सियासी गुणा गणित नहीं आई रास या वजह कुछ और, पांडियन ने लिया संन्यास
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सियासी गुणा गणित नहीं आई रास या वजह कुछ और, पांडियन ने लिया संन्यास

ओडिशा में हुई बीजू जनता दल की हार के बाद ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक माने जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने सक्रीय राजनीती से सन्यास ले लिया है. इसका एलान खुद वीके पांडियन ने एक विडियो सन्देश के माध्यम से दिया है


Odisha Politics: ओडिशा में हुई बीजू जनता दल की हार के बाद ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक माने जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने सक्रीय राजनीती से सन्यास ले लिया है. इसका एलान खुद वीके पांडियन ने एक विडियो सन्देश के माध्यम से दिया है. उन्होंने कहा कि मेरी वजह से किसी को दुःख पहुंचा तो मै माफ़ी चाहता हूँ. अगर मेरी वजह से बीजेडी की हार हुई हो तो मै उसके लिए भी क्षमा प्रार्थी हूँ.

वीके पांडियन ने अपने इस विडियो में बताया कि नवीन पटनायक ने ओडिशा के लिए बहुत काम किया. वो पिछले 12 सालों से नवीन पटनायक के साथ काम करते आ रहे हैं, इस दौरान उन्होंने देखा कि नवीन पटनायक किस शिद्दत से जनता की भलाई और ओडिशा के विकास के लिए काम करते आये हैं. पांडियन ने कहा कि वो सक्रीय राजनीती छोड़ने का फैसला ले रहे हैं. इसके साथ ही पांडियन ने ये भी कहा कि वो सभी से माफ़ी मांगते हैं कि अगर किसी को ये लगता है कि विरोधियों ने उनका मुद्दा बना कर बीजेडी के खिलाफ माहौल तैयार किया, जिससे बीजेडी की हार हुई.



इससे पहले शनिवार को नवीन पटनायक ने कहा कि जो लोग पार्टी की हार के लिए पांडियन को बुरा भला बोल रहे हैं, वो सही नहीं हैं. पांडियन ने प्रदेश की बेहतरी के लिया काफी काम किया है.

पांडियन ने धर्मेन्द्र प्रधान किया वादा निभाया

बता दें कि मई महीने में जब चुनाव प्रचार का दौर जारी था, तो वीके पांडियन ने बीजेपी नेता धर्मेन्द्र प्रधान को चुनौती देते हुए कहा था कि ''जिस तरह से बीजेपी जनता के बीच प्रचार करते हुए ये दावा कर रही है कि प्रदेश में बीजेपी की लहर है. लेकिन मै कहता हूँ कि प्रदेश की जनता नवीन पटनायक को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में चुनेगी, अगर ऐसा नहीं हुआ तो मै राजनीती छोड़ दूंगा. लेकिन अगर बीजेपी हारती है तो धर्मेन्द्र प्रधान राजनीती छोड़ेंगे क्या?


नवीन पटनायक का इस्तीफा

चुनाव में मिली हार के बाद बुधवार नवीन पत्निक ने ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे मुख्यमंत्री के रूप में उनके 24 साल के कार्यकाल का अंत हो गया.

क्या रहा बीजेडी की हार का कारण

नवीन पटनायक ने कहा कि वो इस हार की समीक्षा करेंगे. वहीँ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बीजेडी की इस हार के पीछे उम्मीदवारों के चयन में की गयी गलती है. कहीं न कहीं वीके पांडियन को इसका ज़िम्मेदार ठहराया गया. राजनितिक विश्लेषकों का कहना है कि उम्मीदवारों का चयन करने में पार्टी के दिग्गजों शमी नहीं किया गया और वी के पांडियन पर जरुरत से ज्यादा भरोसा जताया गया.

बीजेडी को लोकसभा चुनाव में नहीं मिली कोई सीट

लोकसभा चुनाव 2024 में वर्षों से प्रदेश में सरकार चला रही बीजेडी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. बीजेडी को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट भी नहीं मिली. जबकि विधानसभा चुनाव में 147 सीटों में से सिर्फ 51 सीटें ही जीत पाई.

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