Nilambur bypoll: पीवी अनवर का इस्तीफा, UDF और LDF में सियासी खींचतान तेज
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PV Anvar

Nilambur bypoll: पीवी अनवर का इस्तीफा, UDF और LDF में सियासी खींचतान तेज

निलंबुर उपचुनाव सिर्फ एक सीट का चुनाव नहीं है, बल्कि यह आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकता है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के लिए यह एक परीक्षा की घड़ी होगी। वहीं, कांग्रेस के लिए यह सीट वापसी के संकेत बन सकती है।


निलंबुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव ने केरल की राजनीति में हलचल मचा दी है। दो बार एलडीएफ (LDF) समर्थित निर्दलीय विधायक रहे पीवी अनवर के इस्तीफे के बाद अब यहां यूडीएफ (UDF) और एलडीएफ के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है।

नई राजनीतिक पारी

जनवरी 2025 में पीवी अनवर ने अपने पद से इस्तीफा देकर एलडीएफ से दूरी बना ली थी। अनवर ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थामते हुए कांग्रेस नीत यूडीएफ को उपचुनाव में समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने शर्त रखी कि कांग्रेस, मालप्पुरम जिला कांग्रेस अध्यक्ष वीएस जॉय को उम्मीदवार बनाए।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

अनवर कभी कांग्रेस के नेता थे। लेकिन 2011 से उन्होंने वामपंथी खेमे का समर्थन लेना शुरू किया और 2016 व 2021 में एलडीएफ समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निलंबुर से जीत दर्ज की। लेकिन एलडीएफ में रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और उनके राजनीतिक सचिव पी ससी पर गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद उनका गठबंधन से रिश्ता टूट गया।

यूडीएफ में अंदरूनी खींचतान

यूडीएफ में अब टिकट को लेकर आंतरिक संघर्ष दिख रहा है। जहां एक ओर अनवर वीएस जॉय को उम्मीदवार बनाने की पैरवी कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे दिवंगत आर्यादन मोहम्मद के बेटे आर्यादन शौकत भी मैदान में हैं। शौकत का क्षेत्र में मजबूत जनाधार और पारिवारिक विरासत है। जबकि, वीएस जॉय को अनवर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता एपी अनिल कुमार का समर्थन प्राप्त है।

एलडीएफ की रणनीति

अनवर के एलडीएफ छोड़ने के बाद वाम मोर्चा अब किसी मजबूत पार्टी उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, पूर्व फुटबॉलर यू शराफ अली या युवा नेता शबीर अली के नाम पर विचार किया जा रहा है।

निलंबुर की अहमियत

निलंबुर क्षेत्र में मुस्लिम और ईसाई समुदायों की बड़ी संख्या है। यहां आदिवासी और दलित मतदाताओं की भी मजबूत मौजूदगी है। माना जा रहा है कि अनवर का समर्थन प्राप्त वीएस जॉय ईसाई और आदिवासी वोटों को साधने की कोशिश करेंगे। जबकि, शौकत मुस्लिम मतदाताओं पर भरोसा कर रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अनवर का यूडीएफ को समर्थन, अगर रणनीतिक रूप से सही ढंग से इस्तेमाल हुआ तो वे 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी में वापसी की राह बना सकते हैं। लेकिन यदि यूडीएफ उपचुनाव हारता है तो यह अनवर की सियासी पकड़ को कमजोर कर सकता है।

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