
बिहार के मंत्रियों पर गंभीर आरोप, लेकिन नीतीश की चुप्पी चौंकाने वाली?
जेडीयू के अंदर कई लोग नाराज हैं कि नितीश कुमार ने अपने मंत्रियों पर लगे आरोपों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
विधानसभा चुनावों से पहले जन सुराज पार्टी (JSP) प्रमुख प्रशांत किशोर द्वारा बिहार के तीन मंत्रियों पर लगे भारी भ्रष्टाचार आरोपों ने नितीश कुमार सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। ये आरोप उस समय सामने आए हैं, जब मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने हमेशा भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस (शून्य सहनशीलता) की नीति अपनाई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री की चुप्पी ने सभी को हैरत में डाल दिया है।
किशोर के आरोप
किशोर ने आरोप लगाया है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और मंत्री अशोक चौधरी, मंगल पांडेय पर भारी भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों के सबूत मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि अशोक चौधरी ने पिछले तीन वर्षों में लगभग ₹200 करोड़ की संपत्ति अर्जित की है। बाद में उन्होंने इसे बढ़ाकर ₹500 करोड़ करने का दावा किया और जल्द ही सबूत सार्वजनिक करने की बात कही। सम्राट चौधरी पर 1995 के एक हत्या मामले में आरोप लगाने के अलावा, किशोर ने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी उम्र की झूठी डिक्लेरेशन दी और नाम बदलने की बात भी कही। एक अन्य आरोप में कहा गया कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में एक फ्लैट खरीदा था और पत्नी की बैंक खाते में ₹2.12 करोड़ जमा किए थे, जिसका स्रोत उन्होंने नहीं बताया।
नितीश का भ्रष्टाचार-रोधी इतिहास
नितीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में कई मौकों पर भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े सहयोगियों को बर्खास्त किया है। वर्ष 2005 में जीतन राम मांझी को फर्जी B.Ed. डिग्री मामले के बाद मंत्रिमंडल से हटाया गया। 2008 में रमानंद प्रसाद सिंह, 2011 में रामाधार सिंह, 2018 में मंजू वर्मा और 2020 में मेवा लाल चौधरी को भ्रष्टाचार या आपराधिक मामलों के चलते पद से हटा दिया गया। इन घटनाओं के मद्देनज़र नितीश की यह चुप्पी पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
नितीश की स्थिति पर उठते सवाल
जेडीयू के अंदर कई लोग नाराज हैं कि नितीश कुमार ने अपने मंत्रियों पर लगे आरोपों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नितीश की यह चुप्पी उनकी स्वच्छ और भ्रष्टाचार-विरोधी छवि को धूमिल कर सकती है। पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अशोक चौधरी को इन आरोपों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने इसे नितीश पर सीधा हमला बताया। कुछ जेडीयू नेता यह मानते हैं कि नितीश अब पहले जैसी सक्रिय स्थिति में नहीं हैं। कहा जा रहा है कि उनकी सेहत ठीक नहीं है तथा पार्टी का संचालन एक गुट द्वारा किया जा रहा है।
राजनीति की आड़ में बीजेपी की भूमिका
राजनीतिक विश्लेषक डीएम दिवाकर का मानना है कि किशोर द्वारा यह हमला असल में नितीश की छवि को कमजोर करने की रणनीति है। दिवाकर का कहना है कि इन आरोपों से भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ हो सकता है, क्योंकि वे नितीश को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैं। हालांकि, भाजपा ने यह साफ किया है कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन (एनडीए) नितीश के नेतृत्व में लड़ेगा, लेकिन वह मुख्यमंत्री की बदलती संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं करती।
चुप्पी क्यों? चुनाव रणनीति या सामाजिक संतुलन
चुनाव के समीकरण में अशोक चौधरी (दलित समुदाय से) और सम्राट चौधरी (OBC समुदाय से) का सामाजिक असर महत्वपूर्ण है। अगर नितीश इन दोनों को हटाते हैं तो इन समुदायों में असंतोष फैलने की आशंका है। इस कारण से माना जा रहा है कि नितीश इस समय कार्रवाई नहीं कर रहे। क्योंकि अभी तक उन्हें अपनी सरकार और चुनाव जीतने के लिए उन मंत्रियों के समर्थन की ज़रूरत है।