कर्नाटक हाईकोर्ट से सिद्धारमैया को झटका, क्या कुर्सी रहेगी बरकरार !
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कर्नाटक हाईकोर्ट से सिद्धारमैया को झटका, क्या कुर्सी रहेगी बरकरार !

अदालत ने कहा, "याचिका में वर्णित तथ्यों की निस्संदेह जांच की आवश्यकता है, इस तथ्य के बावजूद कि इन सभी कृत्यों का लाभार्थी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता का परिवार है।" राज्यपाल ने MUDA स्कैम में मुख्यमंत्री के खिलाफ जाँच व क़ानूनी कार्रवाई के लिए अनुमति दे दी थी


MUDA Scam: कर्णाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुसीबत कम होने के बजाये और ज्यादा बढ़ गयी है, जिसके बाद ये सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या नैतिकता के आधार पर वो मुख्यमंत्री पद को त्यागेंगे या फिर नहीं. दरअसल सिद्धारमैया ने MUDA घोटाले को लेकर राज्यपाल के उस फैसले को कर्णाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें गवर्नर ने MUDA घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ जाँच के लिए मजूरी दी थी. हाई कोर्ट ने सिद्धारमैया की याचिका को ख़ारिज कर दिया है.


हाई कोर्ट ने कहा जांच की जरुरत
कर्णाटक हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि "याचिका में बताए गए तथ्यों की निस्संदेह जांच की आवश्यकता है. इस मामले में याचिकाकर्ता ( सिद्धारमैया ) का परिवार ही लाभार्थी है, इसलिए तथ्यों की जाँच आवश्यक है. इसी आधार पर हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी." इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि इस याचिका के खरिज होने के साथ ही "आज लागू किसी भी तरह का अंतरिम आदेश समाप्त माना जाएगा."
ज्ञात रहे कि राज्यपाल थावरचाँद गहलोत ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत इस मामले के शिकायतकर्ताओं प्रदीप कुमार एसपी, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा द्वारा प्रस्तुत याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों की जाँच के लिए मंजूरी प्रदान की थी.

सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश की वैधता को दी थी चुनौती
राज्यपाल द्वारा जांच को मंजूरी दिए जाने के बाद 19 अगस्त को सिद्धारमैया ने इस आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए कर्णाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अपनी याचिका में म्यख्य्मंत्री सिद्धारमैया ने कहा था k राज्यपाल ने जाँच की मंजूरी का आदेश बगेर सोचे-समझे दिया है. ये आदेश वैधानिक आदेशों का उल्लंघन है तथा संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है. ये आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है.
अपनी याचिका में सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए ये तर्क दिया था कि उनका निर्णय कानूनी रूप से अस्थिर है, प्रक्रियागत रूप से त्रुटिपूर्ण है, तथा बाहरी विचारों से प्रेरित है.

19 सितम्बर को लम्बी सुनवाई के बाद 12 सितम्बर को रखा था फैसला सुरक्षित
सिद्धारमैया की याचिका पर पहली सुनवाई 19 अगस्त को की गयी थी. उस दिन सुनवाई 6 बैठकों में हुई थी. इसके बाद अगली सुनवाई 12 सितम्बर को की गयी. जिसके बाद हाई कोर्ट ने तमाम दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. हाई कोर्ट ने 19 अगस्त को अंतरिम आदेश भी सुनाया था जिसमें सिद्धारमैया को रहत देते हुए जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत को ये निर्देश दिया गया था कि फिलहाल मामले में उनके खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करे और याचिका के निपटारे तक अपनी कार्यवाही को स्थगित कर दे. ये अंतरिम आदेश आज हाई कोर्ट ने खत्म कर दिया है.

क्या है MUDA घोटाला
MUDA घोटाले की बात करें तो आरोप ये हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में काफी अधिक था, जिसे MUDA द्वारा "अधिग्रहित" किया गया था. MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां MUDA ने आवासीय लेआउट विकसित किया था. विवादास्पद योजना के तहत, MUDA ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में भूमि खोने वालों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की. कुछ विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ये भी दावा किया है कि पार्वती के पास इस 3.16 एकड़ भूमि पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था.

अब सवाल ये कि सिद्धारमैया क्या करेंगेMUDA घोटाला | कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की राज्यपाल की मंजूरी बरकरार रखी
हाई कोर्ट में याचिका ख़ारिज होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब सिद्धारमैया क्या करेंगे? क्या वो सुप्रीम कोर्ट जायेंगे? अगर नहीं तो क्या वो नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद का त्याग करेंगे, जिसकी मांग विपक्ष द्वारा लगातार की जा रही है. इतना ही नहीं खुद कर्णाटक कांग्रेस के अन्दर भी कई ऐसे विधायक हैं, जो खुद को मुख्यमंत्री की रेस में शामिल समझ रहे हैं. बीते दिनों करनाटक सरकार के कुछ मंत्रियों व प्रमुख विधायकों ने दिल्ली में आकर मुलाकात की थी और तो और कुछ तो ऐसे भी रहे, जिन्होंने मीडिया के सामने मुख्यमंत्री पद के लिए खुद को सक्षम बताया. ऐसे में कर्णाटक कांग्रेस के अन्दर भी घमासान होने की सम्भावना है.


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