम के पीछे के समय और तर्क पर सवाल उठाया है, खासकर कथित घोटाले की जांच के लिए जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत गठित एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा चल रही जांच को देखते हुए.

राज्यपाल गहलोत ने अपने मंजूरी आदेश में यह कहते हुए अपने फैसले को उचित ठहराया कि सिद्धारमैया के खिलाफ आरोपों का समर्थन करने वाली सामग्री प्रथम दृष्टया अपराध के होने का संकेत देती है. उन्होंने कैबिनेट की सलाह को "अतार्किक" बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इस मामले में एक तटस्थ, वस्तुनिष्ठ और गैर-पक्षपातपूर्ण जांच आवश्यक है.

राज्यपाल ने अपने फैसले में कहा कि याचिका में आरोपों के समर्थन में सामग्री के साथ-साथ याचिका और सिद्धारमैया के बाद के जवाब और राज्य कैबिनेट की सलाह के साथ-साथ कानूनी राय के अवलोकन के बाद, मुझे ऐसा लगता है कि तथ्यों के एक ही सेट के संबंध में दो संस्करण हैं. उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि एक तटस्थ, वस्तुनिष्ठ और गैर-पक्षपातपूर्ण जांच की जाए.

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