दिल्ली के आरोग्य मंदिर: पुरानी स्वास्थ्य सेवाओं का नया नाम
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दिल्ली के 'आरोग्य मंदिर': पुरानी स्वास्थ्य सेवाओं का नया नाम

दिल्ली में आज से आरोग्य मंदिर की शुरुआत कर दी गयी है लेकिन हैरानी इस बात की है, जो पहले दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरी हुआ करती थीं, उन्हें अब नया नाम दिया गया है.


Arogya Mandir : दिल्ली में आज से आरोग्य मंदिर की शुरुआत की गयी है. कहने और सुनने में ये नया प्रतीत हो रहा है लेकिन वास्तविकता ये है कि कुछ सरकारी डिस्पेंसरियों का नाम बदलकर 'आरोग्य मंदिर' कर दिया गया है, तो वहीं कुछ नई जगहों पर इन्हीं 'आरोग्य मंदिरों' की शुरुआत भी हुई है. कुल 33 आरोग्य मंदिर और 17 जन औषधि केंद्र आज से खोले गए हैं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे दिल्लीवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की पहल बताया है, जहाँ उन्हें कई विशेष सहूलियतें मिलने का दावा किया जा रहा है.

अहम बात ये है कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब पिछली सरकार के मोहल्ला क्लिनिक मॉडल को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मोहल्ला क्लिनिक की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जनता उनकी स्थिति से भली-भांति वाकिफ है. मुख्यमंत्री ने पोर्टा कैबिन में बने इन क्लिनिकों में दवाइयों की कमी और उचित मेडिकल केयर न होने का आरोप लगाया. साथ ही पिछली सरकार (आप सरकार ) के स्वास्थ्य मॉडल को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया, और सीएजी की रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया है.

आप सरकार ने दिल्ली की जनता को रखा स्वास्थ्य सेवाओं से वंछित

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में योगदान का भी ज़िक्र किया और यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने पांच साल पहले 2400 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था, जिसका पिछली सरकार ने फायदा नहीं उठाया. यही वजह रही कि दिल्ली वासियों को जो बेहतर सुविधाएं मिल सकती थीं वो नहीं मिल पायीं.

लक्ष्य और ज़मीनी हकीकत: कितना संभव, कितना दिखावा?

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मौजूदा योजना के तहत, दिल्ली को मार्च 2026 तक 1140 आरोग्य मंदिर पूरे करने का लक्ष्य है, वरना प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया फंड लैप्स हो जाएगा. जो काम पांच साल में पूरा होना था, उसे अब आठ महीने में करके दिखाना है. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है: क्या इतनी कम अवधि में गुणवत्ता से समझौता किए बिना यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है? या फिर यह सिर्फ फंड लैप्स होने से बचाने की एक जल्दबाजी भर है?

सिर्फ लैब की सुविधा है अतिरिक्त

अगर आरोग्य मंदिर की बात करें तो इसमें पुरानी डिस्पेंसरी की तुलना में जो सुविधा अतिरिक्त है, वो मुख्यत: लैब है, जहाँ पर ब्लड और यूरिन के सैंपल कलेक्ट किये जाने की सुविधा रहेगी. कुछ टेस्ट इसी आरोग्य मंदिर में हो जायेंगे और कुछ टेस्ट के लिए एकत्र किये गए सैंपल को बाहर की लैब में भेजा जायेगा.

दावा किया जा रहा है कि जिन आरोग्य मंदिरों की शुरुआत की गई है, उनमें और मोहल्ला क्लिनिक में जमीन-आसमान का फर्क बताया जा रहा है. देखना यह होगा कि ये दावे ज़मीनी स्तर पर कितने खरे उतरते हैं. क्या वाकई ये 'आरोग्य मंदिर' सिर्फ नाम बदलने तक सीमित रहेंगे, या स्वास्थ्य सुविधाओं की असली तस्वीर बदल पाएंगे?


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