अजित पवार के मन में क्या है? क्यों कर रहे हैं अपनी ही सरकार का विरोध
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अजित पवार के मन में क्या है? क्यों कर रहे हैं अपनी ही सरकार का विरोध

राज्य एनसीपी प्रमुख तटकरे ने सिंधुदुर्ग के मालवण में शिवसेना (यूबीटी) नेताओं के साथ झड़प के दौरान कथित तौर पर की गई टिप्पणी के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता नारायण राणे पर भी निशाना साधा.


Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीती में एक बार फिर से ये सवाल उठा है कि क्या सत्ता में काबिज महायुती में सब कुछ ठीक चल रहा है. जहाँ एक ओर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के क्षतिग्रस्त होने के मुद्दे को विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी बड़ा बनाने के लिए प्रयासरत है तो वहीँ दूसरी ओर महायुती में शामिल एनसीपी ने भी सरकार के विरोध में स्वर छेड़ दिए हैं.

महाराष्ट्र सरकार में शामिल अजित पवार नीत एनसीपी ने मतभेद के स्पष्ट संकेत देते हुए सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहाए जाने की घटना को लेकर गुरुवार (29 अगस्त) को पूरे राज्य में मौन विरोध प्रदर्शन किया और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. वहीं पार्टी के प्रदेश प्रमुख ने कहा कि हर किसी को आंदोलन करने का अधिकार है.
महाराष्ट्र एनसीपी प्रमुख सुनील तटकरे ने एक बयान में कहा, "यह बहुत दुखद और दिल दहला देने वाला है कि मालवन में राजकोट किले में स्थापित महान छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई है।.यह चौंकाने वाला है कि यह प्रतिमा (उद्घाटन के बाद) सिर्फ़ आठ महीने में गिर गई."
"इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक अक्षम्य गलती हुई है. इस त्रासदी का विरोध करने और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सावधानी बरतने के लिए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक पूरे राज्य में रैली का आयोजन किया."

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इससे पहले अजीत पवार की जनसमन यात्रा को संबोधित करते हुए तटकरे ने कहा कि शिवाजी महाराज की मूर्ति का गिरना दुखद है और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है क्योंकि ऐसा करने का अधिकार सभी को है. उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में सभी को आंदोलन करने का अधिकार है। मालवण में शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है."
एनसीपी कार्यकर्ताओं ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया. स्थानीय पार्टी नेताओं ने तहसीलदारों और जिला कलेक्टरों को मांगों का ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें मूर्ति की घटिया गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई. पार्टी ने मांग की कि सरकार चौबीसों घंटे काम करे और शिवाजी महाराज के सम्मान में राजकोट किले में एक नई मूर्ति बनाए.
दिलचस्प बात यह है कि तटकरे ने बुधवार को सिंधुदुर्ग के मालवन में शिवसेना (यूबीटी) नेताओं के साथ झड़प के दौरान कथित तौर पर की गई टिप्पणी के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता नारायण राणे पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, "राणे का बयान अनुचित है. हालांकि मूर्ति गिरने की घटना दर्दनाक है, लेकिन इस तरह की भाषा एक जिम्मेदार नेता को शोभा नहीं देती. यह महाराष्ट्र की संस्कृति के अनुरूप नहीं है."

भाजपा नेता की टिप्पणी की निंदा
उल्लेखनीय है कि बुधवार को तटीय शहर मालवण में भाजपा और शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी, जब शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे और भाजपा के राणे दोनों एक साथ उस स्थल का निरीक्षण करने पहुंचे थे, जहां सोमवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा ढह गई थी.
दोनों गुटों के बीच टकराव हुआ, जिसके चलते राणे ने पुलिस के सामने सेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं को खुलेआम धमकाया और कहा कि वह "उनके घरों पर हमला करके उन्हें मार डालेंगे". टकराव तब हुआ जब पुलिस ने राणे को साइट पर जाने से मना कर दिया क्योंकि वह अपने समर्थकों के साथ उसी समय वहां पहुंचे थे, जब आदित्य पहले से ही साइट पर थे. इसके बाद राणे के समर्थकों ने नारेबाजी की और जबरन अंदर घुसने की कोशिश की.

वापसी का पूर्व संकेत?
एनसीपी का विरोध इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि पार्टी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार के तीन घटकों में से एक है. अजित पवार के इस कदम को महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में भी देखा जाना चाहिए. पिछले कुछ सालों में राज्य की राजनीति में भारी बदलाव आया है, क्योंकि दो क्षेत्रीय ताकतों - शिवसेना और एनसीपी - में विभाजन हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि दोनों पार्टियों का एक गुट सत्तारूढ़ गठबंधन में है जबकि दूसरा गुट विपक्षी एमवीए ब्लॉक का हिस्सा है.
एमवीए ने लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल की थी. अब, भाजपा के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन विधानसभा चुनावों में वापसी करने के लिए उत्सुक है.
अजित पवार के एनसीपी गुट ने लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ एक सीट जीती और चुनाव नतीजों के बाद कई नेता शरद पवार गुट में चले गए. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ़ बारामती से मैदान में उतारना एक "गलती" थी. इस घटनाक्रम ने इस बात पर चर्चा को हवा दे दी है कि क्या जूनियर पवार कई असफलताओं के बाद चाचा शरद पवार के खेमे में लौटने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि, अजित पवार ने कहा है कि वह एनडीए के साथ मजबूती से हैं और उन्होंने विश्वास जताया है कि यह गुट महाराष्ट्र में फिर से सरकार बनाएगा.

1 सितंबर को विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
सिंधुदुर्ग के मालवण तहसील में राजकोट किले में स्थापित 17वीं सदी के मराठा साम्राज्य के संस्थापक की 35 फुट ऊंची प्रतिमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण के लगभग नौ महीने बाद 26 अगस्त को ढह गई. यह घटना एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है और विपक्षी एमवीए ने इसे लेकर शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर निशाना साधा है.गठबंधन के नेताओं ने इस मुद्दे पर 1 सितंबर को मुंबई में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले समेत कई नेता रविवार को सुबह 11 बजे मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास हुतात्मा चौक से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा तक मार्च निकालेंगे. एमवीए ने तीनों दलों की सरकार पर भ्रष्टाचार और महाराष्ट्र के गौरव से समझौता करने का आरोप लगाया.


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