
नोएडा में पुराने फ्लैट्स के मालिकों को मुफ्त में मिल सकते हैं बड़े घर, नई पॉलिसी का एलान
यह नीति उन आवासीय इमारतों पर लागू होगी जो 30 साल से ज्यादा पुरानी हैं या जिन्हें IIT, NIT जैसे मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों द्वारा असुरक्षित घोषित किया गया है।
नोएडा अथॉरिटी ने एक रीडेवलपमेंट पॉलिसी की घोषणा की है, जो पुराने और जर्जर हो चुके हाउसिंग सोसाइटियों को आधुनिक आवासीय परिसरों में बदलने का वादा करती है। यह नीति 14 जून को मंजूर की गई थी, जिसके तहत मौजूदा मकान मालिकों को उनके फ्लैट का कम से कम 15% ज्यादा कारपेट एरिया मिलेगा और जब तक पुनर्निर्माण होता है, तब तक के लिए उन्हें अस्थायी आवास भी मुहैया कराया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि यह नीति उन आवासीय इमारतों पर लागू होगी जो 30 साल से अधिक पुरानी हैं या जिन्हें आईआईटी, एनआईटी जैसे मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों द्वारा संरचनात्मक रूप से असुरक्षित घोषित किया गया है।
नोएडा में 115 से अधिक निजी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और कई अथॉरिटी द्वारा बनाए गए कॉम्प्लेक्स अब जर्जर हालत में हैं, ऐसे में यह नीति शहरी कायाकल्प के लिए अहम मानी जा रही है।
नई व्यवस्था के तहत किसी भी पुनर्विकास कार्य को शुरू करने से पहले पट्टाधारक निवासियों की 70% सहमति जरूरी होगी। मूल फ्लैट मालिकों को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के नए पुनर्निर्मित फ्लैट दिए जाएंगे, जबकि निर्माण के दौरान डेवलपर उन्हें अस्थायी आवास या मासिक किराया देंगे।
1976 में यूपी इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट एक्ट के तहत गठित नोएडा अथॉरिटी ने 1981 में मल्टी-स्टोरी हाउसिंग शुरू की थी, जहां निजी बिल्डरों को पट्टे पर प्लॉट दिए गए थे और वे उस समय के भवन उपविधियों के अनुसार निर्माण करते थे। अथॉरिटी ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए कम ऊंचाई वाले मकान भी बनाए थे।
हालांकि, खराब रखरखाव की वजह से कई इमारतों में सीलन जैसी कई समस्याएं सामने आईं, जिससे वहां रहना असुरक्षित हो गया। अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) आमतौर पर केवल पेंटिंग जैसे छोटे-मोटे काम कराते हैं, लेकिन संरचनात्मक ऑडिट और मरम्मत को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे इमारतें भारी बारिश या भूकंप के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुनर्विकास में चार प्रमुख पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा, संरचनात्मक सुरक्षा, बेहतर सुविधाएं, पर्यावरणीय उन्नयन और डेवलपर्स की सख्त जवाबदेही। इस प्रक्रिया को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए अथॉरिटी डेवलपर्स को फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) 1.5 से बढ़ाकर 2.75 तक देने की अनुमति देगी, जिससे वे अतिरिक्त फ्लैट बनाकर बेच सकेंगे और लागत की भरपाई कर सकेंगे।
यह नीति तीन प्रकार की इमारतों को कवर करती है, (1) अथॉरिटी द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट जैसे सेक्टर 52 के मानसरोवर और शताब्दी विहार, (2) कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटीज जैसे रेल विहार और एलआईसी सोसायटी, और (3) अन्य निजी बिल्डरों द्वारा विकसित परियोजनाएं।
डेवलपर्स का चयन परियोजना के प्रकार के अनुसार होगा। अथॉरिटी द्वारा विकसित सोसाइटीज के लिए डेवलपर्स की नियुक्ति बोली प्रक्रिया के जरिए की जाएगी, जबकि कोऑपरेटिव और निजी सोसाइटीज अपने डेवलपर स्वयं नियुक्त कर सकेंगी, बशर्ते वे पात्रता मापदंड जैसे वित्तीय स्थिरता और ट्रैक रिकॉर्ड पर खरे उतरें।
नीति के अनुसार डेवलपर, अथॉरिटी और AOA के बीच त्रिपक्षीय समझौता किया जाएगा, जिसमें पुनर्वास, कारपेट एरिया का अधिकार और प्रोजेक्ट की समयसीमा जैसे प्रावधान स्पष्ट होंगे। डेवलपर को RERA में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा, तभी वे अतिरिक्त फ्लैट्स बेच सकेंगे।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक वैकल्पिक आवास या किराया मुआवजा की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक निवासियों को घर खाली करने के लिए नहीं कहा जाएगा। साथ ही, डेवलपर्स को तब तक अतिरिक्त फ्लैट्स बेचने की अनुमति नहीं होगी जब तक कि मूल निवासियों को उनके फ्लैट्स का कब्जा न मिल जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है, "हमने सख्त जवाबदेही प्रावधान शामिल किए हैं। जो डेवलपर्स समयसीमा का उल्लंघन करेंगे या समझौते की शर्तें तोड़ेंगे, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और जुर्माना लगेगा। शिकायतों के निवारण के लिए एक सेल बनाया गया है जो देरी, गुणवत्ता या कारपेट एरिया की कटौती जैसी समस्याओं पर ध्यान देगा।"
अथॉरिटी एक सिंगल-विंडो सिस्टम भी शुरू करने जा रही है, जिससे अनुमोदन की प्रक्रिया सरल हो जाएगी और विस्थापित निवासियों को किराए का भुगतान सुचारू रूप से किया जा सकेगा। नई पुनर्विकसित सोसाइटीज में आधुनिक सुविधाएं होंगी जैसे EV चार्जिंग स्टेशन, वर्षा जल संचयन प्रणाली और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट।
इसके अलावा, इस योजना को और आकर्षक बनाने के लिए अथॉरिटी प्रस्ताव देगी कि नए लीज डीड पर स्टांप ड्यूटी और लीज रेंट को माफ किया जाए।