न धुआं, न आग, फिर जलगांव ट्रेन त्रासदी की वजह क्या थी?
x

'न धुआं, न आग', फिर जलगांव ट्रेन त्रासदी की वजह क्या थी?

Jalgaon train tragedy: रेलवे ने अपनी ओर से किसी भी तरह की कमी से इनकार किया और कहा स्थानीय पुलिस घटना की जांच करेगी; विशेषज्ञों ने पूछा कि रेलवे सुरक्षा आयोग से जांच क्यों नहीं कराई गई?


Pushpak Express tragedy: मुंबई जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में बुधवार (22 जनवरी) की शाम को एक दर्जन से ज़्यादा यात्रियों के साथ हुई त्रासदी हाल के वर्षों में सबसे अजीबोगरीब घटनाओं में से एक है. इस घटना में मुंबई जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में कुछ यात्री एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा आग लगने की सूचना दिए जाने पर जनरल कोच से कूद गए. इसके बाद ये यात्री बगल की पटरियों पर इकट्ठा हो गए, जहां वे कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए. जिसमें 13 यात्रियों की मौत हो गई. जबकि, कम से कम 11 घायल हो गए. अब भारतीय रेलवे उस यात्री की पहचान करने की कोशिश कर रहा है, जिसने पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की झूठी सूचना दी थी.

जांच पर सवाल

त्रासदी से भी अजीब बात रेलवे की बाद की प्रतिक्रिया है. अधिकारियों ने अपनी ओर से किसी भी तरह की विफलता से इनकार किया है. मध्य रेलवे के एक प्रवक्ता ने द फेडरल को बताया कि रेलवे की ओर से कोई विसंगति या विफलता नहीं थी. प्रवक्ता ने पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की बात से साफ इनकार किया और कहा कि वहां कोई धुआं भी नहीं था. प्रवक्ता ने कहा कि रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर स्थानीय पुलिस जांच करेगी. वहीं, विशेषज्ञ अब यह जानना चाह रहे हैं कि रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) इस त्रासदी की गहन जांच क्यों नहीं कर रहा है. बड़ा सवाल यह है कि यात्री ट्रेन से क्यों कूदेंगे, जब तक कि उन्हें आग लगने का पता न चल जाए या उन्हें संदेह न हो?

22 जनवरी को क्या हुआ?

पुष्पक एक्सप्रेस में कुछ यात्रियों के ट्रेन में आग लगने की आशंका के चलते जनरल कोच से कूदने पर त्रासदी हुई. ट्रेन में 22 कोच थे, जिनमें से केवल चार नॉन-एसी जनरल कोच थे. उनमें से एक कोच में कथित आग लगने की दहशत फैल गई. किसी भी यात्री ने किसी अन्य कोच से छलांग नहीं लगाई और अभी तक इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि दहशत किस वजह से फैली. कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि यात्रियों ने धुआं देखा और उन्हें लगा कि आग लग गई है. लेकिन प्रवक्ता ने कहा कि पुष्पक एक्सप्रेस से कोई धुआं नहीं निकल रहा था. जो यात्री बाहर कूदे वे समानांतर ट्रैक पर इकट्ठा हो गए, जहां दिल्ली जाने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस पूरी गति से आ रही थी. पटरियों की वक्रता के कारण खड़े यात्री न तो यह समझ पाए कि ट्रेन उनकी दिशा में तेजी से आ रही है, न ही कर्नाटक एक्सप्रेस का लोको पायलट तेजी से ब्रेक लगा पाया.

धुआं और दुर्गंध

रेलवे के इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं कि पूरी जांच नहीं की जाएगी. रेलवे के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता आलोक कुमार वर्मा ने आश्चर्य जताया कि यात्री ट्रेन से क्यों कूदेंगे, जब तक कि उन्होंने वास्तव में आग नहीं देखी हो या कम से कम उन्हें इसका संदेह न हो और वे चिंतित न हों. वर्मा ने द फेडरल को बताया कि क्या ब्रेक जाम हो गए थे, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है? अगर ब्रेक लॉक हो गए और पहियों से चिपक गए तो धुआं निकलेगा और रबर के जलने की गंध आएगी. आग की लपटें भी निकल सकती हैं.

यात्री सुरक्षा

उन्होंने सीआरएस के किसी भी ट्रेन दुर्घटना की विस्तृत जांच करने के आदेश की ओर भी इशारा किया, जिसमें "एक भी मौत शामिल हो". जांच करने के लिए सीआरएस को रेलवे बोर्ड से किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है. यह यात्री सुरक्षा के लिए एक निगरानी संस्था है, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक प्राधिकरण है और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर भी जांच शुरू कर सकता है. उन्होंने कहा कि चूंकि इस दुर्घटना में कई लोगों की मृत्यु हुई है. इसलिए सीआरएस द्वारा गहन जांच की जानी चाहिए.

रेलवे के एक अन्य अनुभवी व्यक्ति ने जानना चाहा कि रेलवे स्टाफ गार्ड और अन्य ने यात्रियों को समानांतर ट्रैक के चालू होने के बारे में क्यों नहीं बताया. अनुभवी व्यक्ति ने कहा कि यात्रियों को शायद पता नहीं था कि दूसरा ट्रैक चालू है.

मध्य रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि आग लगने की सूचना किसने दी, इसकी पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है. प्रवक्ता ने कहा कि अलार्म बजने से लोगों में अफरा-तफरी मच गई और शायद किसी और ने चेन खींच दी, जिसके कारण ट्रेन रुक गई. इसके बाद लोग ट्रेन से उतरने लगे. लेकिन ट्रैक पर एक मोड़ था. इसलिए वे आने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस को नहीं देख पाए. आने वाली इस ट्रेन के लोको पायलट ने भी ब्रेक लगाए. लेकिन वह समय पर ट्रेन को नहीं रोक पाया. ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी और इस गति पर उसे पूरी तरह से रोकने के लिए कम से कम 600-800 मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

घातक निर्णय

रेलवे ट्रैक के पास ही कब्जा करने का यात्रियों का निर्णय घातक था. प्रवक्ता ने कहा कि रेलवे कई अभियान चला रहा है, जिसमें यात्रियों से कहा जा रहा है कि वे ट्रेन रोकने के लिए चेन न खींचें और ट्रैक पर कब्जा न करें. प्रवक्ता ने कहा कि ट्रेन से उतरकर दूसरी ट्रैक पर कब्जा करने से लोगों की जान पर असर पड़ सकता है. अगर आपकी ट्रेन किसी कारण से रुकी भी है तो ट्रेन से उतरें नहीं और न ही बगल की ट्रैक पर कब्जा करें. अब हम यात्रियों को रेलवे ट्रैक पर कब्जा करने के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करेंगे. रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 1.5 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50,000 रुपये और मामूली रूप से घायल यात्रियों को 5,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.

Read More
Next Story