NEET नतीजे में गड़बड़झाला, नंबर आए 715 लेकिन पानी में गई साल भर की मेहनत
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NEET नतीजे में गड़बड़झाला, नंबर आए 715 लेकिन पानी में गई साल भर की मेहनत

लखनऊ की आयुषी पटेल का आरोप है कि उसके नतीजे को ओएमआर शीट फटने की वजह से घोषित नहीं किया गया. यदि ओएमआर शीट फटी हुई थी तो उसकी जांच तो कराई जा सकती है.


Neet Result 2024 Latest News: देश के सरकारी और मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए अब NEET के जरिए छात्रों का चयन होता है. एनटीए, नीट परीक्षा का आयोजन करता है. लेकिन यह सवालों के घेरे में है. इस मामले में सियासत भी हो रही है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है. एनटीए बार बार तर्क दे रहा है कि परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है. लेकिन छात्रों के मुताबिक उनके पास पुख्ता साक्ष्य हैं कि इस परीक्षा में धांधली हुई है.नीट रिजल्ट के खिलाफ लखनऊ की आयुषी पटेल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दस्तक दी है, उन्होंने फटे हुए ओएमआर शीट पर सवा उठाया है. आयुषी का आरोप है कि ओएमआर शीट को जानबूझकर फाड़ा गया है.यही नहीं अगर ओएमआर शीट पहले से फटी रही होगी तो भी उसकी जांच की जा सकती है.

क्या कहना है आयुषी का
आयुषी कहती हैं कि उनके नतीजे को वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया था. कुछ दिन के बाद एक मेल आया कि उनकी ओएमआर शीट फटी हुई थी. आयुषी के मुताबिक एनटीए का मानना है कि ओएमआर शीट को उन्होंने टैंप किया है. हालांकि इसकी जांच भी करायी जा सकती है. आयुषी के अनुसार 4 जून को उनका रिजल्ट एनटीए की वेबसाइट पर शो नहीं हो रहा था. उन्होंने सारी डिटेल्स भरी और जवाब आया कि रिजल्ट ही जनरेट नहीं हुआ है. करीब 1 घंटे बाद एनटीए की तरफ से मेल में जवाब आया कि ओएमआर शीट फटी हुई है. लेकिन उनका मानना है कि ओएमआर शीट को जानबूझकर फाड़ा गया है.

OMR शीट खुद की चेक, नंबर आए 715
आयुषी ये भी बताती हैं कि उन्होंने एनटीए को मेलकर ओएमआर शीट दिखाने के लिए कहा. एनटीए ने ओएमआर शीट भेजी.लेकिन शीट का बारकोड फटा हुआ था. हालांकि जो उत्तर उन्होंने दिए उसे देखे जा सकते थे. उत्तर की जांच के बाद उनका स्कोर 715 आया. अब यही से सवाल उठते हैं कि अगर ओएमआर शीट फटी हुई थी तो एग्जाम क्यों लिया गया. उसके लिए छात्र कैसे जिम्मेदार हो सकता है. अगर ओएमआर शीट में किसी तरह की टैंपरिंग हुई तो उसकी जांच कराई भी जा सकती है.सवाल यह भी किसी छात्र को सजा यूं ही कैसे दे सकते हैं.

यहां से शुरू हुआ शक
नीट परीक्षा 5 मई को संपन्न हुई थी. एनटीए के कैलेंडर के मुताबित नतीजे 14 जून को घोषित होने वाले थे. इन सबके बीच एनटीए ने ऑनलाइन उत्तर जारी कर दिया था. और उसे देख छात्रों को अंदाजा लग गया कि उनका स्कोर क्या रहने वाला है. हालांकि चार जून को जिस दिन आम चुनाव 2024 की मतगणना चल रही थी उसी दिन एनटीए ने नतीजों को घोषित कर दिया. जाहिर सी बात है कि समय से पहले नतीजों को घोषित होने से छात्रों को और खुशी हुई. हालांकि कुछ लोगों ने यह भी कहा कि आखिर कौन सी हड़बड़ी थी कि नतीजों को तय समय से पहले घोषित किया. आम से लेकर खास लोगों को यह बात समझ में नहीं आई कि चार जून की तारीख का चयन एनटीए ने क्यों किया.समय से पहले नतीजों को जारी किए जाने के मुद्दे पर किसी पत्रकार ने एनटीए के महानिदेशक से सवाल किया गया तो वो लड़खड़ा गए.

क्या है विवाद
विवाद कुल 1600 छात्रों को लेकर है. लेकिन असर 50 हजार से अधिक छात्रों पर पड़ सकता है. पिछले साल तक 720 अंकों की इस परीक्षा में दो या तीन छात्र पूर्ण अंक हासिल करते रहे हैं. लेकिन इस दफा यह संख्या बढ़कर 67 हो गई. अब यहीं से विवाद भी शुरू हुआ कि आखिर यह कैसे संभव है.लेकिन घपले की बात फॉर्म भरने की तारीख से आने लगी थी. पहले फॉर्म दाखिल करने की तारीख 9 फरवरी से 9 मार्च थी. लेकिन नीट की वेबसाइट क्रैश हुई तो अभिभावकों की मांग पर एनटीए ने दो दिनों के यानी 9 से 10 अप्रैल तक वेबसाइट को एक बार फिर खोली.यहीं से सवाल उठाया गया है कि इन दो दिनों में जिन छात्रों ने फॉर्म भरा उसमें कितने सफल हुए.

एनटीए ने टॉपरों की जो लिस्ट जारी की है उसमें आठ छात्रों के क्रमांक एक ही सीरीज यानी 62 से 69 है. इनमें से 6 छात्रों की रैंक नंबर 1 है, यही नहीं ये सब हरियाणा के बहादुरगढ़ के एक ही परीक्षा केंद्र के हैं. इन आठ छात्रों में से सात के सरनेम की जानकारी नहीं दी गई है. इसकी वजह से संदेह और गहरा गया. हालांकि इन छात्रों के रोल नंबर, मार्क्स , रैंक सोशल मीडिया पर वायरल हैं. इन आठ छात्रों में से छह ने 720 में 720 नंबर हासिल किए हैं. दो छात्रों को 719 और 718 नंबर मिले हैं.

क्या है एनटीए का तर्क
एनटीए का तर्क है कि हरियाणा में जिन छात्रों के समय की बर्बादी हुई है उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं. लेकिन सवाल उठाया जा रहा है कि समय की बर्बादी तो भारत के दूसरे राज्यों में भी हुए तो एनटीए ने मेहरबानी हरियाणा के छात्रों पर ही क्यों दिखाई. इससे भी बड़ी बात है कि जब फॉर्म भरे जा रहे थे तो उस वक्त ग्रेस मार्क्स का जिक्र क्यों नहीं किया गया था.

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